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This Article is From Jan 18, 2018

सरकारी नौकरियां कहां गईं : पार्ट-3

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    फ़रवरी 03, 2018 11:19 am IST
    • Published On जनवरी 18, 2018 23:04 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 03, 2018 11:19 am IST
राज्यों के चयन आयोगों पर बात करना अर्जेंट हो गया है. नौजवान फार्म भर कर परीक्षा का इंतज़ार कर रहे हैं और जो परीक्षा दे चुके हैं वो रिज़ल्ट का इंतज़ार कर रहे हैं और जिनका रिज़ल्ट आ चुका है वो ज्वाइनिंग लेटर का इंतज़ार कर रहे हैं. भारत के नौजवानों की जवानी के पांच से सात साल इसी में कट जा रहे हैं. नौकरियों पर प्राइम टाइम के दूसरे एपिसोड में जब हमने स्टाफ सलेक्शन कमिशन के 2015 की परीक्षा का हाल बताया तो रिज़ल्ट आने के बाद भी पांच महीने से इंतज़ार कर रहे दस हज़ार से अधिक छात्रों को उम्मीद जगी है कि सरकार ज्वाइनिंग लेटर भेज देगी. इनमें से कई छात्रों ने मुझे फोन पर बताया कि वे बैंक या किसी और चीज़ की नौकरी छोड़ कर आए कि इनकम टैक्स में लगेंगे, सीएजी में लगेंगे. मगर कहीं से ज्वाइनिंग लेटर नहीं आ रहा है जबकि वे रिज़ल्ट में पास हो गए हैं. पिछले कुछ घंटों में मैंने खुद सैंकड़ों मैसेज पढ़े और कई छात्रों से बात की. मैं हैरान हूं कि इन शांतिप्रिय और अच्छे नौजवानों की पीड़ा समझने वाला कोई नहीं है. उनका एक-एक दिन तनाव में गुज़र रहा है, वे तय नहीं कर पा रहे हैं कि दूसरे इम्तहान के लिए तैयारी में जुट जाएं या फिर जिसमें पास हो चुके हैं उसकी ज्वाइनिंग की चिट्ठी आएगी. आप समझ ही गए होंगे. एक तो 2015 से अगस्त 2017 आ गया इम्तहान की प्रक्रिया पूरी होने में और उसके बाद भी पांच महीने से इन्हें ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिला है जबकि ये परीक्षा पास हो चुके हैं. क्या आप चाहेंगे कि इन अभ्यर्थियों, परीक्षार्थियों और छात्रों के साथ इस तरह का सलूक हो. क्या इनकी कहानी अर्जेट रूप से नहीं सुनी जानी चाहिए. आख़िर इन बच्चों ने क्या गुनाह किया है. एक लड़की ने फोन किया कि उसका चुनाव सूचना प्रसारण मंत्रालय में प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो में हुआ है लेकिन अभी तक ज्वाइनिंग नहीं आई है. फोन करने पर जवाब मिलता है कि छह महीने और लगेंगे, कई बार तो जवाब की जगह किसी और अंदाज़ में इन नौजवानों से बात की जा रही है.

यह दृश्य 18 जनवरी की सुबह का है. इस जुलूस में शामिल 250 लड़के स्टाफ सलेक्शन कमिशन की कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल परीक्षा 2016 पास कर चुके हैं. 5 अगस्त 2017 को ही रिज़ल्ट आ गया था. आज तक इन सफल छात्रों को ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिला है. पूरे भारत में एस एस सी सीजीएल 2016 में 10,661 उम्मीदवार सफल हुए थे. 18 जनवरी को ये उम्मीदवार पटना के भिखनापहाड़ी से जुलूस लेकर निकले, अशोक राजपथ होते हुए, गांधी मैदान स्थित कारगिल चौक पर पहुंचे. इनके बैनर के नारे बता रहे हैं कि भारत के नौजवानों के साथ क्या हो रहा है. इनकी हालत बता रही है कि जैसे ये भारत के विमर्श से ही बाहर कर दिए गए हैं. ये नौजवान भारत के अलग अलग शहरों में बैठकर ज्वाइनिंग लेटर के इंतज़ार में सिसक रहे हैं. इन छात्रों से ही हमने कहा कि आप ख़ुद ही वीडियो शूट करके भेज दें. यह बात मैं आप दर्शकों को बता रहा हूं ताकि आप समझ सकें कि पत्रकारिता को बचाने में पत्रकार से ज़्यादा आपकी भूमिका की ज़रूरत है. न्यूज़ एंकर अब गोदी मीडिया का हिस्सा बनकर ढोल मजीरा बजा रहे हैं. रोते हुए को और रुला रहे हैं. यूनिवर्सिटी सीरीज़ भी आप लोगों की मदद से चली और अब नौकरियों की यह सीरीज़ इस पर निर्भर करेगी कि आप किस हद तक ईमानदार और सही सूचना हमें देते हैं. इसके लिए एसएससी सीजीएल 2016 के सफल उम्मीदवारों का शुक्रिया.

