विराट कोहली की तुलना सचिन तेंदुलकर से की जा रही है। यह पहली बार नहीं है कि क्रिकेटप्रेमी किसी एक खिलाड़ी की दूसरे से तुलना कर रहे हैं। एक समय ऐसा था जब सचिन तेंदुलकर की तुलना सुनील गावस्कर से की जाती थी। वह तुलना भी गलत थी। हो सकता है कि सचिन, गावस्कर से कहीं आगे निकल गए हों, लेकिन दोनों के खेलने का तरीका, दोनों का खेलने का समय, सबकुछ अलग था। गावस्कर अपने समय के शानदार बल्लेबाज थे तो सचिन अपने समय के।
पहले भी हो चुका है ऐसा
वीरेंद्र सहवाग जब करियर के शुरुआती दौर में थे तो उनकी तुलना भी सचिन और वेस्टइंडीज के महान खिलाड़ी विवियन रिचर्ड्स से की जाती रही। कभी बंगाल के ऑल-राउंडर लक्ष्मीरतन शुक्ला को अगला कपिल देव माना जाता था। लोगों का कहना था कि शुक्ला ऑलराउंडर के रूप में कपिल देव की कमी पूरी करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। कपिल देव की जगह लेना तो बहुत दूर की बात है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब प्रदर्शन की वजह से शुक्ला को भारतीय टीम में ज्यादा समय तक मौका ही नहीं मिला। हो सकता है लक्ष्मीरतन एक अच्छे ऑलराउंडर हों और उन्होंने घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन किया हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शुक्ला कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाए।
कोहली की तुलना सचिन से क्यों नहीं?
वर्तमान दौर में विराट कोहली की तुलना सचिन तेंदुलकर से होने लगी है, जो कि सही नहीं लगता। कुछ दिनों से विराट कोहली शानदार फॉर्म में चल रहे हैं और चारों तरफ उनकी वाहवाही हो रही है। मौजूदा दौर में विराट कोहली की बल्लेबाजी की जितनी भी तारीफ की जाए कम है, लेकिन सचिन के साथ विराट कोहली की तुलना दुर्भाग्यपूर्ण है। विराट कोहली के खेलने का तरीका सचिन से काफी अलग है। सचिन अपने समय में बादशाह थे तो विराट अपने समय के। रोज क्रिकेट में कुछ न कुछ बदलाव होता रहता है। सचिन ने 1989 में अपना क्रिकेट करियर शुरू किया था जबकि विराट कोहली ने 2008 में यानि करीब 20 साल के बाद। उस समय के क्रिकेट और आज के क्रिकेट में काफी बदलाव आ गया है। क्रिकेट के नियम बदल चुके हैं। ज्यादा से ज्यादा नियम बल्लेबाजों के हित में बनाए गए हैं।
टेस्ट खिलाड़ी के रूप में सचिन, कोहली से आगे
सचिन तेंदुलकर दुनिया के सबसे बेहतरीन टेस्ट खिलाड़ी हैं। एक क्रिकेटर का 200 टेस्ट मैच खेलना कोई आसान बात नहीं है। सचिन ने यह रिकॉर्ड बनाया है। सबसे बड़ी बात यह है कि टेस्ट मैचों में सचिन का औसत 54 के करीब रहा है। विराट कोहली अब-तक सिर्फ 41 टेस्ट मैच खेले हैं और टेस्ट में उनका औसत करीब 44 है। यह उम्मीद करना कि विराट कोहली 200 टेस्ट मैच खेलेंगे, गलत होगा। सचिन ने अपना टेस्ट क्रिकेट करियर 16 साल की उम्र में शुरू किया था जबकि कोहली ने 23 की उम्र में। ऐसे में विराट से 200 टेस्ट मैच खेलने की उम्मीद करना भी गलत है। आजकल एक साल में 12 से 15 टेस्ट मैच खेले जाते हैं। सचिन के रिकॉर्ड तक पहुंचने के लिए विराट को और 15 साल क्रिकेट खेलना पड़ेगा। यानि विराट को 42 साल की उम्र तक खेलना पड़ेगा, जो मुमकिन नहीं है।
वनडे में कोहली औसत में आगे, तो सचिन रन में
सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड वनडे में भी अच्छा रहा। सचिन ने 463 वनडे खेलकर 18426 रन बनाए हैं। आज तक कोई भी खिलाड़ी सचिन के आसपास भी नहीं पहुंच पाया है। अगर कोहली की बात की जाए तो कोहली 171 वनडे मैच खेलकर 7212 रन बनाए हैं। लेकिन यह मानना पड़ेगा कि वनडे में विराट कोहली का औसत सचिन तेंदुलकर से अच्छा है। वनडे में सचिन का औसत 45 के करीब है, जबकि विराट का 52 के करीब। अगर विराट ऐसे ही औसत से रन बनाते रहे, तो सचिन के आसपास पहुंचने के लिए उन्हें लगभग 200 वनडे और खेलने पड़ेंगे। कोहली ने पिछले 8 सालों में 171 वनडे खेले हैं। यानि एक साल में करीब 21 मैच। ऐसे में कोहली को और 200 मैच खेलने के लिए दस साल लग जाएंगे। यानि कोहली को 38 साल की उम्र तक खेलना पड़ेगा। यह भी याद रखना चाहिए कि सचिन 39 साल की उम्र तक वनडे क्रिकेट खेले थे। कोहली अगर फिट रहे और अच्छा खेलते रहे तो वह भी खेल सकते हैं।
टी 20 में दोनों की तुलना करना गलत होगा
विराट कोहली मौजूदा दौर में टी-20 के सबसे शानदार बल्लेबाज हैं। विराट टी 20 में जिस तरह खेल रहे हैं अगर अगले पांच साल ऐसे ही खेलते रहे तो कई रिकॉर्ड बना लेंगे। लेकिन विराट की तुलना सचिन से करना गलत है। सचिन तेंदुलकर अपने करियर में सिर्फ एक ही टी 20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 12 रन बनाए थे। लेकिन विराट कोहली अब-तक 43 टी 20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं और करीब 59 के औसत से 1641 बना चुके हैं। वह आगे भी मैच खेलते रहेंगे और रन बनाते रहेंगे।
मेरे इस विश्लेषण से कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि शायद मैं कोहली को अच्छा क्रिकेटर नहीं मानता हूं और यह मानता हूं कि सचिन का रिकॉर्ड कोई तोड़ नहीं सकता? टेस्ट मैचों में जब सुनील गावस्कर दस हजार रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी बने थे तब लोग कह रहे थे कि गावस्कर का यह रिकॉर्ड कोई तोड़ नहीं पाएगा, लेकिन गावस्कर का यह रिकॉर्ड टूटा, और कई बार टूटा। अब टेस्ट क्रिकेट में कई खिलाड़ी दस हजार से भी ज्यादा रन बना चुके हैं। कपिल देव के साथ भी ऐसा हुआ था जब उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 431 विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाया था। तब ऐसा लग रहा था कि शायद इस रिकॉर्ड के आसपास कोई गेंदबाज नहीं पहुंच पाएगा। लेकिन कई गेंदबाजों ने कपिल का यह रिकॉर्ड तोड़ा। श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन ने सिर्फ 133 टेस्ट मैचों में 800 विकेट हासिल किए हैं। भारत के लेग स्पिनर अनिल कुंबले ने भी 619 विकेट लिए हैं। शेन वार्न को 708 टेस्ट विकेट मिले हैं। कपिल देव अब सातवें स्थान पर हैं।
पहले भी कह चुका हूं और अब भी कह रहा हूं कि मौजूदा दौर में विराट कोहली की बल्लेबाजी देखते हुए ऐसा लगने लगा है कि आगे जाकर वह कई रिकॉर्ड बना भी सकते हैं और कई रिकॉर्ड तोड़ भी सकते हैं, लेकिन सचिन का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए विराट को सिर्फ टी 20 में नहीं बल्कि टेस्ट और वनडे में भी अच्छा प्रदर्शन करना पड़ेगा, वह भी लगातार लंबे समय तक।
This Article is From May 22, 2016
क्यों निरर्थक है सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली की तुलना...
Sushil Kumar Mohapatra
- ब्लॉग,
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Updated:मई 23, 2016 12:56 pm IST
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Published On मई 22, 2016 17:47 pm IST
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Last Updated On मई 23, 2016 12:56 pm IST
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