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This Article is From Feb 20, 2016

चोटिल शमी पर बीसीसीआई और धोनी का दांव कितना सही...

Shashank Singh
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    फ़रवरी 20, 2016 17:03 pm IST
    • Published On फ़रवरी 20, 2016 16:55 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 20, 2016 17:03 pm IST
टेस्ट मैच - 6 जनवरी, 2015
वनडे मैच - 26 मार्च , 2015
टी-20 मैच - 7 सितंबर, 2014


ये वो तारीखें हैं, जब पिछली बार मोहम्मद शमी इन फ़ॉर्मेट्स में भारत की राष्ट्रीय टीम के लिए खेले थे। शमी के पिछले अंतरराष्ट्रीय मैच को लगभग 11 महीने बीत गए हैं। इसी वर्ष ऑस्ट्रेलिया दौरे पर चुने गए, लेकिन चोटिल होकर बिना कोई मैच खेले वापस लौट आए। इन सब बातों के बावजूद मोहम्मद शमी को बीसीसीआई के चयनकर्ता और टीम मैनेजमेंट टी-20 वर्ल्ड कप की टीम में डालने में तुले हैं। शमी फिर से चोटिल करार दिए गए हैं और वो एशिया कप का हिस्सा नहीं होंगे। इसके बाद सवाल बहुत हैं, लेकिन चयनकर्ताओं के शमी को शामिल किए जाने के सवाल से ज्यादा जो बात चिंताजनक है वो ये कि क्या वाकई भारत में तेज़ गेंदबाज़ों का इतना अकाल पड़ गया है कि हम एक पेसर के आगे नहीं देख पा रहे..और दूसरा बड़ा सवाल ये कि क्या वाकई शमी इतने बड़े गेंदबाज हैं जो एक वर्ष बाद बिना कोई मैच खेले विश्व कप के मुकाबले में सीधे उतार दिए जाएं।

इतिहास देखें तो यह एक ऐसा मुद्दा रहा है जिस पर बीसीसीआई को खासी आलोचना झेलनी पड़ी है, लेकिन आज के दौर में कुछ तेज़ गेंदबाज़ों पर नज़र डालें तो बीसीसीआई की दिक्कत थोड़ी समझ में आएगी। ईशांत शर्मा, मोहित शर्मा, उमेश यादव, वरुण एरॉन, भुवनेश्वर कुमार ..शमी के अलावा ये वो नाम हैं जो नियमित तौर पर पिछले कुछ वर्षों में भारतीय टीम का हिस्सा रहे हैं। इन सभी गेंदबाज़ों का प्रदर्शन बहुत प्रभावित करने वाला नहीं रहा है। कुछ मैचों के बाद तो खुद धोनी ने सामने आकर इन गेंदबाज़ों को अपनी गेंदबाज़ी में सुधार लाने की बात कह डाली। ऐसे में चयनकर्ताओं के फ़ैसले पर क्या वाकई सवाल उठाए जा सकते हैं।

थोड़ा और बारीकी से इस सवाल की पड़ताल करते हैं। जसप्रीत बुमराह... इन्हें पहली बार इसी वर्ष ऑस्ट्रेलिया दौरे पर मौका मिला। आज वे एक वनडे और छह टी-20 मैचों के बाद ही टीम इंडिया के मुख्य तेज़ गेंदबाज़ हैं। आशीष नेहरा... वो खिलाड़ी जिसके लिए ये माना गया कि उनका अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से अघोषित संन्यास हो चुका है। इस वर्ष ऑस्ट्रेलिया दौरे पर वापसी करने से पहले नेहरा का पिछला अंतरराष्ट्रीय मैच उन्होंने करीब 5 साल पहले 30 मार्च 2011 को खेला था। आज कुछ ही टी-20 मैचों बाद नेहरा तेज़ गेंदबाज़ी में वर्ल्ड कप के लिहाज़ से भारत की उम्मीद नज़र आ रहे हैं। ये दोनों वो खिलाड़ी हैं, जिन्होंने पिछले कुछ सीज़न में आईपीएल में शानदार प्रदर्शन किया है।

वर्ल्ड कप टी-20 का है और खिलाड़ियों के लिए आईपीएल से बेहतर टी-20 प्लेटफ़ॉर्म शायद ही कोई और है। ये सभी बातें बताने के पीछे मकसद सिर्फ़ ये कि क्या वाकई आईपीएल में भी अच्छा करने वाला कोई युवा तेज़ गेंदबाज़ नहीं।

सच है कि बरिंदर सरां, श्रीनाथ अरविंद, संदीप शर्मा, सरीखे तेज़ गेंदबाज़ों को पिछले कुछ समय में एक-दो मैच ज़रूर खिलाए गए हैं, लेकिन वो कप्तान और चयनकर्ताओं की उम्मीदों पर शायद उस एक-दो मौके में खरे नहीं उतर सके। अब यहां पर किसी को गलती ढूंढनी है तो वो ढूंढ सकता है। इसके अलावा भी विनय कुमार, धवल कुलकर्णी, जयदेव उनादकट जैसे गेंदबाज़ों को भी मौका दिया गया, लेकिन उन्होंने प्रभावित नहीं किया या फिर यूं कहें कि जो टीम की परेशानी थी, उसको नहीं सुधार सके। मतलब वो यॉर्कर नहीं डाल सके। वो डेथ ओवर में गेंदबाज़ी नहीं कर सके और कहते हैं ना कि अगर आप समस्या का समाधान नहीं कर रहे हैं तो आप उसमें इज़ाफ़ा कर रहे हैं...

