अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्टों पर ड्यूटी फ्री दुकानों पर शराब खरीदने की सीमा कम करने के वाणिज्य मंत्रालय के प्रस्ताव के खिलाफ विरोध बढ़ता जा रहा है. मंगलवार को प्राइवेट एयरपोर्टों ने एक रिलिज़ जारी कर कहा, 'अगर ये प्रस्ताव लागू किया गया तो एयरपोर्टों पर 8000 से 10000 तक नौकरियां जा सकती हैं.' बजट से पहले वाणिज्य मंत्रालय की इस सिफ़ारिश के खिलाफ कि हवाई अड्डों पर ड्यूटी फ्री शॉप से शराब की बोतलों की खरीद का कोटा कम किया जाए- इसे दो बोतल से एक बोतल किया जाए- प्राइवेट एयरपोर्ट ऑपरेटरों ने मोर्चा खोल दिया है. एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट एयरपोर्ट ऑपरेटर्स के सेक्रेटरी जनरल सत्यन नैयर ने एनडीटीवी से कहा - शराब की बोतल खरीदने की सीमा घटाई जाती है तो यह उड्डयन उद्योग को तबाह कर देगा. इसकी वजह से 8 से 10,000 लोगों की नौकरियां जा सकती हैं.
सभी हवाई अड्डों को 650 करोड़ रुपये सालाना का घाटा होगा. हवाई अड्डे से जुड़े चार्ज 200 करोड़ बढ़ाने पड़ेंगे और एयर टिकट भी महंगे होंगे. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया का अनुमानित नुक़सान करीब 330 करोड़ का होगा. दरअसल ये विवाद ऐसे समय पर खड़ा हुआ है जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजटीय प्रस्ताव को अंतिम रूप देने में जुटी हैं.
एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट एयरपोर्ट ऑपरेटर्स का मानना है कि ड्यूटी फ्री दुकानों में बिकने वाली शराब के आयात पर करीब 720 करोड़ का खर्च आता है जबकि भारत का कुल आयात बिल 33.22 लाख करोड़ है. यानी शराब के आयात पर खर्च कुल आयात का सिर्फ 0.25% है.
प्राइवेट एयरपोर्ट ऑपरेटर पहले ही वित्त मंत्री को दिए प्री-बजट मेमोरेंडम में लिकर अलाउन्स मौजूदा 2 लीटर से बढ़ाकर 4 लीटर करने की मांग कर चुके हैं. साफ है, प्राइवेट एयरपोर्ट ऑपरेटर चाहते हैं कि बजट में वित्त मंत्री लिकर अलाउंस बढ़ाने पर विचार करें, जबकि वाणिज्य मंत्रालय इसे घटाने के पक्ष में है. ऐसे में वित्त मंत्री के लिए इस प्रस्ताव पर फैसला करने आसान नहीं होगा.
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