सीएजी, सूचना प्रसारण मंत्रालय, सांख्यिकी विभाग, इनकम टैक्स में इनके डोज़िएर भेजे जा चुके हैं मगर तमाम विभागों से इन नौजवानों को ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिला है. यही समस्या है स्टाफ सलेक्शन कमिशन की 2015 और 2016 की परीक्षा की. हमने आयोग के चेयरमैन से जवाब मांगा था. जवाब का कुछ हिस्सा हमने प्राइम टाइम के दूसरे एपिसोड में दिखाया था. आज फिर कुछ दिखा रहे हैं. वैसे सारे विभागों को जवाब देना चाहिए कि रिज़ल्ट आने के बाद भी वे अपने यहां से नौजवानों को ज्वाइनिंग लेटर क्यों नहीं भेज रहे हैं.

सवाल- DOP&T के निर्देश के अनुसार लिखित परीक्षा से लेकर साक्षात्कार और नियुक्ति की प्रक्रिया 6 महीने में पूरी करनी होती है, देरी के क्या कारण है?
एसएससी-  अभ्यर्थियों की संख्या लाखों में होती है, अत: इनकी परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने में समय लग जाता है. ऑब्जेक्टिव टाइप, मल्टीपल चॉइस की परीक्षाएं कंप्यूटर के माध्यम से ही होती हैं और उपयुक्त कम्प्यूटर लैब सीमित संख्या में उपलब्ध हैं. अत: ये परीक्षाएं लंबे समय तक (कभी-कभी एक से डेढ़ महीने) चलती हैं. स्किल टेस्ट और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में अभ्यर्थियों की संख्या के अनुसार लगभग 15 दिन से 1 महीने का समय लग जाता है. इस प्रकार एक भर्ती परीक्षा के विभिन्न चरणों के समाप्त होने और अंतिम रिज़ल्ट निकलने में लगभग एक वर्ष का समय लग जाता है. यह नोट किया जाना चाहिए कि अभ्यर्थियों की संख्या लाखों में होने का बावजूद आयोग हर चरण का रिज़ल्ट दो महीने के भीतर दे देता है.

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देखिए, हर चरण का रिज़ल्ट दो महीने में देता है. जवाब में कैसे खेल होता है. इम्तहान की प्रक्रिया कहां तो 6 महीने में पूरी होनी चाहिए लेकिन आप बता रहे हैं कि रिज़ल्ट दो महीने में देता है जबकि 2015 का रिज़ल्ट भी 2017 में आया. चेयरमैन साहब के लिखित बयान के जवाब से अभ्यर्थी, परीक्षार्थी खुश नहीं हैं. ऐसे ही एक अभ्यर्थी ने जो जवाब भेजा है, उसे हम अपने सहयोगी की आवाज़ में पढ़ कर सुनाना चाहते हैं. उस उम्मीदवार की पहचान गुप्त रखना भी ज़रूरी है. छात्र कहता है, 'सर, सबसे पहले तो बेरोज़गारी का मुद्दा उठाने के लिए मैं तहे दिल से आपका धन्यवाद करना चाहता हूं. एक संदेश मैंने आपको आपके फेसबुक पेद पर भी भेजा था, शायद समय की कमी के कारण आप पढ़ नहीं पाए. आपका नंबर मुझे अपने एक अध्यापक से मिला. आपने आज कर्मचारी चयन आयोग की कमियों को उजागर करने की कोशिश करी उसके लिए फिर से धन्यवाद. जिस इंटरव्यू के लिए आपने CGL16 के परीक्षार्थियों को ऑफिस बुलाया था, वहां मैं भी पहुंचा था. आपने अपना कार्यक्रम यह बोलकर खत्म किया कि कल फिर इस पर बात करेंगे. सर इस पर बात करना और भी ज़रूरी है क्योंकि आपने जो रिपोर्ट दिखाई उसके हिसाब से आपको एसएससी चेयरमैन ने बताया कि 95 फीसदी डोज़ियर SSC ने अलग-अलग डिपार्टमेंट में भेज दिए हैं लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि उसी के साथ हर डिपार्टमेंट को एक और ऑर्डर भेजा गया है जिसमें लिखा गया है कि किसी भी चयनित अभ्यर्थी को कमीशन के अगले आदेश तक नियुक्ति पत्र नहीं दिया जाए. जिसके कारण डिपार्टमेंट चाह कर भी हमें नियुक्ति पत्र नहीं दे सकता. हर डिपार्टमेंट में कर्मचारियों की कमी है, वह जल्द से जल्द हमारी ज्वाइनिंग करवाना चाहते हैं पर इस आर्डर के कारण वह भी मजबूर हैं.'

