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This Article is From Nov 28, 2018

राजस्थान में हिन्दुत्व की प्रयोगशाला का क्या है हाल?

Ravish Ranjan Shukla
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    नवंबर 28, 2018 21:17 pm IST
    • Published On नवंबर 28, 2018 21:17 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 28, 2018 21:17 pm IST
26 नवंबर को ग्वालियर से चला, रात को भरतपुर में रुका. 27 को सुबह सात बजे रामगढ़ के लिए रवाना हो गया. चार महीना पहले यहीं रकबर को कथित तौर पर पीटा गया था, बाद में उसकी मौत हो गई थी. टैक्सी ड्राइवर से बात बढ़ाई तो बोलने लगा साहब यहां मेव अच्छी तादाद में हैं. पहले बहुत गाय बूचड़खाने जाती थी अब गौरक्षकों की बहुत निगरानी रहती है. मैंने पूछा ये बूचड़खाने किसके हैं, वो बोला अब ये का पता मुझे. मैं कौन सा आपकी तरह रिपोर्टर हूं. मैंने कहा फिर ये कैसे पता है कि सब गाय बूचड़खाने ही जा रही होंगी. वो बोला अरे साहब आप क्या जानते हैं अभी वीडियो दिखाता हूं कैसे कटती हैं. मैं कहा नहीं ये व्हाट्सअप वीडियो मत दिखाओ गाड़ी ध्यान से चलाओ. मैं सोचने लगा मोबाइल जाति और धर्म के ध्रुवीकरण के केंद्र में है. लोगों में डर और धारणाएं बहुत तेजी से बनाता है. इस बात का अंदाजा हुआ जब रामगढ़ के रास्ते में कई जगह बड़ी बड़ी गौशालाएं और गौरक्षकों के होर्डिंग्स लगे देखे.

रामगढ़ से करीब 9 किमी पहले एक गौशाला के साथ पक्षियों का अस्पताल भी बना था. इसके अंदर जाकर देखा तो बहुत सारे जयपुर के व्यवसाइयों के नाम दिखे. गौशाला में करीब पांच से छह सौ गाय बछड़े और सांड थे. इन सांडों और गाय का मोबाइल से शूट कर रहा था तभी मेरा ड्राइवर बोला, इनके लिए साहब ये वृद्धा आश्रम जैसा ही है. जब इंसान अपने मां बाप को छोड़ देता है तो फिर गौ मैया के साथ क्या करता होगा. गौशाला में काम करने वाले आदमी ने बताया कि यहां ज्यादातर वो गाय और सांड हैं जो बूचड़खाने जा रही थीं. गौरक्षक छुड़वाकर यहां भेज देते हैं.

यहां से करीब 10 किमी दूर लालवंडी गांव है जहां रकबर और दो अन्य लोगों को पीटा गया था. 11.30 बजे योगी आदित्यनाथ का कार्यक्रम था, वहीं मुझे ज्ञानदेव आहूजा से मिलना था. इसलिए मैं कार में सवार होकर रामगढ़ रेलवे फाटक पहुंच गया. सभास्थल पर कुर्सी लगाई जा रही थी. कुछ देर बाद रंगीन साफा, काली घनी मूंछ और सफेद जूता पहने एक बुजुर्ग स्कॉर्पियो से उतारते दिखे. मूंछें देखकर मुझे समझते देर न लगी कि ये ज्ञानदेव आहूजा हैं. आते ही बोले, हां कहां हैं टीवी वाले... मैंने कहा मैं हूं सर... वो बोले तुम लोग क्या खबर चलाते रहते हो ज्ञानदेव आहूजा के कड़वे बोल...अरे क्या बोल दिया है मैंने. 39 बार तो इंटरव्यू दे डाला है. वो धारा प्रवाह मुझे झिड़के जा रहे थे. इस बीच लोग उनके पैर पकड़ते रहे. अब क्या पूछोगे, मैंने कहा कुछ खास नहीं सर सब सामान्य ही है. फिर बोले कि वो तुम्हारे यहां रवीश कुमार है न... मेरे बारे में क्या-क्या खबर दिखाते हैं. मैं जी..जी कहते सेल्फी स्टिक पर मोबाइल लगा रहा था. तब तक एक समर्थक बोला, इन्हें उल्टा दिखाना ही है. वो हंस पड़े और हाथ ऊपर उठा बोले जानता हूं जानता हूं... इनसे बड़ा प्यार है मुझे.. ये कहकर बोले... मुझसे पूछो सवाल... मैंने एक टिकटैक किया फिर योगी आदित्यनाथ के आने का इंतजार करने लगा.

ज्ञानदेव आहूजा यहां से तीन बार के विधायक रहे हैं. टिकटैक में बोले तीन बार हिन्दुत्व की जरुरत थी तो वो मुद्दा था लेकिन इस बार विकास का मुद्दा है. बाद में रामगढ़ के लोकल पत्रकार अमित ने बताया कि सर यहां सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं है. किसान उपज मंडी भी नहीं है. लड़कियों की पढ़ाई तक छूट जाती है क्योंकि डिग्री कॉलेज अलवर में है जो 20 किमी दूर है. योगी के आने से पहले कई साधू सन्यासियों का भाषण हुआ. कईयों ने स्टेज से खूब हिन्दुत्व का नाम लेकर जोशीले भाषण दिए. मैं स्टेज के माइक कंट्रोल वाले के पास बैठ गया. उसने बताया कि हिन्दू मुसलमान और गाय के दम पर ही ज्ञानदेव आहूजा जीतते रहे हैं. इनके खिलाफ जुबेर लड़ा था कांग्रेस से, इस बार उनकी पत्नी लड़ रही है. रामगढ़ राजस्थान में हिन्दुत्व की प्रयोगशाला है. यहां मेव मुसलमानों की बड़ी आबादी को खतरा बताकर चुनाव में ये बीजेपी का ट्रंप कार्ड साबित होता रहा है.

खैर दो घंटे बाद योगी आदित्यनाथ का हेलीकाप्टर देखते ही लौट रही जनता फिर मैदान की तरफ चल पड़ी. योगी के साथ एक आकर्षक संत भी बैठे थे. उन्होंने भाषण नहीं दिया बस योगी के बगल में बैठे रहे. सभा करीब तीन बजे खत्म हुई. सभा खत्म होते ही इतना लंबा जाम लगा रहा कि हम अलवर करीब शाम सात बजे पहुंचे. सुबह की भूख और थकान से बुरा हाल था. रास्ते में मूंगफली ले ली और चबाते हुए अलवर के होटल आ गए.

(रवीश रंजन शुक्ला एनडटीवी इंडिया में रिपोर्टर हैं.)

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