तो समाधान क्या है... क्या आईपीएल के सबसे अच्छे गेंदबाज़ों को मौका दिया जाना चाहिए... घरेलू क्रिकेट में अच्छा करने वाले गेंदबाज़ को मौका दिया जाना चाहिए... इसका जवाब ये है कि बीसीसीआई ये काम पिछले कुछ समय से लगातार कर रही है और कुछ एक नाम छोड़कर आईपीएल के सभी स्टार परफ़ॉर्मर्स को टीम इंडिया में ट्राई किया जा चुका है। हां, मौका शायद इक्का-दुक्का ही मिला हो, लेकिन उसी में खिलाड़ी की परिपक्वता को माप लिया गया। कम से कम सिलेक्शन कमेटी का तो यही मानना है।

तो गलती आखिर है कहां... बात घूम फिर कर एक बार फिर से घरेलू मैचों के लिए पिचों के स्तर पर आएगी, लेकिन पिछले कुछ समय में तेज़ गेंदबाज़ों के लिए मददगार पिचें देने की बीसीसीआई ने कोशिश की है, इसे भी नकारा नहीं जा सकता। बाकी घरेलू स्तर पर जिस टीम की जैसी ताकत, वैसी पिच तैयार और भारत है तो उसके लिहाज़ से ही पिचें भी बनेंगी। दक्षिण अफ़्रीका जैसी पिच तो नहीं बन जाएंगी, अब इस हकीकत से तो मुंह फेरना खुद को धोखा देना होगा, लेकिन पाकिस्तान में फिर कैसे तेज़ गेंदबाज़ों की कतार लगी रहती है... अब ये सवाल पुराना है तो जवाब भी पुराना ही सुन लीजिए... क्योंकि वहां आइडल इमरान खान, वसीम अकरम, वकार यूनुस जैसे गेंदबाज़ हैं.... भारत में सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर, वेंगसरकर जैसे आइडल रहे हैं...

तो एक बार फिर से हम वहीं पहुंच गए जहां से शुरू किया था... तो अब उन दो सवालों के जवाब देखते हैं... क्या वो हमें मिल सके हैं... पहला सवाल कि क्या तेज़ गेंदबाज़ों का अकाल पड़ गया है... जवाब है नहीं.. लेकिन सही मार्गदर्शन शायद गेंदबाज़ों को नहीं मिल सका... विनय कुमार घरेलू स्तर पर बेस्ट परफ़ॉर्मर रहे हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ खास नहीं कर सके, जयदेव उनादकट से वसीम अकरम की उम्मीदें थी... उमेश यादव, वरुण एरॉन को नेक्स्ट बिग थिंग कहा जा रहा था... ईशांत शर्मा को 8 साल बीत गए, लेकिन ये सभी गेंदबाज़ उस रोल में फ़िट नहीं हो रहे जो कप्तान इनसे अपेक्षा रखते हैं...

कुछ को तो कप्तान का भरोसा नहीं मिला... लेकिन ईशांत, उमेश, एरॉन, विनय कुमार जैसे गेंदबाज़ इसकी शिकायत भी नहीं कर सकते। वक्त तो है कि इनसे आगे देखा जाए, लेकिन कप्तान धोनी के शब्दों को ही दोहराते हैं कि यही भारत के बेस्ट गेंदबाज़ हैं, इन्हीं में से चुनना है...

दूसरा सवाल... क्या शमी इतने बड़े गेंदबाज़ हैं कि उन्हें एक साल बाद वर्ल्ड कप में सीधा उतार दिया जाए... जवाब फिर से ना में है, लेकिन शमी फ़िलहाल भारत के सर्वश्रेष्ठ तेज़ गेंदबाज़ हैं... अब सच तो यही है... स्तर भले ही ग्रेट गेंदबाज़ों वाला ना हो...

अंत में बस एक बात कि बीसीसीआई अब भी शमी से उम्मीद लगाए बैठी है, ये वाकई भारतीय टीम की दूरदर्शिता को दर्शाता है... चयनकर्ताओं ने शमी को सिर्फ़ एशिया कप के लिए बाहर किया है। मतलब वर्ल्ड कप की टीम में वो अब भी शामिल हैं। किसी को बुरा लगाए बगैर बस एक बात, और इसे अन्यथा ना लेते हुए उसके भाव को समझने पर ध्यान दीजिएगा.. कि लंगड़े अरबी घोड़े पर दांव लगाना कहीं से भी अक्लमंदी तो नहीं ही कहा जा सकता...

शशांक सिंह NDTV इंडिया में कार्यरत हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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