देश का केंद्रीय बैंक यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) क्रॉस बॉर्डर रिटेल पेमेंट के नेक्सस में और विस्तार करने जा रहा है. आने वाले समय में RBI यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी UPI जैसे डोमेस्टिक फास्ट पेमेंट सिस्टम (FPS) को सरहद पार बैठे लोगों के बीच ट्रांजैक्शन का आसान मीडियम बनाएगा. RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि 6 देशों के साथ RBI प्रोजेक्ट नेक्सस के फाउंडिंग मेंबर में शामिल है. अगले साल से फिलीपींस, मलेशिया, और थाईलैंड के फास्ट पेमेंट सिस्टम को UPI से जोड़ दिया जाएगा, जिससे इन देशों के नागरिक UPI से पैसों का डिजिटल ट्रांजैक्शन करने में सक्षम होंगे.
NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि RBI ने कई देशों के साथ QR कोड आधारित पेमेंट सिस्टम शुरू किया है. सिंगापुर के साथ भी फास्ट पेमेंट का सिस्टम शुरू किया गया है. UAE के साथ भी फास्ट पेमेंट का सिस्टम शुरू करने वाले हैं. इंडोनेशिया भी भविष्य में UPI पेमेंट सिस्टम से जुड़ सकता है. इसके पीछे हमारा मकसद UPI का ग्लोबली विस्तार करना और इसे एक मॉडल बनाना है.
कब लॉन्च हुआ UPI?
मोदी सरकार ने 11 अप्रैल 2016 को UPI लॉन्च किया था. UPI को नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने बनाया है. भारत में RTGS और NEFT पेमेंट सिस्टम का ऑपरेशन RBI के पास है. जबकि IMPS, RuPay और UPI को NPCI ऑपरेट करती है. बता दें कि सरकार ने 1 जनवरी 2020 से UPI ट्रांजैक्शन के लिए एक जीरो-चार्ज फ्रेमवर्क अनिवार्य किया था.
कैसे ग्लोबल बनता गया भारत का UPI?
भारत अब तक UPI को फ्रांस, श्रीलंका और मॉरीशस में लॉन्च कर चुका है. रूस के साथ एग्रीमेंट साइन हो चुके हैं. सिंगापुर के साथ डील हो चुकी है. UAE के साथ MOU पर साइन हो चुके हैं. इंडोनेशिया के साथ बातचीत जारी है. लैटिन अमेरिका के साथ भी चर्चा चल रही है. अफ्रीका के साथ चीजें फाइनल होनी है.
RBI का AI पर भी ज़ोर
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आने वाले दिनों में बैंकिंग सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के ज्यादा इस्तेमाल पर जोर दिया है. NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में शक्तिकांत दास ने कहा, "सुपरविजन को और मजबूत करने के लिए AI और ऐसे मॉर्डन तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. कई एनालिटिकल टूल्स के जरिए बैंकिंग सेक्टर में समस्याओं का एनालिसिस भी किया जा रहा है. ये एक लगातार चलने वाला प्रोसेस है. हमें इसे रि-एवैलुएट (Re-Evaluated) यानी पुनर्मूल्यांकन करने की जरूरत है."
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शक्तिकांत दास कहते हैं, "RBI का फोकस मुख्य रूप से देश की वित्तीय और मौद्रिक स्थिरता सुनिश्चित करना है. हम एक नॉन फ्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन हैं. इसलिए हम हर साल सरकार को कोई फ्रॉफिट या लॉस नहीं देते, बल्कि सरप्लस ट्रांसफर करते हैं."
डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स के लिए रिपोजिटरी
RBI गवर्नर ने कहा, "साइबर अटैक एक बड़ा खतरा है, जो टेक्नोलॉजी के डेवलपमेंट के साथ-साथ बढ़ता जा रहा है. बैंकिंग सिस्टम में हमने ग्राहकों में साइबर अटैक के बारे में जागरूकता फैलाने पर काम किया है. हम डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स को लेकर भी एक पब्लिक रिपोजिटरी बना रहे हैं.'' शक्तिकांत दास कहते हैं, "हम साइबर सिक्योरिटी को लेकर नियमित रूप से बैंकों और NBFCs के संपर्क में हैं. साइबर सिक्योरिटी की क्वालिटी में सुधार के लिए हम लगातार उनके साथ काम कर रहे हैं."
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पहले से सुधरा है बैंकिंग सिस्टम का गवर्नेंस स्टैंडर्ड
शक्तिकांत दास ने कहा, "बैंकिंग सेक्टर में RBI ने पिछले 5-6 साल में रिस्क मैनेजमेंट, कंप्लिएन्स कल्चर (Compliance Culture) जैसे गवर्नेंस रिलेटेड पहलुओं में सुधार करने की कोशिश की है. देश के बैंकिंग सिस्टम में ओवरऑल गवर्नेंस स्टैंडर्ड पिछले कुछ सालों में काफी सुधरा है."
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