नए साल में अदालतें भी ला सकती हैं बड़े बदलाव

नए साल में अदालतें भी ला सकती हैं बड़े बदलाव

प्रतीकात्मक तस्वीर

नए साल, यानी साल 2016 में इन मामलों की अदालतों में होने वाली सुनवाई और फैसलों से देश में बड़े बदलाव आ सकते हैं...
 
डिजिटल अदालतें – पिछले साल आज़ाद भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने आधी रात को सुनवाई कर नई मिसाल पेश की, लेकिन कोलकाता हाईकोर्ट ने कोर्ट कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग की इजाजत देकर और मद्रास हाईकोर्ट ने स्काइप के जरिये वीडियो चैट पर दलील सुनकर ईमेल से फैसला भेजकर भविष्य में घर की बजाए ऑनलाइन अदालती कार्यवाही की शुरुआत भी कर दी। दिल्ली की जिला अदालत में फायरिंग की घटना के बाद जेल में बंद खूंखार अपराधियों को अदालत में सुनवाई हेतु आने की बजाए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई होने से अदालतें भी डिजिटल इंडिया के दायरे में आ सकती हैं।
 
प्राइवेसी और ई-कॉमर्स - आधार को अनिवार्य करने के सरकार के आदेश की समीक्षा के क्रम में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच यह फैसला करेगी कि क्या निजता का अधिकार संविधान के तहत मूल अधिकार है, जिसके बाद नया प्राइवेसी कानून बनाने की मांग ज़ोर पकड़ सकती है। दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा ई-कॉमर्स वेबसाइटों में एफडीआई तथा ऑनलाइन टैक्सी सर्विस के परिचालन मामले में महत्वपूर्ण आदेश दिए जा सकते हैं।
 
चुनाव सुधार - इस साल ई-वोटिंग तथा अन्ना हजारे द्वारा उठाए गए दलों के चुनावचिह्न सम्बंधित मामले न्यायिक सुनवाई के लिए आ सकते हैं। पंचायतों के बाद अब हरियाणा में निकाय चुनावों में भी प्रतिबंधात्मक कानून बना दिए गए हैं, जिन्हें राजस्थान व अन्य राज्यों में भी लागू करने की योजना है। ऐसे नियम सांसदों व विधायकों पर क्यों लागू नहीं होने चाहिए, इस पर कोर्ट में नए सिरे से सुनवाई होना चुनाव सुधार का न्यायिक आधार तैयार कर सकते हैं।
 
क्रिकेट और अवमानना - बीसीसीआई में भ्रष्टाचार के विरुद्ध गठित लोढा समिति आज (4 जनवरी को) ही अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप सकती है, जिससे भारतीय क्रिकेट में नेताओं और व्यापारियों का रोल कम हो सकता है। आपराधिक अवमानना की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगी, फिर भी अरुण जेटली द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विरुद्ध अवमानना का मुकदमा दायर किया गया। डीडीसीए द्वारा कीर्ति आज़ाद के विरुद्ध और छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी द्वारा ऐसे मुकदमे दायर करने की परम्परा से राजनीतिक भ्रष्टाचार को गलत न्यायिक मुकाम मिल सकता है।
 
पुनर्विचार याचिका - जनता के पैसे से दिए गए सरकारी विज्ञापनों में सिर्फ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के फोटोग्राफ होने के आदेश पर राज्यों के विरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति के लिए बनाए एनजेएसी कानून को रद्द कर कोलेजियम सिस्टम को बहाल तो कर दिया, लेकिन 16 दिसंबर के आदेश से केंद्र सरकार को एमओपी बनाने का निर्देश भी दिया, जिस पर अब राज्यों के मुख्यमंत्रियों की राय मांगी गई है। चीफ जस्टिस द्वारा कोलेजियम में सुधार हुए बगैर जजों की नियुक्ति में इनकार से यदि गतिरोध और एमओपी में विलंब हुआ तो सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर फिर सुनवाई हो सकती है। संसदीय समिति और जस्टिस वर्मा समिति के विरोध के बावजूद संसद द्वारा पारित जुवेनाइल कानून को यदि सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई तो इससे समाजशास्त्री नई अदालती बहस को जन्म दे सकते हैं।
 
व्यापमं, सलमान खान, मैगी और अन्य चर्चित मामले - मध्य प्रदेश का व्यापमं घोटाला, महाराष्ट्र में डांस-बार बैन तथा ब्लैक मनी के मामलों पर अदालत में सुनवाई हो सकती है। दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के अधिकारों के बारे में दिल्ली सरकार के मामलों से संघीय व्यवस्था पर नई कानूनी बहस छिड़ सकती है। बिजली कंपनियों का सीएजी ऑडिट नहीं होने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध केजरीवाल सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का असर देश के अन्य राज्यों की बिजली कंपनियों पर भी पड़ेगा। सलमान खान को हिट एंड रन केस में मुंबई हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध अपील पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से फिल्म उद्योग और वीआईपी मामले प्रभावित हो सकते हैं। बाबा रामदेव द्वारा पतंजलि की मैगी लॉन्चिंग के दौरान नेस्ले की मैगी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई रोचक हो सकती है।
 
प्रदूषण और पर्यावरण संरक्षण - सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और एनजीटी ने दिल्ली को गैस चैंबर करार देते हुए नागरिकों को स्वस्थ पर्यावरण में जीने का अधिकार देने के लिए जब कड़ा रुख अपनाया, तब दिल्ली सरकार ने सड़कों पर ऑड-ईवन फॉर्मूले को लागू कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 1984 की पुरानी याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली में घुसने वाले व्यावसायिक वाहनों पर पर्यावरण शुल्क लगाते हुए, अन्य मामले में डीजल एसयूवी कारों के रजिस्ट्रेशन पर 31 मार्च तक के लिए रोक लगा दी। एनजीटी ने कहा कि पड़ोसी राज्यों हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पुआल जलाने से दिल्ली की हवा पर खतरनाक असर पड़ता है, जिसके तहत किसानों पर जुर्माने के प्रावधान को देश के अन्य राज्यों में भी लागू किया जा सकता है। सूखे और आत्महत्या से ग्रस्त गांवों में दिल्ली केंद्रित कानूनों से फैल रही विषमता पर बहस और फैसलों की उम्मीद तो आने वाले सालों में की ही जा सकती है।

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