कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
नरेंद्र मोदी सरकार के इस कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को संसद में पेश किया. इस बजट में सरकार की ओर से कई घोषणाएं की गईं. पीएम मोदी ने इस बजट का स्वागत किया और वित्तमंत्री को इस बजट के लिए बधाई दी.
वहीं, इस बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनमोहन सिंह ने कहा कि इस बजट में उनकी चिंता बजटीय घाटे (फिस्कल) को लेकर है. उन्होंने कहा कि सरकार यह पूरा कैसे करेगी उन्हें इस बात की चिंता है. उन्होंने कहा कि सरकार ने एमएसपी 50 प्रतिशत से ज्यादा की घोषणा की है, इसका बजटीय प्रावधान कैसे होगा, यह भी विचारणीय है.
मनमोहन सिंह ने कहा कि वह इस बजट को राजनीतिक बजट या चुनावपूर्व बजट नहीं कहेंगे. उन्होंने कहा कि मेरी चिंता आर्थिक स्थिति को मजबूत करने को लेकर है. रिफॉर्म बजट के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस शब्द का गलत इस्तेमाल काफी हुआ है. मनमोहन सिंह ने लंबे समय में आय की योजनाओं को कर के दायरे में लाने के मुद्दे पर ज्यादा कुछ नहीं कहा.
उधर, बजट के मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
वहीं, इस बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनमोहन सिंह ने कहा कि इस बजट में उनकी चिंता बजटीय घाटे (फिस्कल) को लेकर है. उन्होंने कहा कि सरकार यह पूरा कैसे करेगी उन्हें इस बात की चिंता है. उन्होंने कहा कि सरकार ने एमएसपी 50 प्रतिशत से ज्यादा की घोषणा की है, इसका बजटीय प्रावधान कैसे होगा, यह भी विचारणीय है.
मनमोहन सिंह ने कहा कि वह इस बजट को राजनीतिक बजट या चुनावपूर्व बजट नहीं कहेंगे. उन्होंने कहा कि मेरी चिंता आर्थिक स्थिति को मजबूत करने को लेकर है. रिफॉर्म बजट के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस शब्द का गलत इस्तेमाल काफी हुआ है. मनमोहन सिंह ने लंबे समय में आय की योजनाओं को कर के दायरे में लाने के मुद्दे पर ज्यादा कुछ नहीं कहा.
उधर, बजट के मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने गुरुवार को कहा कि वित्तमंत्री अरुण जेटली राजकोषीय समेकन परीक्षा में विफल रहे, जिसका आर्थिक वृद्धि दर पर 'गंभीर परिणाम' होगा. चिदंबर ने ट्वीट किया, "वर्ष 2017-18 में राजकोषीय घाटा सीमा 3.2 प्रतिशत से बढ़ कर अब 3.5 प्रतिशत होने का अनुमान है."
चिदंबरम ने कहा, "वर्ष 2018-19 में तीन प्रतिशत के बजाए, उन्होंने(जेटली) ने राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत तय कर दिया। इस विफलता के गंभीर परिणाम होंगे."
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