Vartika Nanda Blog
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नमस्कार, ये आगरा जेल रेडियो है... सलाखों के पीछे गूंजती बदलाव की बुलंद आवाज
- Thursday September 25, 2025
- Written by: वर्तिका नंदा
आगरा जिला जेल की ऊंची दीवारों के पीछे हर दोपहर 2:30 से 4:30 बजे तक माहौल बदल जाता है. बैरकों में 'चिट्ठी आई है' और 'संदेशे आते हैं' जैसे गीतों की धुनें गूंजती हैं. गाने की फरमाइशें लिखकर भेजने की छोटी सी आदत ने अनजाने में साक्षरता की एक नई इबारत लिख दी है.
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जहां पेट्रोल पंपों के ज़रिये हो रहा है जेल सुधार...
- Thursday March 1, 2018
- डॉ वर्तिका नन्दा
तेलंगाना जाने की एक बड़ी वजह उन पेट्रोल पंपों को देखना था जो कि जेल-सुधार की नई कहानी लिख रहे हैं. वैसे तो मॉडल प्रिजन मैन्यूल में देश भर की जेलों को लेकर सुधार के कई रास्ते सुझाए गए हैं लेकिन उन पर अमल कम ही जेलें कर पाई हैं. इनमें तेलंगाना की जेलों ने एक अनूठी मिसाल कायम की है.
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तिनका- तिनका ‘वैलेंटाइन’: इंतजार की अंतहीन खराश के बीच कुछ प्रेम....
- Tuesday February 14, 2017
- वर्तिका नंदा
‘वैलेंटाइन डे ’ पर भारत और दुनियाभर में प्रेम को विविध रूपों में अभिव्यक्त किया जाता है. इसमें से ज्यादातर जिक्र ‘इस पार’ के संसार का है. लेकिन उस पार के संसार का क्या ? उस प्रेम, संवेदना का क्या जिसे हर इजहार के लिए कानूनी अनुमति चाहिए? उस पार, यानी वह दुनिया जिसे हम ‘जेल’ के नाम से जानते हैं. यह एक शब्द मनुष्य और समाज की चिंता से बहिष्कृत है. इसलिए मैंने आज प्रेम के इजहार के लिए जेल और उस संसार को चुना है.. जिसके बारे में हम कभी बात नहीं करते...
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नमस्कार, ये आगरा जेल रेडियो है... सलाखों के पीछे गूंजती बदलाव की बुलंद आवाज
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आगरा जिला जेल की ऊंची दीवारों के पीछे हर दोपहर 2:30 से 4:30 बजे तक माहौल बदल जाता है. बैरकों में 'चिट्ठी आई है' और 'संदेशे आते हैं' जैसे गीतों की धुनें गूंजती हैं. गाने की फरमाइशें लिखकर भेजने की छोटी सी आदत ने अनजाने में साक्षरता की एक नई इबारत लिख दी है.
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तेलंगाना जाने की एक बड़ी वजह उन पेट्रोल पंपों को देखना था जो कि जेल-सुधार की नई कहानी लिख रहे हैं. वैसे तो मॉडल प्रिजन मैन्यूल में देश भर की जेलों को लेकर सुधार के कई रास्ते सुझाए गए हैं लेकिन उन पर अमल कम ही जेलें कर पाई हैं. इनमें तेलंगाना की जेलों ने एक अनूठी मिसाल कायम की है.
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तिनका- तिनका ‘वैलेंटाइन’: इंतजार की अंतहीन खराश के बीच कुछ प्रेम....
- Tuesday February 14, 2017
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‘वैलेंटाइन डे ’ पर भारत और दुनियाभर में प्रेम को विविध रूपों में अभिव्यक्त किया जाता है. इसमें से ज्यादातर जिक्र ‘इस पार’ के संसार का है. लेकिन उस पार के संसार का क्या ? उस प्रेम, संवेदना का क्या जिसे हर इजहार के लिए कानूनी अनुमति चाहिए? उस पार, यानी वह दुनिया जिसे हम ‘जेल’ के नाम से जानते हैं. यह एक शब्द मनुष्य और समाज की चिंता से बहिष्कृत है. इसलिए मैंने आज प्रेम के इजहार के लिए जेल और उस संसार को चुना है.. जिसके बारे में हम कभी बात नहीं करते...
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