
एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मुक्केबाज अमित पंघाल के लिये लॉकडाउन का मतलब फिट रहने और परिवार के साथ समय बिताने तक ही सीमित नहीं रहा. उन्होंने इस बीच अपने गांव के किसानों की परेशानियां देखी और सरकार से मदद की अपील की. यह 24 वर्षीय खिलाड़ी मायना गांव का रहने वाला है, जो रोहतक से पांच किमी की दूरी पर स्थित है. लॉकडाउन के कारण अभ्यास शिविर बंद होने से पिछले कई वर्षों में पहली बार उन्हें गर्मियों का समय अपने घर में बिताने का मौका मिला.
मेरे गांव और आस पास के गाँव की गैंहू का नुकसान मार्च के महीने में ओलावृष्टि के दौरान हुआ था।आज इन किसानों की हालत दयनीय हो चुकी है, खाने तक के गैंहू नही निकले।गिरदावरी हुए महीनों हो गए मुवावजा नहीं पहुँचा। हरयाणा सरकार कुछ करे। @cmohry
— Amit Panghal (@Boxerpanghal) May 12, 2020
सेना में कार्यरत पंघाल ने इस बीच अपने पिता विजेंदर सिंह पंघाल की गेहूं की कटाई में मदद की और इस बीच उन्हें बेमौसम बरसात और कोरोना वायरस के चलते लगाये गये लॉकडाउन के कारण किसानों की परेशानियों से रू-ब-रू होने का भी मौका मिला. विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज पंघाल ने कहा, ‘‘मेरा गांव और 13 समीपवर्ती गांव ओला पड़ने और बेमौसम बरसात से प्रभावित रहे. इसके कारण उनकी फसलें नष्ट हो गई.'
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कभी इस तरह की बुरी स्थिति नहीं देखी. अनाज बेचना तो दूर की बात है कुछ किसान तो अपनी आजीविका लायक भी उपज पैदा नहीं कर पाये.' पंघाल ने पिछले महीने कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंग के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष में एक लाख 11 हजार रुपये दिए थे. उन्होंने कहा, ‘‘मैं हरियाणा सरकार से अपील करता हूं कि कृपया इन लोगों की मदद करें. वे हताश हैं.'
रोहतक के किसानों ने मौसम से प्रभावित फसलों के नुकसान की भरपायी के लिये सरकार से मुआवजे की मांग की है. राज्य सरकार से लागत का आकलन करने के लिये सर्वे किया है लेकिन रिपोर्टों के अनुसार किसानों को अभी तक भुगतान नहीं किया गया है. पंघाल ने ट्विटर पर भी अपील की. इसमें उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को भी टैग किया.
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उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है, लेकिन मुझे मदद की उम्मीद है. मार्च में ओले पड़ने से यहां के किसानों को भारी नुकसान हुआ है. उनके पास कुछ नहीं बचा है. अगर उन्हें जल्द मदद नहीं मिली तो उनके पास खाने की सामग्री भी नहीं रहेगी.'
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