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This Article is From Jan 22, 2015

मनोरंजन भारती की कलम से : जनार्दन द्विवेदी का क्या होगा?

Manoranjan Bharti, Sunil Kumar Sirij
  • Blogs,
  • Updated:
    जनवरी 22, 2015 15:57 pm IST
    • Published On जनवरी 22, 2015 15:48 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 22, 2015 15:57 pm IST

जनार्दन द्विवेदी के कांग्रेस में क्या मायने हैं, इसके लिए इंदिरा गांधी के वक्त में जाना पड़ेगा। जनार्दन जी एक वक्त में छात्र नेता के हैसियत से राम मनोहर लोहिया के युवजन सभा में हुआ करते थे।

उस दौर में उन्होंने दिल्ली में एक जोरदार आंदोलन किया था। आंदोलन की खबरें अखबार में छपने के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जनार्दन द्विवेदी को ढूंढवा कर बुलावाया। उस मुलाकात के बाद जनार्दन द्विवेदी इंदिरा गांधी के मुरीद हो गए और कांग्रेस के होकर रह गए।

दिल्ली यूनिवर्सिटी में शिक्षक के तौर पर भी वह कांग्रेस की राजनीति करते रहे। इसके बाद उन्हें 24, अकबर रोड में जगह मिली और वह कांग्रेस सेवा दल के अध्यक्ष बनाए गए। कांग्रेस की जितनी भी बैठकें होती हैं, जैसे कोई अधिवेशन हो या कोई चिंतन शिविर, तो मंच के संचालन का जिम्मा भी जनार्दन जी के हाथों में ही होता है। कांग्रेस के मीडिया सेल के अध्यक्ष बनाए गए, महासचिव के तौर पर हरियाणा के प्रभारी भी बनाए गए।

जनार्दन जी की छवि एक सख्त नेता की रही है, जो तोल-मोल कर बोलते हैं। हर शब्द के पीछे कोई सोच होती है उनकी। मीडिया प्रभारी के वक्त हर बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस खुद लेते थे। वही जनार्दन द्विवेदी हाल के दिनों में विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन पर मोदी की प्रशंसा करने का आरोप है और इस पर कांग्रेस तिलमिला गई है। पार्टी ने अपने मंच से जनार्दन द्विवेदी को 'भारतीयता' का मतलब समझाने की कोशिश की और इंदिरा गांधी की भारतीयता की परिभाषा को असली भारतीयता बताया। अपने इस अपमान से तिलमिलाए जनार्दन द्विवेदी ने यह कहा कि उन्हें कोई भारतीयता का मतलब न समझाए।

यह कोई पहला मौका नहीं है। इससे पहले आरक्षण खत्म करने के उनके बयान पर भी विवाद हुआ था। हालांकि जनार्दन जी ने बाद में यह सफाई दी कि उनका कहने का मतलब था कि जरूरतमंद को ही आरक्षण मिले, जिसमें गरीब अगड़ों को भी शामिल किया जाए। एक बार उन्होंने कहा था कि पार्टी में लोगों को सुनने की क्षमता होनी चाहिए, केवल आदेश देने की नहीं।

एक बार जनार्दन द्विवेदी ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि राजीव गांधी ने उन्हें 1990 में कहा था कि प्रियंका गांधी अधिक राजनैतिक हैं। इन सब बयानों का मतलब क्या है और क्या कांग्रेस उनके खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकती है?

दरअसल जनार्दन जी कांग्रेस में हो रहे सत्ता परिवर्तन में अपने आपको असहज पा रहे हैं। शायद उन्हें लग रहा है कि नया नेतृत्व उन्हें तरजीह नहीं दे रहा है। इसका संकेत उस वक्त मिला गया था, जब उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया और मीडिया प्रभारी से भी हटा दिया गया। मगर पार्टी की मुश्किल है कि जनार्दन द्विवेदी कांग्रेस मुख्यालय के उस बाह्मण लॉबी के हिस्सा हैं, जिसमें मोतीलाल वोरा, मोहन प्रकाश, आनंद शर्मा, पंकज शर्मा जैसे लोग शामिल हैं और यह प्रभावी लॉबी है।

मगर इस बार जनार्दन जी की मुश्किलें थोड़ी बड़ी हैं। वे राज्यसभा के सदस्य हैं, इसलिए भी पार्टी जल्दबाजी में नहीं है। मगर उनको कारण बताओ नोटिस तो जरूर दिया जाएगा और सफाई भी मांगी जाएगी। मगर सवाल यह है कि क्या पंडित जी चुप रहेंगे या फिर एक और बयान का पार्टी इंतजार करेगी...

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