प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
उद्योग व वाणिज्य क्षेत्र का प्रमुख संगठन पीएचडी चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री ने वित्त मंत्रालय से कॉरपोरेट टैक्स 25 फीसदी से कम करने की मांग की है. इसके अलावा संगठन ने न्यूनतम वैकल्पिक कर (एमएटी) में भी कटौती की करने की मांग की है. उद्योग संगठन ने चिकित्सा प्रतिपूर्ति की सीमा में वृद्धि की अपनी मांग दोहराई है और वेतनभोगी वर्ग के लिए इसे 15,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये करने की मांग की है.
एक फरवरी को संसद में पेश होने वाले आम बजट से पहले मंत्रालय को भेजे अपने ज्ञापन में चैम्बर ने कहा है कि 18.5 प्रतिशत एमएटी की मौजूदा दर सरचार्ज और सेस समेत 20 प्रतिशत के करीब बैठती है और यह बहुत ज्यादा है तथा 2018-19 के आगामी बजट प्रस्तावों में इसे दुरुस्त किए जाने की आवश्यकता है.
पीएचडी चैम्बर के प्रेसिडेंट अनिल खेतान ने एमएटी दरों को दुरुस्त किए जाने की मांग की है और कहा है कि एमएटी की शुरुआत के पीछे मकसद यही था कि शून्य टैक्स वाली सभी कंपनियों को कर सीमा में ले आया जाए क्योंकि यह कराधान बहुत पहले 2000 में 7.5 प्रतिशत पर शुरू किया गया था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
एक फरवरी को संसद में पेश होने वाले आम बजट से पहले मंत्रालय को भेजे अपने ज्ञापन में चैम्बर ने कहा है कि 18.5 प्रतिशत एमएटी की मौजूदा दर सरचार्ज और सेस समेत 20 प्रतिशत के करीब बैठती है और यह बहुत ज्यादा है तथा 2018-19 के आगामी बजट प्रस्तावों में इसे दुरुस्त किए जाने की आवश्यकता है.
पीएचडी चैम्बर के प्रेसिडेंट अनिल खेतान ने एमएटी दरों को दुरुस्त किए जाने की मांग की है और कहा है कि एमएटी की शुरुआत के पीछे मकसद यही था कि शून्य टैक्स वाली सभी कंपनियों को कर सीमा में ले आया जाए क्योंकि यह कराधान बहुत पहले 2000 में 7.5 प्रतिशत पर शुरू किया गया था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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