World cup 2023: कोई विराट कैसे बनता है? विराट कोहली (Virat kohli) की तरह. जो लड़का सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) को अपनी प्रेरणा मानता था वो आज सचिन से भी आगे निकल गया. जो सचिन विराट के आदर्श थे, वहीं सचिन आज विराट के कायल नजर आ रहे हैं. विराट ने ये कैसे किया? कोई भी ये कैसे कर सकता है? ये सिर्फ क्रिकेट की तकनीक का मामला नहीं है. जिंदगी का फलसफा है. विराट को लीजिए. अनुशासन. अभ्यास. अनवरत. लगे रहना. जब सचिन ने 49 शतकों का रिकॉर्ड बनाया तो सबने कहा था ये रिकॉर्ड टूटना तो अब मुश्किल, लेकिन रिकॉर्ड टूट गया. सचिन के लाइफटाइम में ही टूट गया. नया रिकॉर्ड बन गया. सचिन का रिकॉर्ड तोड़ने के साथ ही विराट किसी भी वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बन गए हैं. वैसे 'नामुमकिन' को हासिल करना विराट की आदत सी है. पर्सनल से लेकर प्रोफेशनल लाइफ तक. क्या गजब का नजारा था कि विराट ने जिन दो लोगों को तहे दिल से चाहा, आज वो दोनों दर्शकों के बीच मौजूद थे. अनुष्का उन्हें फ्लाइंग किस दे रही थीं. सचिन तेंदुलकर ताली बजा रहे थे. विराट के शतक के बाद सचिन ने ट्वीट किया- 'मैं खुश हूं आज एक लड़का 'विराट' बन गया.'
एक उदाहरण से इस थ्योरी पर यकीन नहीं आता तो इसी मैच में जिस तरह से मोहम्मद शमी ने खेल दिखाया, उसे देख लीजिए. वर्ल्ड कप सेमी फाइनल में 7 विकेट. ये कोई मामूली बात नहीं. कोई ताज्जुब नहीं कि वर्ल्ड कप के पूरे इतिहास में ऐसा सिर्फ पांच बार हुआ है. इस वर्ल्ड कप में तीसरा मौका है जब शमी ने एक मैच में पांच या अधिक विकेट लिए हैं. ये वही शमी हैं जिनके लिए इस वर्ल्ड कप में टीम के अंदर पक्की जगह नहीं थी. हार्दिक चोटिल हुए तो शमी शामिल हुए. इस मौके को उन्होंने दोनों हाथों से लपका. शमी की पर्सनल लाइफ में क्या चल रहा है, ये सब हम जानते हैं. लेकिन बेस्ट बनना है तो इन चीजों से ऊपर उठना पड़ता है.
Virat Kohli, Mohammed Shami और Glenn Maxwell में एक जैसा क्या है?
इससे पहले मैक्सवेल का खेल हम देख चुके हैं. इसी वर्ल्ड कप में मैक्सवेल ने दोहरा शतक जड़ा. वो ऐसा न करते तो शायद अफगानिस्तान जैसी छोटी टीम से पांच बार का चैंपियन ऑस्ट्रेलिया हार जाता. ये वही मैक्सवेल हैं जिन्हें मानसिक तनाव के कारण क्रिकेट से दूरी बनानी पड़ी थी. लेकिन मैक्सवेल ने चुनौतियों को पार किया. वह आज सिरमौर बने हैं.
इन तीनों को आप इस क्रिकेट वर्ल्ड कप का महामानव कह सकते हैं. मानव कैसे महामानव बन सकता है, इसे समझना है तो इन तीनों को देखकर समझ सकते हैं. महामानव बनना है तो एकाग्रता चाहिए. थोड़ी सी झिझक होगी तो बेस्ट नहीं बन पाएंगे. मन और शरीर अलग-अलग जगह होंगे तो बेस्ट नहीं हो सकते.
स्वामी विवेकानंद ने कहा था- शिक्षा का सार एकाग्रता है. क्रिकेट से शिक्षा तक और बाकी किसी भी क्षेत्र के लिए एकाग्रता ही सफलता की कुंजी है. हर क्षण मोबाइल के नोटिफिकेशन से ध्यान भटकाने वाले युवाओं के लिए विराट, शमी और मैक्सवेल वाकई यूथ आइकन हैं. तो जाइए जो हासिल करना चाहते हैं उसके पीछे लग जाइए. कामयाबी जरूर मिलेगी. बस अर्जुन की तरह मछली की आंख देखिएगा. कुछ और नजर नहीं आना चाहिए.
(संतोष कुमार पिछले 25 साल से पत्रकारिता से जुड़े हैं. डिजिटल, टीवी और प्रिंट में लंबे समय तक काम किया है. राजनीति समेत तमाम विषयों पर लिखते रहे हैं.)
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.