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This Article is From Feb 01, 2017

इस योजना को पीएम मोदी ने बताया था कांग्रेस की विफलता का स्मारक, अब इसी से करेंगे विकास

इस योजना को पीएम मोदी ने बताया था कांग्रेस की विफलता का स्मारक, अब इसी से करेंगे विकास
वर्ष 2015 में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए लोकसभा में पीएम नरेंद्र मोदी...
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मनरेगा को इस बजट में 48000 करोड़ रुपये के कोष का आवंटित
पिछले बजट में सरकार ने आवंटित किए थे 36,997 करोड़ रुपये
मनरेगा की मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही आलोचना की थी
नई दिल्ली: भारत में गरीबी हटाने के लिए सबसे बड़ी योजनाओं में से एक मनरेगा को इस बजट में 48000 करोड़ रुपये के कोष का आवंटन किया गया है. यानी इस साल वित्तमंत्री अरुण जेटली ने साल 2017-18 के बजट में मनरेगा के लिए आवंटन 11 हजार करोड़ रुपए का इजाफा करते हुए इसे 48 हजार करोड़ रुपए कर दिया है. पिछले बजट में मोदी सरकार ने मनरेगा का कोष आवंटन 36,997 करोड़ रुपये दिया था. जो कि इससे पहले 33,000 करोड़ रुपए था. गौर करने लायक बात यह है कि मनरेगा की मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही आलोचना की थी. खबरें तो यहां तक आई थीं कि सरकार इस योजना को समाप्त करने जा रही है. लेकिन अब सरकार ने मनरेगा को ही ग्रामीण विकास का जरिया मान लिया है.

यह कहा था पीएम नरेंद्र मोदी ने...
वर्ष 2015 में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए लोकसभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हम विरासत में मिली पुरानी समस्याओं के समाधान की कोशिश कर रहे हैं. प्रमुख विपक्षी कांग्रेस का नाम लिए बिना उन्हें करारा जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "मेरी राजनैतिक सूझबूझ कहती है, मनरेगा कभी बंद मत करो... मैं ऐसी गलती कभी नहीं कर सकता, क्योंकि मनरेगा आपकी विफलताओं का जीता-जागता स्मारक है... आज़ादी के 60 साल बाद आपको लोगों को गड्ढे खोदने के लिए भेजना पड़ा... यह आपकी विफलताओं का स्मारक है, और मैं गाजे-बाजे के साथ इस स्मारक का ढोल पीटता रहूंगा... दुनिया को बताऊंगा, ये गड्ढे जो तुम खोद रहे हो, ये 60 सालों के पापों का परिणाम हैं... इसलिए मेरी राजनैतिक सूझबूझ पर आप शक मत कीजिए... मनरेगा रहेगा, आन-बान-शान के साथ रहेगा, और गाजे-बाजे के साथ दुनिया में बताया जाएगा... हां, एक बात और ज़रूरी है, क्योंकि मैं देशहित के लिए जीता हूं और इसमें (मनरेगा में) से देश का अधिक भला कैसे हो, उन गरीबों का भला कैसे हो, उसके लिए इसमें जो जोड़ना पड़ेगा, हम जोड़ेंगे..."

कहीं नोटबंदी तो नहीं रही बजट आवंटन की वजह
माना जाता है कि यह योजना करीब 50 मिलियन लोगों को जॉब प्रदान करती है. आज के बजट में ग्रामीण व्यय पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया गया. माना जा रहा है कि नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए यह कदम उठाया गया है. मनरेगा का बजट बढ़ाने से गरीबों को रोजगार मिलेगा और नोटबंदी की मार झेल चुके वर्ग को कुछ सहारा मिलेगा. यह भी सही है कि नोटबंदी के दर्द के बावजूद ग्रामीण क्षेत्र से पीएम मोदी को जबर्दस्त समर्थन मिला है. मनरेगा स्कीम को 2006 में यूपीए सरकार ने लागू किया था जिसका उद्देश्य ग्रामीण लोगों को 100 दिन का गारंटीशुदा रोजगार प्रदान करना है. माना गया कि फसल के नुकसान, सूखे की स्थिति में मनरेगा योजना काफी मददगार साबित होती है. हालांकि 2013 की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया कि इस योजना को सही ढंग से लागू नहीं किया गया.

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