देश की 65 प्रतिशत आबादी 35 साल से कम आयु की है.
नई दिल्ली:
पिछले एक दशक में जॉब विहीन वृद्धि सरकारों के लिए बड़ा सिरदर्द रहा है. यानी देश में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार तो तेज हुई है लेकिन उस मुकाबले में रोजगार सृजित नहीं हुआ है. इसके साथ ही खास बात पिछले एक दशक में यह रही है कि शहरीकरण की गति में तेजी हुई है. स्पष्ट है कि शहरीकरण बढ़ने के साथ रोजगार पर दबाव बढ़ता है. शहरों में आए नए लोग रोजगार की आकांक्षा रखते हैं. इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार वैसे तो पहले से ही युवाओं के कौशल विकास कार्यक्रम को शुरू कर चुकी है लेकिन आर्थिक सर्वे के संकेत बताते हैं कि युवाओं के लिहाज से रोजगार की दर बढ़ाने और युवाओं को बाजार की मांग के अनुरूप प्रशिक्षित, कुशल बनाने के लिए सरकार नए उपायों की घोषणा कर सकती है.
उल्लेखनीय है कि भारत इस वक्त दुनिया का सबसे युवा देश है. यहां की 65 प्रतिशत आबादी 35 साल से कम आयु की है. ये ऐसा तबका है जो सबसे अधिक उत्पादक होता है और रोजगार की आकांक्षा रखता है. इसके लिए रोजगार पैदा करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. यह इसलिए भी अहम है क्योंकि दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाएं लंबे समय से सुस्ती दिखा रही हैं. इस वैश्विक अर्थव्यवस्था में उसके असर से पूरी दुनिया प्रभावित है. इन मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए आर्थिक विश्लेषक मान रहे हैं कि इस बार के बजट में युवाओं पर विशेष ध्यान दिए जाने की उम्मीद है. इस संबंध में कुछ अहम घोषणाएं हो सकती हैं.
इसके अलावा नोटबंदी की वजह से अर्थशास्त्रियों की राय है कि तात्कालिक रूप से कुछ समय के लिए मंदी के दौर से देश को गुजरना पड़ सकता है. इससे संगठित क्षेत्र के अलावा असंगठित क्षेत्र के प्रभावित होने की संभावना है. इस लिहाज से भी सबसे ज्यादा प्रभाव रोजगार पर पड़ने की आशंका है. नतीजतन इस क्षेत्र में विशेष ध्यान देते हुए सरकार युवाओं के लिए बड़ी घोषणाएं कर सकती है.
उल्लेखनीय है कि भारत इस वक्त दुनिया का सबसे युवा देश है. यहां की 65 प्रतिशत आबादी 35 साल से कम आयु की है. ये ऐसा तबका है जो सबसे अधिक उत्पादक होता है और रोजगार की आकांक्षा रखता है. इसके लिए रोजगार पैदा करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. यह इसलिए भी अहम है क्योंकि दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाएं लंबे समय से सुस्ती दिखा रही हैं. इस वैश्विक अर्थव्यवस्था में उसके असर से पूरी दुनिया प्रभावित है. इन मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए आर्थिक विश्लेषक मान रहे हैं कि इस बार के बजट में युवाओं पर विशेष ध्यान दिए जाने की उम्मीद है. इस संबंध में कुछ अहम घोषणाएं हो सकती हैं.
इसके अलावा नोटबंदी की वजह से अर्थशास्त्रियों की राय है कि तात्कालिक रूप से कुछ समय के लिए मंदी के दौर से देश को गुजरना पड़ सकता है. इससे संगठित क्षेत्र के अलावा असंगठित क्षेत्र के प्रभावित होने की संभावना है. इस लिहाज से भी सबसे ज्यादा प्रभाव रोजगार पर पड़ने की आशंका है. नतीजतन इस क्षेत्र में विशेष ध्यान देते हुए सरकार युवाओं के लिए बड़ी घोषणाएं कर सकती है.
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