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This Article is From Mar 01, 2018

जहां पेट्रोल पंपों के ज़रिये हो रहा है जेल सुधार...

Vartika Nanda
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    March 01, 2018 20:41 IST
    • Published On March 01, 2018 20:41 IST
    • Last Updated On March 01, 2018 20:41 IST
तेलंगाना जाने की एक बड़ी वजह उन पेट्रोल पंपों को देखना था जो कि जेल-सुधार की नई कहानी लिख रहे हैं. वैसे तो मॉडल प्रिजन मैन्यूल में देश भर की जेलों को लेकर सुधार के कई रास्ते सुझाए गए हैं लेकिन उन पर अमल कम ही जेलें कर पाई हैं. इनमें तेलंगाना की जेलों ने एक अनूठी मिसाल कायम की है.

तेलंगाना जेल मुख्यालय के ठीक बाहर एक पेट्रोल पंप है. एक और कुछ दूरी पर- खुली जेल के साथ. इस तरह से तेलांगना में कुल 14 ऐसे पेट्रोल पंप हैं, जिनका पूरा जिम्‍मा पूरी तरह से कैदियों के हाथों में है. इण्डियन ऑयल कॉरपेरशन लिमिटेड के स्‍वामित्‍व में चलनेवाले यह पंप पूरे देश में अपनी तरह की एक अलग तरह की अलग पहचान विकसित कर रहे हैं. यहां काम करने वाले बंदी 3 शिफ्टों में इन पेट्रोल पंपों को रात-दिन चला रहे है. इसके अलावा 2 पेट्रोल पंप ऐसे है, जिन्‍हें पूरी तरह से महिला बंदी चलाती हैं. इन बंदियो को अपने काम के एवज में 12 हजार रुपये का मासिक वेतन भी दिया जाता है. यह एक ऐसा वेतन है जिसकी कल्पना देश के किसी भी जेल का बंदी नहीं कर सकता. कभी-कभी जेल के रिटायर्ड कर्मचारी भी इनकी मदद करते हैं. 2017 में इन पेट्रोल पंपों ने करीब 12 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया जो कि 2016 की तुलना में दोगुना था. इस मुनाफे का उपयोग जेल के विकास कार्यो में किया जाता है.

तेलंगाना की जेल के महानिदेशक विनय कुमार सिंह और यहां के सुप्रीटेंडेंट बी. सदैया कहते हैं कि हर साल 100 से 120 करोड़ रुपये का पेट्रोल यहां से बेचा जाता है. एक दिन की बिक्री करीब 28,000 से 30,000 लीटर की है. आज यह पेट्रोल पंप इतने सफल हैं कि आसपास के तमाम पेट्रोल पंपों ने अपनी सारी उम्‍मीद इन 14 पेट्रोल पंपो पर छोड़ दी है. हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ये पेट्रोल पंप इन बंदियों के लिए एक बड़ी उम्‍मीद लेकर आए हैं, लेकिन एक सच यह भी है कि बाहर से आने वाले लोग कई बार इन बंदियों के साथ बहुत बुरा बर्ताव करते हैं. लेकिन इससे जेल के अधिकारियों, कर्मचारियों या फिर बंदियों का उत्साह कम नहीं हुआ है. इन जेलों से भ्रष्टाचार तकरीबन मिट गया है. 2014 में शुरू किए गए विद्यादानम नामक कार्यक्रम से 32,514 बंदियों को साक्षर बनाया गया है.

एक दूसरा सच यह भी है कि आज तक इनमें से किसी भी कैदी ने यहां से भागने की कोशिश नहीं. हर रोज इन कैदियों को जेल की बस में लाया जाता है. वे अपनी शिफ्ट को पूरा करते हैं और लौट जाते हैं. कुछ कैदी खुली जेल से भी आते हैं. एक पेट्रोल पंप खुली जेल के साथ एक दम सटा हुआ है. वे चलकर आते हैं और अपने आप लौट जाते हैं. उनके चेहरे पर खुशी साफ दिखती है. यहां काम करते तमाम बंदी अपनी आंखों में सपने संजोए हैं. उन्‍हें अब इस बात का विश्‍वास हो गया है कि जेल से बाहर जाने के बाद उन्‍हें बाकी बंदियों की तरह अपनी पहचान और अपने नाम को छिपाना नहीं होगा. उऩ्हें यकीन है कि उनकी सजा पूरी होने पर बाहर की दुनिया उन्‍हें स्‍वीकार कर लेगी और अगर किसी वजह से बाहर की दुनिया ने उन्हें स्‍वीकार नहीं भी किया तो भी तेलगांना के यह पेट्रोल पंप उन्‍हें एक नौकरी जरूर दे देंगे और आत्मविश्वास भी.

अब भारत सरकार का गृह मंत्रालय पेट्रोल पंपों के इस अनोखे आइडिया को कुछ और जेलों में लाने का भी मन बना रहा है. असल में भारत में जेलें राज्यों के अधीन आती हैं. इसलिए राज्यों की अपनी इच्छा-शक्ति के बिना कुछ भी संभव नहीं. भारत सरकार का बीपीआरएंडडी अब जेलों को लेकर दिल्ली में कभी-कभार बैठकें भी करता है लेकिन कई राज्य इन बैठकों में झांकने तक नहीं आते. बहुत-से राज्यों में जेलों के सर्वोच्च अधिकारी खुद को जेल सुधार की मूलभूत जरूरतों से जोड़ नहीं पाते. नतीजतन उसका खामियाजा जेलें चुकाती हैं और उनमें बंद कैदी.

पेट्रोल पंप की एक मिसाल मीडिया के लिए खबर हो सकती है लेकिन यह सच अब भी मीडिया और समाज से दूर ही है कि जेलों के अंदर की ऊर्जा के सकारात्मक इस्तेमाल में हम अब भी पीछे हैं. राजेनताओं, अभिनेताओं या फिर बड़े व्यापारियों के जेल में जाने पर जेलें सनसनी की वजह तो बन जाती हैं लेकिन जेलों के अंदर भरे जा रहे छोटे कदमों पर चुटकी भर खुशी और थोड़ी-सी मदद देने वाले चाह कर भी ढूंढना मुश्किल ही लगता है. यही जेलों का सच है.

डॉ वर्तिका नन्दा जेल सुधारक है. जेलों पर एक अनूठी शृंखला - तिनका तिनका - की संस्थापक. खास प्रयोगों के चलते दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल… 'तिनका तिनका तिहाड़' और 'तिनका तिनका डासना' - जेलों पर उनकी चर्चित किताबें हैं…

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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