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Budget 2025: रत्न और आभूषण उद्योग ने आगामी बजट में GST घटाकर 1% करने की रखी मांग

Union Budget 2025 : GJC के चेयरमैन राजेश रोकड़े का कहना है कि सोने की बढ़ती कीमतों के कारण मौजूदा जीएसटी दर उद्योग और ग्राहकों, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों, के लिए भारी साबित हो रही है. उनका मानना है कि कर घटने से उपभोक्ता खरीदारी करने में अधिक सक्षम होंगे.

Budget 2025: रत्न और आभूषण उद्योग ने आगामी बजट में GST घटाकर 1% करने की रखी मांग
Union Budget 2025 Expectations: GJC ने यह भी सुझाव दिया है कि प्राकृतिक और लैब में बने हीरों पर अलग-अलग जीएसटी दर हो.
नई दिल्ली:

रत्न और आभूषण उद्योग ने सरकार से आगामी बजट में जीएसटी घटाने की मांग की है. अखिल भारतीय रत्न और आभूषण घरेलू परिषद (GJC) ने कहा है कि मौजूदा 3% जीएसटी को 1% तक कम किया जाए, जिससे उद्योग और ग्राहकों पर पड़ने वाला बोझ कम हो सके.

जीएसटी कम करने की क्यों हो रही मांग?

GJC के चेयरमैन राजेश रोकड़े का कहना है कि सोने की बढ़ती कीमतों के कारण मौजूदा जीएसटी दर उद्योग और ग्राहकों, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों, के लिए भारी साबित हो रही है. उनका मानना है कि कर घटने से उपभोक्ता खरीदारी करने में अधिक सक्षम होंगे और अनुपालन बढ़ेगा.

लैब में बने हीरों के लिए रियायती GST दर लागू करने का आग्रह

GJC ने यह भी सुझाव दिया है कि प्राकृतिक और लैब में बने हीरों पर अलग-अलग जीएसटी दर हो. इससे प्रयोगशाला में बने हीरों के टिकाऊ और किफायती गुणों को पहचानने में मदद मिलेगी. वर्तमान में, प्राकृतिक और प्रयोगशाला में उगाए गए दोनों ही हीरों पर एक ही जीएसटी दर लागू है. निकाय ने कहा कि लैब में बनाए गए हीरों के लिए रियायती जीएसटी दर लागू करने की आवश्यकता है.

विशेष मंत्रालय की मांग

रत्न और आभूषण घरेलू परिषद ने आभूषण उद्योग के लिए एक समर्पित मंत्रालय, राज्यवार नोडल कार्यालय, और एक केंद्रीय मंत्री नियुक्त करने का भी अनुरोध किया है.

EMI और स्वर्ण मौद्रीकरण योजना में सुधार की जरूरत

GJC के वाइस चेयरमैन अविनाश गुप्ता ने कहा, ‘‘हम सरकार से आभूषणों की खरीद के लिए EMI सुविधा शुरू करने पर विचार करने का अनुरोध करते हैं, जो उद्योग की लंबे समय से मांग रही है. साथ ही, स्वर्ण मौद्रीकरण योजना में भी सुधार की आवश्यकता है क्योंकि इसमें अर्थव्यवस्था में बेकार पड़े घरेलू सोने को बाहर निकालने की क्षमता है और इस प्रकार हमें आत्मनिर्भर बनने और कम आयात करने में मदद मिलेगी.''

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