जो दूरसंचार ऑपरेटर, यानी टेलीकॉम ऑपरेटर स्पैम कॉल रोकने में नाकाम रहे हैं, और उन पर लगाए गए जुर्माने का भुगतान नहीं किया है, उनसे जुर्माने की वसूली के लिए उनकी बैंक गारंटियों को भुना लिया जाना (एन्कैश करना) चाहिए. बुधवार को प्रकाशित मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, यह आदेश भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने दूरसंचार विभाग (DoT) को दिया है.
मीडिया में प्रकाशित रिपोर्टों के अनुसार, TRAI एक्ट के नियमों का पालन नहीं करने वाली टेलीकॉम कंपनियों का लाइसेंस रद्द करने की ताकत TRAI के पास होती है, लेकिन इसे अंतिम कदम मानते हुए फिलहाल उनकी बैंक गारंटी से ₹115 करोड़ का बकाया वसूलने का प्रस्ताव रखा गया, जो पहली बार किया जा रहा है. यह कदम भी इसलिए उठाया जा रहा है, क्योंकि इन डीफ़ॉल्टर कंपनियों ने कई-कई रिमाइंडर भेजे जाने के बावजूद कोई कार्रवाई या भुगतान नहीं किया.
समाचारपत्रों में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक, सरकारी कंपनियां BSNL और MTNL इस सूची में सबसे बड़े डीफॉल्टर हैं, जिन पर लगभग ₹50 करोड़ का बकाया है. इन दो सरकारी कंपनियों के बाद डीफ़ॉल्टर लिस्ट में भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायन्स जियो के नाम हैं.
अनचाही, अनजानी कॉलों और ऑनलाइन फ़्रॉड की समस्या से निपटने के लिए कुछ ही माह पहले कई सरकारी निकायों ने मिलकर कदम उठाने की योजना बनाई थी. TRAI, SEBI, RBI, केंद्रीय गृह मंत्रालय तथा टेलीकॉम मंत्रालय सहित अनेक शीर्ष नियामकों व मंत्रालयों ने मिलकर योजना तैयार की थी.
मीडिया रिपोर्टों में यह भी बताया गया था कि टेलीकॉम कैरियरों ने कुछ सेक्टरों में कॉलर आईडी सेवा भी सरकार और TRAI के दबाव में आकर ही शुरू की थी.
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