विज्ञापन
This Article is From Dec 22, 2017

2जी फैसले के खिलाफ अपील, सरकार क्‍यों न ले विनोद राय की मदद?

Virag Gupta
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 22, 2017 15:43 pm IST
    • Published On दिसंबर 22, 2017 15:25 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 22, 2017 15:43 pm IST
2जी मामले में फैसला देने वाले ओपी सैनी को ईमानदारी की वजह से सीबीआई अदालत का स्पेशल जज बनाया गया था. देश में भ्रष्टाचार के मामलों के खिलाफ कार्रवाई करने वाली सीबीआई कैसे बेईमान हो सकती है? इतनी ईमानदार व्यवस्था के बावजूद 1.76 लाख करोड़ के घोटाले के आरोपियों को सजा क्यों नहीं हुई? जटिल मामलों में सरकार पूर्व अधिकारियों से कानूनी मुद्दों पर विचार-विमर्श करती है. सीएजी से रिटायरमेंट के बाद विनोद राय अब बैंकिंग बोर्ड तथा बीसीसीआई प्रशासकीय समिति के चेयरमैन बनकर एनपीए और क्रिकेट में भ्रष्टाचार के मर्ज को दूर कर रहे हैं. 2जी मामले में पैरवी के लिए यूयू ललित की नियुक्ति हुई थी, जो अब सुप्रीम कोर्ट के जज हैं. तो फिर इस मामले में निम्न बिन्दुओं पर अपील बनाने की जिम्मेदारी विनोद राय को क्यों नहीं दी जानी चाहिए, जिससे सीबीआई और ईडी के अधिकारी हाईकोर्ट को अपील में सुनवाई के दौरान भ्रमित न कर सकें.सुप्रीम कोर्ट के 5 साल पुराने फैसले को CBI जज ने नजरअंदाज क्यों किया
2जी मामले में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 122 कंपनियों के लाइसेंस रद्द करते हुए उन पर भारी जुर्माना भी लगाया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि स्पैक्ट्रम जैसी बहुमूल्य संपत्ति की नीलामी से देश को अधिकतम राजस्व मिलना चाहिए. इसके बाद हुई नीलामी से सरकार ने 65000 करोड़ की आमदनी का दावा किया था तो फिर अब राजस्व के नुकसान नहीं होने की बात क्यों की जा रही है?  सुप्रीम कोर्ट के फैसले में 2जी लाइसेंस आवंटन में अनेक अनियमितताओं का विस्तार से जिक्र हुआ था. संविधान के अनुच्छेद-141 के अनुसार सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश का कानून माना जाता है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनियमिताओं की पुष्टि के बाद ट्रायल कोर्ट उन मुद्दों पर कैसे सवाल उठा सकती है?