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क्या वाकई ऐसा कोई आदेश है कि ज्वाइनिंग लेटर नहीं दिया जाए, व्हाट्सअप में तो छात्र बाकायदा उस आदेश की कापी भी भेज रहे हैं जिसमें ज्वाइनिंग रोकने की बात है. कारण कुछ भी हो, तीन-तीन साल परीक्षा के लगें और पांच पांच महीने ज्वाइनिंग के, यह कितना अफसोसनाक है कि नौजवानों की जवानी बर्बाद की जा रही है. तब खुल कर यही बोलना चाहिए कि हमने आदेश दिया है कि ज्वाइनिंग न हो, जाओ जो करना है कर लो. हम उस आदेश की कापी नहीं दिखा रहे हैं क्योंकि खुद से उसकी पुष्टि नहीं करवा सके हैं. हम यह सीरीज़ किस तरह कर रहे हैं इसके बारे में कुछ बताना चाहते हैं. हम अथॉरिटी के चक्कर लगाने में टाइम बर्बाद नहीं करेंगे. हमारा शो देखने के बाद किसी चेयरमैन को लगता है कि प्रतिक्रिया देनी चाहिए तो हम उनकी प्रतिक्रिया अगले एपिसोड में ज़रूर दिखाएंगे. फिलहाल हम युवाओं की शिकायत यहां पेश करने से पहले कई सावधानियां बरतते हैं. मसलन फार्म देखते हैं, तारीख देखते हैं, मीडिया रिपोर्ट देखते हैं और एडमिट कार्ड तक. अगर कोई चूक हो जाए तो माफी मांग लेंगे लेकिन नौजवानों के साथ जो धोखा हो रहा है, हर पार्टी की सरकार में, उसे यहां एक्सपोज़ किया जाएगा. बिहार से एक छात्र ने मुझे मेसेज किया. बिहार में भी स्टाफ सलेक्शन कमिशन है जिसका दफ्तर पटना के बेली रोड पर है. इस ने 1 सितंबर 2014 में विज्ञापन निकाला कि सचिवालय सहायक और अन्य पदों के लिए फार्म भरिए. ग्रेजुएट छात्र ही इसके लिए योग्य रखे गए और पदों की संख्या थी 3295. दो चरणों में पीटी की परीक्षा हुई जो फरवरी 2015 में पूरी हो गई. मगर रिज़ल्ट आता है एक साल बाद, 3 फरवरी 2016 को. 27 मार्च 2016 को मेन्स की परीक्षा होती है, रिज़ल्ट आता है 17 अप्रैल 2016 को. इसी में 2014 से 2016 आ चुका है. मेन्स में जो पास हुए उनकी शारीरिक जांच की परीक्षा होती है. यह परीक्षा कई चरणों में अक्तूबर से लेकर 12 दिसंबर 2016 तक पूरी होती है. तभी आयोग के चेयरमैन बदल जाते हैं और तय करते हैं कि फिर से रिज़ल्ट निकालेंगे. उन्हें शक रहा होगा कि धांधली हुई है, तो अब दोबारा से रिज़ल्ट निकाला गया.

