
वाणिज्य मंत्रालय अमेरिका द्वारा भारत से आयात पर लगाए गए 26 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ के असर (Reciprocal Tariff Impact) का आकलन कर रहा है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.सरकार को उम्मीद है कि यदि भारत अमेरिकी चिंताओं को हल कर पाता है, तो टैरिफ में राहत मिल सकती है.
"यह भारत के लिए झटका नहीं"
उन्होंने कहा कि एक प्रावधान है कि यदि कोई देश अमेरिका की चिंताओं का समाधान करता है, तो डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन उस देश के खिलाफ शुल्क कम करने पर विचार कर सकता है. अधिकारी ने कहा, ‘‘यह भारत के लिए एक झटका नहीं, बल्कि मिला-जुला नतीजा है.”
अमेरिका में दो चरणों में लागू होंगे टैरिफ
अमेरिका में सभी आयात पर 5 अप्रैल से 10% और 10 अप्रैल से बाकी 16% टैरिफ लागू किया जाएगा. सरकार इस पर अपनी रणनीति बना रही है और अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को जल्द पूरा करने पर जोर दिया जा रहा है.भारत पहले से ही अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है. दोनों देश इस साल सितंबर-अक्टूबर तक समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विभिन्न देशों से आयात पर शुल्क लगाने की घोषणा करते हुए भारत द्वारा लगाए गए ऊंचे शुल्कों का भी जिक्र किया है.
भारत-अमेरिका के व्यापारिक रिश्ते मजबूत
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और 2023-24 में भारत का अमेरिका के साथ 35.32 अरब डॉलर का ट्रेड सरप्लस रहा. सरकार का मानना है कि इस फैसले से चुनौती जरूर आएगी, लेकिन भारत की स्थिति मजबूत बनी रहेगी.
ट्रंप ने बुधवार को व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में शुल्क की घोषणा करते हुए एक लिस्ट के जरिये यह भी दिखाया कि विभिन्न देश अमेरिका प्रोडक्ट पर कितना शुल्क लगाते हैं. इसमें भारत, चीन, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ (ईयू) जैसे देशों द्वारा लगाए जाने वाले शुल्क के साथ-साथ उनपर लगाए जाने वाले जवाबी शुल्क का भी जिक्र था.
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