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बैटरी बनाने वाली कंपनी BYD कैसे बनी EV इंडस्ट्री की दिग्गज? मस्क के मजाक से टेस्ला के टक्कर तक की कहानी

BYD यानी "Build Your Dreams"— इस कंपनी की शुरुआत 1995 में एक केमिस्ट ने की थी. तब यह मोबाइल बैटरी बनाने वाली कंपनी थी. लेकिन आज इलेक्ट्रिक कार इंड्रस्टी की दिग्गज बन चुकी है.

एक समय था जब BYD को लेकर Elon Musk ने मजाक उड़ाया था. लेकिन आज? BYD ने न सिर्फ Tesla को पीछे छोड़ दिया बल्कि दुनिया की छठी सबसे बड़ी ऑटो कंपनी बन गई! चीन की ये कंपनी कैसे एक बैटरी बनाने वाली फर्म से EV इंडस्ट्री की दिग्गज कंपनी बन गई? कैसे सरकार की मदद, इनोवेशन और सही रणनीतियों ने इसे दुनिया में नंबर वन बना दिया? और अब अमेरिका-यूरोप की पॉलिसी इस पर क्यों भारी पड़ रही है? समझिए पूरी कहानी आसान भाषा में. 

BYD का जन्म: बैटरी से ऑटोमोबाइल तक का सफर

BYD यानी "Build Your Dreams"— इस कंपनी की शुरुआत 1995 में एक केमिस्ट Wang Chuanfu ने की थी. उस वक्त उनकी नजर ऑटो इंडस्ट्री पर नहीं, बल्कि जापानी कंपनियों के बैटरी मार्केट पर थी. Wang को लगा कि चीन में भी रीचार्जेबल बैटरी बनाई जा सकती हैं और उन्होंने अपने कज़िन से $3.5 लाख डॉलर का लोन लेकर BYD की नींव रखी. शुरुआत में कंपनी मोबाइल फोन और पावर टूल्स के लिए बैटरी बनाती थी.

Motorola से पहली सफलता

2000 में BYD को पहली बड़ी सफलता मिली जब उसने अमेरिकी मोबाइल दिग्गज Motorola को बैटरियां सप्लाई करना शुरू किया. इसके पीछे थी Stella Li, जिन्होंने अपनी खराब इंग्लिश के बावजूद Motorola के अधिकारियों को BYD की बैटरी बेचने के लिए महीनों तक परेशान किया. आखिरकार, Motorola ने कम कीमत के कारण BYD की बैटरियों को टेस्ट किया और कंपनी का ग्रोथ रफ्तार पकड़ने लगा.

2003: ऑटो इंडस्ट्री में एंट्री

2003 में Wang ने एक बड़ा रिस्क लिया—एक फेल हो चुकी सरकारी कार कंपनी Xi'an Qinchuan Auto Co. को खरीदकर BYD को ऑटो इंडस्ट्री में उतार दिया. मजेदार बात ये थी कि Wang खुद कार चलाना भी नहीं जानते थे! 2005 में BYD ने अपनी पहली पेट्रोल कार F3 लॉन्च की. लेकिन असली धमाका 2008 में हुआ, जब कंपनी ने अपना पहला हाइब्रिड मॉडल F3DM लॉन्च किया और इलेक्ट्रिक कारों के गेम में एंट्री ले ली.

Warren Buffett का निवेश और कंपनी की ग्रोथ

2008 में Warren Buffett की कंपनी Berkshire Hathaway ने $230 मिलियन (230 मिलियन डॉलर) का निवेश किया. इसके बाद BYD को ग्लोबल पहचान मिलने लगी. आज ये कंपनी पूरी तरह EV और हाइब्रिड गाड़ियों पर फोकस कर रही है और लगभग 95 देशों में अपने वाहन बेच रही है.

BYD की सफलता के 4 बड़े कारण

1. चीनी सरकार की तगड़ी मदद

BYD की कामयाबी सिर्फ इनोवेशन की वजह से नहीं, बल्कि इसमें चीनी सरकार का भी बड़ा हाथ रहा है. 2009 से चीन ने EV सब्सिडी और सरकारी सपोर्ट देना शुरू किया. 2015 से 2020 तक BYD को $4.3 बिलियन की सरकारी मदद मिली. सरकार ने कम ब्याज पर लोन और इक्विटी फंडिंग मुहैया कराई जिससे कंपनी तेजी से मैन्युफैक्चरिंग और R&D में पैसा लगा सकी. Rhodium Group के Gregor Sebastian के मुताबिक BYD को "मार्केट से कम दरों पर फंडिंग" मिलती रही जिससे उसने बड़े पैमाने पर उत्पादन और रिसर्च को बढ़ाया.

