यह गाना तिनका-तिनका प्रोजेक्ट की संस्थापक जेल सुधार विशेषज्ञ वर्तिका नन्दा की नई पहल है.
नई दिल्ली:
आगरा सेंट्रल जेल में बंद 16 कैदियों द्वारा गाया गया गीत 'तिनका तिनका आगरा' अब इस जेल को नई पहचान देगा. इस गीत को आगरा केंद्रीय कारागार का थीम सांग बनाने का निर्णय लिया गया है. खास बात यह है कि गाने को आगरा जेल के 16 कैदियों ने गाया है, जोकि आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. इस गीत को जेल में ही लिखा गया और फिल्माया भी जेल में ही गया. इसे जल्द ही यू-ट्यूब पर भी रिलीज किया जाएगा.
दरअसल, यह गाना तिनका तिनका प्रोजेक्ट की संस्थापक जेल सुधार विशेषज्ञ वर्तिका नन्दा की नई पहल है. इस गीत के प्रमुख गायक जेल के बंदी दिनेश कुमार गौड़ हैं और उनके द्वारा ही इस गाने को अंतिम रूप दिया है. इन बंदियों ने 8 महीने से अधिक समय तक की मेहनत से इस थीम सॉन्ग पर काम किया.
इस गीत के प्रमुख शब्द हैं- आशा और विश्वास की डोरी, तिनका-तिनका ने है जोड़ी, बहारें बन जाएंगी गीत, बनेगा जीवन यह संगीत- जेल के बंदियों की जिंदगी से घुलने लगे हैं.
इस परियोजना को मूर्त रूप जेल के अधिकारी शरद कुलश्रेष्ठ, लाल रत्नाकर और जेल सुधार विशेषज्ञ वर्तिका नन्दा के प्रयास से मिला है. इससे पहले वर्तिका नन्दा डासना जेल का थीम सांग–'तिनका तिनका डासना' बना चुकी हैं और तिहाड़ जेल का-'तिनका-तिनका तिहाड़'. लेकिन इस बार वर्तिका के आग्रह पर आगरा के गाने को बंदियों ने ही लिखा है और यह तिनका श्रृंखला का एक बड़ा हिस्सा बनेगा. वर्तिका नन्दा अलग-अलग जेल के गानों की श्रृंखला पर काम कर रही हैं और यह काम इसका एक प्रमुख हिस्सा होगा. अपराधों पर जागरुकता लाने के लिए वे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से 2014 में स्त्री-शक्ति पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं.
आगरा जेल में तिनका तिनका आगरा की थीम पर वर्तिका नन्दा की लिखी कुछ खास पंक्तियों को भी प्रमुखदीवार पर उकेरा गया है. इस दीवार को ताज की तर्ज पर एक अलग अंदाज में तैयार किया जाएगा.
आगरा के जेलर लाल रत्नाकर पिछले कई महीनों से जेल के कैदियों को प्रोत्साहित कर इस गाने के लिए तैयार करवा रहे हैं. इस केंद्रीय कारागार में इस समय 1918 बंदी हैं.
'तिनका-तिनका आगरा' के थीम सांग की अगली कड़ी इसी शीर्षक से आने वाली किताब होगी जिसमें बड़ी तादाद में बंदियों ने अपनी कविताएं लिखी हैं. इससे पहले आई दोनों किताबें–'तिनका-तिनका तिहाड़' और 'तिनका-तिनका डासना' नए कीर्तिमान स्थापित कर चुकी हैं. तिनका तिनका तिहाड़ का शुमार लिम्का बुक आफ रिकार्ड्स में हो चुका है जबकि तिनका-तिनका डासना का अंग्रेजी अनुवाद नुपूर तलवार ने किया है.
तिनका तिनका श्रृंखला मानवाधिकार के मकसद से देश की अलग-अलग जेलों में साहित्य, सृजन और सुधार को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रही है.
दरअसल, यह गाना तिनका तिनका प्रोजेक्ट की संस्थापक जेल सुधार विशेषज्ञ वर्तिका नन्दा की नई पहल है. इस गीत के प्रमुख गायक जेल के बंदी दिनेश कुमार गौड़ हैं और उनके द्वारा ही इस गाने को अंतिम रूप दिया है. इन बंदियों ने 8 महीने से अधिक समय तक की मेहनत से इस थीम सॉन्ग पर काम किया.
इस गीत के प्रमुख शब्द हैं- आशा और विश्वास की डोरी, तिनका-तिनका ने है जोड़ी, बहारें बन जाएंगी गीत, बनेगा जीवन यह संगीत- जेल के बंदियों की जिंदगी से घुलने लगे हैं.
इस परियोजना को मूर्त रूप जेल के अधिकारी शरद कुलश्रेष्ठ, लाल रत्नाकर और जेल सुधार विशेषज्ञ वर्तिका नन्दा के प्रयास से मिला है. इससे पहले वर्तिका नन्दा डासना जेल का थीम सांग–'तिनका तिनका डासना' बना चुकी हैं और तिहाड़ जेल का-'तिनका-तिनका तिहाड़'. लेकिन इस बार वर्तिका के आग्रह पर आगरा के गाने को बंदियों ने ही लिखा है और यह तिनका श्रृंखला का एक बड़ा हिस्सा बनेगा. वर्तिका नन्दा अलग-अलग जेल के गानों की श्रृंखला पर काम कर रही हैं और यह काम इसका एक प्रमुख हिस्सा होगा. अपराधों पर जागरुकता लाने के लिए वे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से 2014 में स्त्री-शक्ति पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं.
आगरा जेल में तिनका तिनका आगरा की थीम पर वर्तिका नन्दा की लिखी कुछ खास पंक्तियों को भी प्रमुखदीवार पर उकेरा गया है. इस दीवार को ताज की तर्ज पर एक अलग अंदाज में तैयार किया जाएगा.
आगरा के जेलर लाल रत्नाकर पिछले कई महीनों से जेल के कैदियों को प्रोत्साहित कर इस गाने के लिए तैयार करवा रहे हैं. इस केंद्रीय कारागार में इस समय 1918 बंदी हैं.
'तिनका-तिनका आगरा' के थीम सांग की अगली कड़ी इसी शीर्षक से आने वाली किताब होगी जिसमें बड़ी तादाद में बंदियों ने अपनी कविताएं लिखी हैं. इससे पहले आई दोनों किताबें–'तिनका-तिनका तिहाड़' और 'तिनका-तिनका डासना' नए कीर्तिमान स्थापित कर चुकी हैं. तिनका तिनका तिहाड़ का शुमार लिम्का बुक आफ रिकार्ड्स में हो चुका है जबकि तिनका-तिनका डासना का अंग्रेजी अनुवाद नुपूर तलवार ने किया है.
तिनका तिनका श्रृंखला मानवाधिकार के मकसद से देश की अलग-अलग जेलों में साहित्य, सृजन और सुधार को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रही है.
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