कोर्ट केस और धांधली इन सबके नाम पर ये परीक्षाएं टाली जाती हैं. किसी भी राज्य में कोई भी परीक्षा बिना चोरी या घपले के आरोपों के संपूर्ण नहीं होती है. इसका समाधान निकाला जा सकता था फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाकर और बिना नकल और धांधली की परीक्षा का आयोजन कर. नतीजा नौजवान पहले परीक्षा की तैयारी करते हैं और फिर उसके लिए आंदोलन. इन सब आंदोलनों को खास कवरेज नहीं मिलता है. इसलिए सरकारें भी मस्त रहती हैं कि किसी को पता ही नहीं चलेगा, ब्यूरो के बड़े रिपोर्टर ऐसे आंदोलनों को कवर करना ठीक नहीं समझते क्योंकि उनके नेशनल एंकर इसे बिग स्टोरी नहीं मानते हैं इसके बाद भी नौजवान डेटा पैक, केबल न्यूज़ और अखबार पर महीने का एक हज़ार ख़र्च करते हैं. उपभोक्ता भी गुलाम ही होता है. बहरहाल 10 जनवरी को बिहार स्टाफ सलेक्शन कमिशन की परीक्षा में सफल हुए छात्रों ने 96 घंटे का धरना दिया. 96 घंटे तक इन नौजवानों से बात करने कोई नहीं आया. वे बेली रोड स्थित बिहार स्टाफ सलेक्शन कमिशन के बाहर खुले आसमान में रात रात भर ठंड में ठिठुरते रहे. 22 महीने हो चुके हैं इनकी परीक्षा को और अभी तक फाइनल रिज़ल्ट नहीं आया है. अगर चार चार साल लगेंगे एक परीक्षा के पूरे होने में तो बिहार का नौजवान करेगा क्या. कोर्ट केस बहाना बन गया है. इसे सरकार अदालत से तुरंत सुनने की दरख्वास्त तो कर ही सकती थी. मीडिया की खबरों के अनुसार फरवरी 2018 में इस परीक्षा की काउंसलिंग होगी. हम उस वक्त का एक वीडियो दिखाते हैं जो छात्रों ने ही रिकार्ड किया था.

कई बार लगता है कि चयन आयोगों की कोई गुप्त रणनीति है. नौजवानों का गुस्सा शांत करने के लिए भर्ती निकाल दो, उन्हें सपना दिखाते रहने के लिए दो चार साल तक प्रक्रिया ही पूरी होती रहे और जब रिज़ल्ट का टाइम आए तो कैंसल या फिर कोर्ट के ज़रिए परीक्षा को फिर से लटका दो. इनकी ज़िंदगी लूडो के खेल की तरह हो गई है. जैसे ही 100 पर पहुंचने वाले होते हैं 99 पर सांप काट लेता है और वापस ये दो पर पहुंच जाते हैं. इस परीक्षा में हिस्सा लेनी वाली कुछ लड़कियों से हमने आडियो रिकार्डिंग मंगा ली.

अब चलते हैं हरियाणा. यहां 28 जून 2015 को पोस्ट ग्रेजुएट टीचर के लिए विज्ञापन निकला. जून 2015 को 19 विषयों के लिए 6,786 पदों का विज्ञापन निकलता है. लिखित परीक्षा पूरी होती है 2016 में क्योंकि विषयों की संख्या 19 थी.

6 फरवरी 2017 को लिखित परीक्षा के परिणाम आ जाते हैं. 11 से 26 अप्रैल तक दस्तावेज़ों की जांच की तारीख निकलती है. बताइये 2015 से 2018 आ गया मगर बहाली की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई तो इनमें से कुछ ने प्रदर्शन करने का साहस किया. करनाल जिसे सीएम सिटी कहा जाता है वहां यह लघु प्रदर्शन हुआ. ऐसे प्रदर्शन मीडिया के किसी कोने में छप जाते हैं, वहां से थक हार कर प्रदर्शकारी यू ट्यूब पर डाल देते हैं. फिर व्हाट्सअप पर फार्वर्ड करते रहते हैं. इसी साल 5 जनवरी का यह प्रदर्शन वीडियो है. यही नहीं जिस परीक्षा के लिए ये आंदोलन कर रहे हैं उसका विज्ञापन पहली बार 2014 में निकला था, सरकार बदली तो नई सरकार ने 2015 में फिर से विज्ञापन निकाला, यानी कि 2014 से 2018 आ गया मगर बहाली की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई. इसके बारे में ताज़ा अपडेट 2 जनवरी 2018 के दैनिक जागरण छपा है. खबर में लिखा गया है कि सभी पदों की लिखित परीक्षा हो चुकी है. परिणाम आ चुके हैं. दस्तावेज़ों की जांच एक साल पहले पूरी हो चुकी है. कुछ पदों के लिए साक्षात्कार हो चुके हैं. उसके बाद भी बहाली की प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही है. पिछले तीन साल से युवा इस भर्ती के इंतज़ार में घूम रहे हैं. अगर आप इन चयन आयोगों की रफ्तार से भारत को देखें तो कैसा भारत दिखता है. क्या आपको स्पीड का कोई सेंस होता है. नौजवानों के सपने भी सरकारों के यहां उधार पड़े हैं.