राजा की अनियमितताओं की पीएमओ और जेपीसी ने भी पुष्टि की थी
2जी घोटाले पर संयुक्त संसदीय समिति का गठन हुआ था, जिसने सीएजी के 57666 से 1.76 लाख करोड़ के घाटे के आंकड़ों पर आपत्ति जाहिर करने के बावजूद राजा की अनियमितताओं का जिक्र किया था. राजा गलत थे इसलिए उन्हें तत्कालीन यूपीए सरकार के दौर में गिरफ्तार किया गया. संसद में 2जी पर हल्ला मचाने वाली पार्टियां, पीएसी के माध्यम से कारवाई करके 2जी को अंजाम तक क्यों नहीं पंहुचाती?   
हाईकोर्ट में इन बिदुओं पर हो सकती है अपील
सुप्रीम कोर्ट ने 5 साल ही पहले यह मान लिया था कि नीतियों में मनमाफिक परिवर्तन, 'पहले आओ, पहले पाओ' की नीति और आखिरी तारीख में रद्दोबदल करके राजा ने 2जी लाइसेंस का चहेती कंपनियों में बंदरबांट किया था. कोल ब्लॉक घोटाले में पूर्व सचिव हरिश्चन्द्र गुप्ता की कोई आपराधिक भूमिका न होने के बावजूद उनके जैसे ईमानदार अधिकारी को दो साल की सजा मिली. फिर 2जी जैसे बड़े घोटाले में सिविल मामले की दुहाई क्यों दी जा रही है? सरकारी संपत्ति के गबन, दुरुपयोग से उपजे भ्रष्टाचार पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर के बावजूद, उन्हें सिविल के दायरे में सीमित करना न्यायिक प्रक्रिया का मजाक ही माना जाएगा. सीबीआई, ईडी, सरकारी अफसरों और सरकारी वकीलों के रवैये पर फैसले के पैरा 1739 से 1814 तक में जज ने सख्त और अपमानजनक टिप्पणियां की हैं. जज ने फैसले में कहा है कि मामले को भ्रमित करने के लिए 80 हजार कागजों के बोझ का इस्तेमाल किया गया. अगर पैरवी गलत थी तो हाईकोर्ट की अपील में स्पष्टता लाकर दोषियों को दंड क्यों न मिले?CBI डायरेक्टर और मंत्रियों की कारपोरेट मीटिंग से उपजा भ्रष्टाचार अपराध क्यों नहीं
टेलीकॉम मंत्री ए. राजा की तर्ज़ पर सीबीआई के तत्कालीन डायरेक्टर रंजीत सिन्हा ने कोल ब्लॉक तथा 2जी घोटाले के लाभार्थी कंपनियों के मालिकों के साथ अनेक मीटिंग की थीं. बाद में आए सीबीआई के डायरेक्टर एपी सिंह पर भी मोइन कुरैशी मामले में भ्रष्टाचार के आरोप के साथ, 2जी मामले की पैरवी में कोताही बरतने का जज के फैसले में जिक्र है. शेयर तथा एफडीआई नियमों से खिलवाड़ कर खरबों कमाने वाली आरोपी कंपनियां सरकारी बैंकों का पैसा हजम कर गईं, जिसको ठीक करने की जिम्मेदारी अब विनोद राय के कंधे पर है. जज सैनी ने फैसले में पीएमओ तथा अन्य आईएएस अफसरों की 2जी घोटाले में भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं. पूर्व आईएएस विनोद राय अब 2जी मुक़दमे को अंजाम तक पहुँचाकर आईएएस बिरादरी पर लगी कालिख को कम कर सकते हैं, यदि वह इस मामले की अपील में अपना सार्थक योगदान करें.

हाईकोर्ट में हारने पर सरकार को लगेगा हजारों करोड़ का चूना
सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद दागी टेलीकॉम कंपनियों के शेयरों में भारी उछाल आया. लूप टेलीकॉम जैसी कुछ कंपनियों ने हर्जाने के लिए 2012 में टीडीसैट अदालत का दरवाजा खटखटाया था. हाईकोर्ट ने यदि सीबीआई कोर्ट के फैसले को रद्द नहीं किया तो विदेशी कंपनियां विदेशों में मामला दायर करके सरकार को भारी हर्जाने की मुक़दमेबाजी में उलझा सकती हैं.

वीडियो: टूजी मामले में गुलाम नबी आजाद बोले, बीजेपी माफी मांगे
टाइम पत्रिका ने 2011 में 2जी को सबसे बड़ा भ्रष्टाचार बताया था
टाइम पत्रिका में 2011 में 2जी घोटाले को सत्ता के दुरुपयोग के 10 बड़े मामलों में शुमार किया था. जेसिका लाल और आरुषि हत्याकांड में आरोपियों की रिहाई और अब 2जी फैसले के बाद अदालतों की छवि जॉली एलएलबी की तरह बनने से भारत में संवैधानिक संकट आ सकता है. कांग्रेस पर 12 लाख करोड़ के घोटाले के आरोप लगाकर अमित शाह ने भाजपा की सत्ता को अखिल भारतीय विस्तार दिया है. सरकार को विनोद राय की मदद से 2जी पर प्रभावी अपील करनी ही होगी. वरना इस सवाल का सामना करना पड़ेगा कि घोटालों पर अदालत की क्लीन चिट के बावजूद सिर्फ आरोपों के आधार पर सरकार बनाने का मैनेजमेंट क्या संविधान के साथ खिलवाड़ नहीं है?

विराग गुप्ता सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
BLOG : हिंदी में तेजी से फैल रहे इस 'वायरस' से बचना जरूरी है!
2जी फैसले के खिलाफ अपील, सरकार क्‍यों न ले विनोद राय की मदद?
बार-बार, हर बार और कितनी बार होगी चुनाव आयोग की अग्नि परीक्षा
Next Article
बार-बार, हर बार और कितनी बार होगी चुनाव आयोग की अग्नि परीक्षा
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com