
- भारत में त्योहारी सीजन की शुरुआत हो चुकी है, जिसमें बाजारों में रिकॉर्ड तोड़ बिक्री की उम्मीद जताई जा रही है
- प्रधानमंत्री मोदी के स्वदेशी आह्वान और हाल ही में जीएसटी दरों में कटौती ने दिवाली के कारोबार को नई ऊंचाई दी है
- चीनी उत्पादों का बहिष्कार इस बार भी मजबूती से जारी है, जिससे बाजारों में स्वदेशी उत्पादों की मांग बढ़ी है
नवरात्रि और दशहरे के बाद भारत ने महीने भर चलने वाले दिवाली त्योहारी सीजन की शुरुआत कर दी है. देशभर के बाजारों में जबरदस्त रौनक देखने को मिल रही है. व्यापारी इस बार रिकॉर्ड तोड़ कारोबार की तैयारी में हैं. अनुमान है कि दिवाली की बिक्री 4.75 लाख करोड़ रुपये के ऑल टाइम हाई लेवल को पार करेगी, जिसमें प्रमुख योगदान भारतीय उत्पादों का होगा.
पिछले चार सालों में बिक्री में हो रहा इजाफा
पिछले चार सालों में दिवाली बिक्री में लगातार इजाफा देखने को मिला है. साल 2021 में 1.25 लाख करोड़, 2022 में 2.50 लाख करोड़, 2023 में 3.75 लाख करोड़ और 2024 में 4.25 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था. इस साल का अनुमानित आंकड़ा 4.75 लाख करोड़ रुपये एक नया कीर्तिमान हो सकता है, जो स्वदेशी की भावना और उपभोक्ताओं के मेड इन इंडिया उत्पादों की ओर साफ रुचि को दिखाता है. केवल दिल्ली में ही इस बार त्योहारों की बिक्री का अनुमान 75 हजार करोड़ रुपये लगाया गया है, जो बाजारों की उच्च व्यापारिक भावनाओं को प्रकट करता है.
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय महामंत्री और सांसद श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि नवरात्रि के दौरान कैट ने विभिन्न राज्यों के 35 शहरों में व्यापारिक संगठनों से सर्वे कराया. इस सर्वे में दो प्रमुख कारण सामने आए जो इस बार के त्योहारी कारोबार को नई ऊंचाई दे रहे हैं–
1. पीएम मोदी का स्वदेशी का आह्वान और उनका 'वोकल फॉर लोकल – लोकल फॉर ग्लोबल' का दृष्टिकोण, जिसे उपभोक्ताओं का जबरदस्त समर्थन मिला है.
2. हाल ही में हुई जीएसटी दर कटौती, जिसने व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों को दिवाली से पहले बड़ा तोहफा दिया है और अलग-अलग क्षेत्रों में बिक्री को मजबूत बनाया है.
प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, "इस दिवाली को अपनी दिवाली – भारतीय दिवाली के रूप में कैट के राष्ट्रीय अभियान भारतीय सामान – हमारा स्वाभिमान के अंतर्गत मनाया जाएगा. पीएम मोदी के स्वदेशी आह्वान और जीएसटी दर कटौती ने व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों में नया उत्साह पैदा किया है. इस साल भारतीय बाजार इतिहास की सबसे बड़ी दिवाली बिक्री के गवाह बनेंगे, जो पूरी तरह स्वदेशी उत्पादों पर आधारित होगी."
भारत का त्योहारी कैलेंडर
- अहोई अष्टमी (13 अक्टूबर)
- धनतेरस (18 अक्टूबर)
- नरक चतुर्दशी (19 अक्टूबर)
- दिवाली (20 अक्टूबर)
- गोवर्धन पूजा (21 अक्टूबर)
- भाई दूज (22 अक्टूबर)
- छठ पूजा (25–28 अक्टूबर)
- तुलसी विवाह (2 नवम्बर)
चीनी सामान बाहर, स्वदेशी का दबदबा
चीनी उत्पादों का बहिष्कार हर साल और मजबूती से किया जा रहा है. 2020 की गलवान घाटी घटना के बाद से व्यापारियों और उपभोक्ताओं के चीनी सामान का इस्तेमाल ना करने की वजह से इस दिवाली बाजारों से चीनी उत्पाद लगभग गायब हैं. साथ ही व्यापारियों ने दिवाली से जुड़ा कोई भी सामान चीन से मंगाना पूरी तरह बंद कर दिया है.
भारतीय उत्पादों में दिखा उत्साह
- मिट्टी के दीये
- मूर्तियां
- वॉल हैंगिंग्स
- हैंडीक्राफ्ट
- पूजन सामग्री
- गृह सजावट
- एफएमसीजी
- इलेक्ट्रॉनिक्स
- इलेक्ट्रिकल सामान
प्रवीन खंडेलवाल ने आगे कहा, "दिवाली केवल रोशनी और उल्लास का त्योहार नहीं है, बल्कि यह आर्थिक प्रगति का भी पर्व है. इस दिवाली भारतीय वस्तुओं पर खर्च किया गया हर रुपया देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, रोजगार सृजित करेगा और प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करेगा."
रोशनी, अर्थव्यवस्था और स्वदेशी गर्व का पर्व
रिकॉर्ड बिक्री अनुमानों, सजे-धजे बाजारों और उत्साहित उपभोक्ताओं के साथ, इस साल की दिवाली भारतीय व्यापार इतिहास का नया अध्याय लिखने जा रही है. संदेश साफ है कि इस बार की दिवाली स्वदेशी भावना, भारतीय उत्पाद और वैश्विक आकांक्षा के साथ मनाई जाएगी.
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