2. गेमचेंजर Blade Battery

2020 में BYD ने Blade Battery लॉन्च की—जो इसकी सबसे बड़ी इनोवेशन साबित हुई. ये एक Lithium Iron Phosphate (LFP) बैटरी थी, जिसे पहले EV इंडस्ट्री ने कम एनर्जी डेंसिटी के कारण रिजेक्ट कर दिया था. लेकिन BYD ने इसमें टेक्निकल सुधार किए, जिससे ये ज्यादा एनर्जी स्टोर करने लगी और ज्यादा सुरक्षित भी हो गई. आज इस बैटरी को Toyota समेत कई कंपनियां इस्तेमाल कर रही हैं.


3. COVID के दौरान मास्क मैन्युफैक्चरिंग से तगड़ा मुनाफा

जब 2020 में कोरोना महामारी फैली, तो BYD ने अपनी फैक्ट्रियों में N95 मास्क बनाने शुरू कर दिए. कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी मास्क निर्माता बन गई और SoftBank, कैलिफोर्निया सरकार जैसी बड़े क्लाइंट्स से $1 बिलियन डॉलर से ज्यादा की कमाई की. इसकी वजह से BYD के वर्कर्स को फैक्ट्री में रोकना आसान हुआ और कार उत्पादन नहीं रुका, जबकि दूसरी ऑटो कंपनियों को भारी नुकसान झेलना पड़ा. साथ ही, BYD ने अपनी ही सेमीकंडक्टर यूनिट से चिप सप्लाई जारी रखी, जबकि बाकी कंपनियां चिप शॉर्टेज से जूझ रही थीं.


4. ग्लोबल एक्सपैंशन की आक्रामक रणनीति

BYD ने Tesla समेत बाकी EV कंपनियों को टक्कर देने के लिए अलग-अलग बाजारों में अपनी रणनीति बदली. Southeast Asia में BYD की EV मार्केट में 43% हिस्सेदारी है. कंपनी किसी भी नए देश में घुसने से पहले वहां की जरूरतें समझती है और उसी के हिसाब से वाहन बेचती है. उदाहरण के लिए: लंदन में BYD ने पहले इलेक्ट्रिक बसें बेचीं, फिर कारों को प्रमोट किया. जकार्ता में भी पहले बसें उतारीं, फिर पर्सनल कार मार्केट में घुसी.


BYD के आगे की चुनौतियां

1. अमेरिका और यूरोप की पॉलिसी बाधाएं

अमेरिका ने BYD पर 100% इम्पोर्ट टैक्स लगा दिया है. यूरोपियन यूनियन ने 17% टैरिफ बढ़ा दिया है. इससे BYD के लिए इन देशों में विस्तार करना मुश्किल हो सकता है.

2. भारत में कमजोर पकड़

BYD भारत में EV इंडस्ट्री का सिर्फ 3% मार्केट शेयर रखती है, जबकि यहां 2029 तक $113.99 बिलियन की EV इंडस्ट्री बनने का अनुमान है. इसका मुख्य कारण ये है कि भारत में BYD का कोई स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग प्लांट नहीं है, जिससे इसके वाहनों पर 110% इम्पोर्ट ड्यूटी लगती है. सरकार ड्यूटी कम करने पर विचार कर रही है, लेकिन अभी कोई फैसला नहीं हुआ है.

क्या BYD Tesla को पूरी तरह पछाड़ देगा?

BYD की ग्रोथ धमाकेदार रही है. 2024 में इसका कुल राजस्व $107 बिलियन रहा, जो Tesla के $97.7 बिलियन से ज्यादा है. इसने 4.3 मिलियन EV और हाइब्रिड कारें बेचीं, जिससे यह Honda को पछाड़कर दुनिया की छठी सबसे बड़ी ऑटो कंपनी बन गई. हालांकि, अब इसकी सबसे बड़ी चुनौती अमेरिका और यूरोप की टैरिफ बाधाएं और भारत में कमजोर पकड़ होगी. क्या BYD इन चुनौतियों को पार करके दुनिया की सबसे बड़ी ऑटो कंपनी बन सकेगी? इसका जवाब आने वाले सालों में मिलेगा!

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