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चीन को लेकर CLSA ने मानी अपनी गलती, अब 'ड्रैगन' को छोड़ भारतीय बाजार में करेगा ज्यादा निवेश

CLSA का यह रुख भारतीय बाजारों के लिए एक अच्छा संकेत है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों के दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारत से बड़े पैमाने पर पैसे बाहर निकाले हैं. इस स्थिति में एक इंटरनेशनल ब्रोकरेज फर्म के रुख में आए बदलाव का पॉजिटिव असर दिख सकता है.

चीन को लेकर CLSA ने मानी अपनी गलती, अब 'ड्रैगन' को छोड़ भारतीय बाजार में करेगा ज्यादा निवेश
मुंबई:

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की वापसी और तेजी से बढ़ती भारत की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को देखते हुए इंटरनेशनल ब्रोकरेज फर्म CLSA Limited ने  निवेश से जुड़े अपने रुख में बड़ा बदलाव किया है. हांगकांग स्थित CLSA ने ऐलान किया है कि अब वह चीन में निवेश कम करेगा और भारत पर फोकस करते हुए वहां निवेश को बढ़ाएगा. इंटरनेशनल ब्रोकरेज फर्म की तरफ से ये फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब चीन की अर्थव्यवस्था चुनौतियों का सामना कर रही है. जबकि भारत में निवेश की संभावनाएं हर दिन बेहतर नजर आ रही हैं. 

CLSA ने एक रिपोर्ट 'Pouncing Tiger, Prevaricating Dragon' में इसकी जानकारी दी है. एनालिस्ट अलेक्जेंडर रेडमैन और वेई शेंग वान ने कहा, "PBOC प्रोत्साहन के लिए शुरुआती प्रतिक्रिया खरीदने के बजाय किराए पर लेने की थी. फिर भी हमने अक्टूबर की शुरुआत में अपने कुछ ओवरएक्सपोजर को चीन में तैनात करके फंडिंग की प्रतिबद्धता जताई. हमने 14 नवंबर 2024 को अपनी रिपोर्ट 'पॉउंसिंग टाइगर, प्रीवेरिकेटिंग ड्रैगन' में ये बात कही थी. अब हम अपना रुख बदलते हैं."

CLSA की रिपोर्ट में कहा गया, "हम फिक्रमंद हैं कि शुरुआती प्रोत्साहन के बाद चीन में निवेश करने वाले निवेशकों से नुकसान हो सकता है. इसलिए हम अक्टूबर की शुरुआत में अपने टैक्टिकल एलोकेशन यानी सामरिक आवंटन को लेकर लिया गया फैसला बदलते हैं. हम आगे से चीन पर एक बेंचमार्क लगाएंगे और भारत पर 20% ज्यादा निवेश करेंगे."

इंडियन मार्केट के लिए अच्छा संकेत
CLSA का यह रुख भारतीय बाजारों के लिए एक अच्छा संकेत है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों के दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारत से बड़े पैमाने पर पैसे बाहर निकाले हैं. इस स्थिति में एक इंटरनेशनल ब्रोकरेज फर्म के रुख में आए बदलाव का पॉजिटिव असर दिख सकता है. CLSA ने इस बात पर भी गौर किया है कि भारत की विकास दर मजबूत बनी हुई है. ऐसे में ग्रोथ का सबसे सबसे मजबूत मौका भारत में ही नजर आ रहा है. भारतीय स्टॉक्स की लॉन्ग टर्म वैल्यूएशन ने भी निवेशकों को अपनी तरफ खींचा है.

CLSA का मानना है कि अमेरिका और चीन के जारी व्यापारिक तनाव की वजह से चीन की एक्सपोर्ट आधारित अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है. CLSA ने इसके साथ ही चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (NPC) की घोषित इन्सेंटिव पॉलिसी को भी कमजोर बताया है.

बढ़ती महंगाई ने चीन के लिए खड़ी की चुनौतियां
इस ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के साथ-साथ बढ़ती महंगाई ने चीन की मॉनिटरी पॉलिसी के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. इसके अलावा चीन के मार्केट में एसेट्स पर मिलने वाला रिस्क प्रीमियम भी घट गया है. लिहाजा फॉरिन इंवेस्टर्स के लिए चीन का मार्केट अब पहले जितना अहम नहीं रहा.  CLSA ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि चीन का मार्केट अब उतना प्रॉफिटेबल नहीं दिखता है. इसलिए उसे भारत की ओर मूव करना चाहिए.

घरेलू मांग में सुधार करना जरूरी
चीन के लिए अपने घरेलू मांग में सुधार करना बहुत जरूरी है. खासतौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति में चुनाव डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद ऐसा करना जरूरी हो गया है. ट्रंप ने ज्यादातर चीनी एक्सपोर्ट पर 60% टैरिफ लगाने की बात कही है. चीन की तरफ से एक्सपोर्ट का घटना चीनी अर्थव्यवस्था के लिए एक झटके के समान होगा. क्योंकि चीन के एक्सपोर्ट को ड्यूटी बढ़ने का घाटा झेलना पड़ेगा.
 

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