शिक्षक संघ के नेता के अनुसार हरियाणा में 50,000 पद ख़ाली हैं. लाखों नौजवान घर बैठे हैं. कई बार लगता है कि नौजवानो को बेरोज़गार इसलिए रखा जा रहा है ताकि वे घर बैठकर टीवी पर वही वाला मुद्दा देख सकें जिसके बारे में मैंने तय किया है कि अब से हिन्दू मुस्लिम मुद्दा नहीं कहूंगा, उसे अब वही वाला मुद्दा कहूंगा. एएनआई का फुटेज हर न्यूज़ चैनल के दफ्तर में पहुंचता है. उसी एएनआई का एक फुटेज दफ्तर में दिखा. समझ नहीं आया कि इतनी बड़ी तादाद में वो भी लखनऊ में ये नौजवान क्या कर रहे हैं. आपने शायद दूसरे चैनलों में खूब देखा भी होगा अगर चला होगा तब. हमारा मीडिया आपको लगातार हकीकत से अलग कर नकली यथार्थ की दुनिया में ले जाता है. 17 जनवरी को ये नौजवान उत्तर प्रदेश सरकार के हाल ही में 42 हज़ार सिपाहियों की भर्ती के विज्ञापन से ख़फ़ा होकर प्रदर्शन कर रहे हैं. क्योंकि ये 2015 में जब वैकेंसी निकली थी तब भर चुके थे. उसका रिजल्ट नहीं आया है. इनकी मांग है कि पहले 2015 का रिजल्ट आए फिर नई भर्ती हो. 2015 में अखिलेश सरकार के समय 34,716 सिपाही के पदों के लिए आवेदन किया था. लेकिन ये पूरी भर्ती प्रक्रिया इलाहाबाद हाइकोर्ट पहुंच गई. हाइकोर्ट ने 27 मई 2016 को इस भर्ती परीक्षा के परिणाम पर रोक लगा दी. इसी बुधवार को यूपी सरकार ने 42 हज़ार नए सिपाहियों की भर्ती का विज्ञापन निकाला है जिसके फॉर्म भरने की प्रक्रिया 22 जनवरी से शुरू होगी. इसी के विरोध में ये अभ्यर्थी लखनऊ में जुटे. इन लोगों की शिकायत है कि भर्ती प्रक्रिया से नाराज़ कुछ लोगों ने हाइकोर्ट में याचिका डाल दी, राज्य सरकार ने इस मामले में ठीक से पैरवी नहीं की और नतीजा ये हुआ कि कोर्ट ने पूरी प्रक्रिया ही रोक दी और परिणाम घोषित नहीं हो पाया. यूपी सरकार का कहना है कि ये मामला अदालत में चल रहा है लिहाज़ा उसके हाथ बंधे हुए हैं. ऐसे में सरकार नई भर्ती प्रक्रिया लाई है जो इससे अलग है और उसका पुरानी भर्ती वाले मामले से कोई लेना देना नहीं है. पुरानी भर्तियों के मामले में कोर्ट जो आदेश देगी, सरकार उस पर ही अमल करेगी. एक सरकार की बहाली दूसरी सरकार में क्यों नहीं जारी रह सकती, हर राज्य में ऐसी शिकायतें मिली हैं. पिछली सरकार की बहाली नई सरकार रद्द कर देती है. इसका नुकसान नौजवानों को उठाना पड़ता है.

केंद्र सरकार का एक आंकड़ा बताता हूं. वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट बताती है कि मार्च 2016 तक 4 लाख 12 हज़ार पद ख़ाली थे. केंद्र सरकार के पास 36 लाख 33 हज़ार 935 मंज़ूर पद हैं. इसका 11.36 प्रतिशत पद ख़ाली है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2014 में जितने पद ख़ाली थी, करीब करीब उतने ही पद 1 मार्च 2016 तक ख़ाली रह गए. नौकरी का सपना बिकता है, मिलती नहीं है. नेता को पता है आपकी जवानी जवानी नहीं, पानी है.

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