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This Article is From Aug 11, 2015

अभिषेक शर्मा की कलम से : जब बेडरूम में घुसती है पुलिस!

Reported By Abhishek Sharma
  • Blogs,
  • Updated:
    अगस्त 11, 2015 20:19 pm IST
    • Published On अगस्त 11, 2015 20:03 pm IST
    • Last Updated On अगस्त 11, 2015 20:19 pm IST
दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में जब पोर्न साइट पर बैन को लेकर बात हो रही थी, तब सरकार ने कहा कि उसके लिये मुमकिन नहीं है किसी के बेडरूम में घुसना। अच्छा था, सरकार ने मान लिया था कि बेडरूम में ताका-झांकी ठीक नहीं। लेकिन मुंबई में पुलिस शायद नहीं मान पाई कि कोई मर्द-औरत मर्जी से एक कमरे में हैं तो वहां नहीं घुसा जा सकता।

मुंबई से सटे मढ में ढेरों होटल हैं जहां प्रेमी-प्रेमिका जाते हैं। जाहिर सी बात है समंदर किनारे छुट्टी मनाने पहुंचने के लिये दोनों वयस्क अपनी मर्जी से जाते होंगे। लेकिन बीते दिनों पुलिस को ये समस्या लगने लगी। उसने 13 जोड़ों को धर दबोचा। लड़कियों के परिवार वालों को बुला लिया। लड़कों के साथ ऐसा व्यवहार हुआ मानो अपराध हुआ है।

सबको होटल के कमरे चेक कर करके निकाला गया। पुलिस बिल्कुल वैसे पहुंची जैसे किसी अपराधी की तलाश के लिये जाती है। पुलिस कहती है कि उसे शिकायत मिली थी कि देह व्यापार हो रहा है। लेकिन वो अब तक मीडिया को नहीं बता पाई कि किसने शिकायत की, कैसे उसने शिकायत पर पहली नज़र में भरोसा किया? और अगर मान भी लें कि शिकायत में दम था तो फिर पुलिस ने कमरों से जोड़ों को निकालने की हिमाकत क्यों की?

मुंबई पुलिस के निर्देशों के मुताबिक सारे होटल वालों को तमाम गेस्ट की पहचान रखना जरूरी है जो उन्होंने कमरे देने के पहले पूरी की थी तो फिर उसने रजिस्टर चेक क्यों नहीं किये? ऐसा कैसे हो सकता है कि पुलिस को ढेरों होटलों पर एक साथ शक होने लगा? एक और बात, मढ में दशकों से लोग यूं ही छुट्टी मनाने के लिये जा रहे हैं, अब अचानक से ऐसा क्या होने लगा कि उसे शिकायतें मिलने लगीं?

पुलिस का एक पक्ष ये भी है कि मढ के इलाके में कई गैरकानूनी होटल हैं जहां नौजवान जाकर ठहरते हैं, तो बड़ा सवाल है कि पुलिस को अगर ऐसी कोई जानकारी है तो वो सीधे इसकी शिकायत बीएमसी या दूसरे एजेंसियों से क्यों नहीं कर रही? इसके पहले उसने कितनी ऐसी शिकायतें की हैं? जो होटल में ठहर रहा है उसे कैसे मालूम होगा कि वो गैर कानूनी है?

सोशल मीडिया पर मचे हो हंगामे के बीच पुलिस ने अपने अंदाज वाली जांच बैठा दी है। जहां बड़े अफसर ये जांचेंगे कि नीचे वाले वर्दीधारियों ने कहीं कानून तो नहीं लांघा? लेकिन इस सबके लिये उसे गवाह और सबूत की दरकार होगी। कोई पीड़ित चाहिये होगा, जो आकर कहे कि पुलिस ने क्या व्यवहार किया, जाहिर सी बात है जो बड़ी मुश्किल से पुलिस के चंगुल से भागा हो वो क्या दोबारा आएगा?

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