विज्ञापन
This Article is From May 07, 2017

तो क्या 'भाई और भाई' के बीच की दीवार गिर गई?

Umashankar Singh
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मई 07, 2017 18:15 pm IST
    • Published On मई 07, 2017 18:15 pm IST
    • Last Updated On मई 07, 2017 18:15 pm IST
शनिवार देर रात तक दहकता बहकता ट्वीट कर भ्रष्टाचार के खिलाफ़ अलख को थामे रखने की बात करने वाले कुमार विश्वास के सुर आख़िर रविवार दोपहर तक क्यों बदल गए? सत्येन्द्र जैन से 2 करोड़ रूपया लेने के कपिल मिश्रा के आरोप के बाद कुमार विश्वास ने केजरीवाल की तरफ से मोर्चा संभाला. बयान दिया है कि वे केजरीवाल को 12 साल से जानते हैं. वे भ्रष्टाचार नहीं कर सकते.

उनका ताज़ातरीन ट्वीट कहता है, "अरविंद से मेरा 12 वर्ष का परिचय है और इतने साल काम करने के बाद मैं कह सकता हूं कि @arvindKejriwal भ्रष्टाचार करेगा ये मैं सोच भी नहीं सकता."
 
बहुत खूब. जब कुमार का केजवरीवाल पर विश्वास इतना तगड़ा था तो फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ अंदर और बाहर आवाज़ उठाना जारी रखने की बिगुल क्यों फूंक रहे थे? केजरीवाल राजनीति के सत्य हरिश्चंद्र हैं तो फिर उनकी पार्टी में किसकी मजाल कि वो भ्रष्टाचार करे? और वो भी कुमार जैसे विश्वासपात्र की तरफ से लाल झंडा लहराने के बाद भी?

विश्वास का ही शनिवार रात का ट्वीट है, 'एक आंदोलन और सही, न थके हैं, न डरे हैं, सत्ता के किसी घड़े का बूंद भर जल भी नहीं चखा इसलिए अभीतक जंतर मंतर की आग बाक़ी है साथियों आश्वस्त रहो.'
 
सत्ता की बूंद कुमार विश्वास ने नहीं चखी लेकिन केजरीवाल तो सीएम हैं. ज़ाहिर है इस ट्वीट में न सिर्फ उनपर निशाना है बल्कि जंतर मंतर की राह पकड़ने की अपरोक्ष धमकी भी है. लेकिन लगता है कि उनके वीर सर के इस ट्वीट के बाद केजरीवाल खेमे ने भी अपने तरकश से कुछ तीर निकाले होंगे. तभी कपिल मिश्रा जब गेंद लेकर आगे बढ़े तो कुमार विश्वास ने गोलपोस्ट चेंज कर लिया. रात को रार छेड़ने वाले विश्वास सुबह पत्नी के साथ केजरीवाल के घर जा पहुंचे. इसमें कोई बुराई नहीं है. आने जाने के ये सिलसिला पिछले कई दिनों से चल रहा था. लेकिन सवाल है कि रात को कवि हृदय में सुलगती आग पर सुबह पानी कैसे पड़ गया?

आम आदमी पार्टी कवर करने वाले पत्रकार ही बार-बार ये कहते रहे हैं कि कपिल मिश्रा कुमार विश्वास के नज़दीकी हैं. कपिल मिश्रा और कुमार विश्वास ने बग़ावती सुर में किए गए एक दूसरे के ट्वीट को न सिर्फ रीट्वीट किया बल्कि कोट ट्वीट भी किया. मसलन जब कपिल मिश्रा ने टैंकर घोटाले में शीला दीक्षित से पूछताछ की बाबत एसीबी को लिखी चिट्ठी को शनिवार दोपहर 12 बज कर 14 मिनट पर ट्वीट किया तो कुमार विश्वास ने उस ट्वीट को ताली और थम्स अप के निशान के साथ आगे बढ़ाते हुए लिखा, "भ्रष्टाचार पर कोई समझौता नहीं @KapilMishraAAP"
 
कपिल मिश्रा दावा करते हैं कि उनको भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने के कारण हटाया गया लेकिन पार्टी कहती है कि जल वितरण व्यवस्था की खराब हालत के कारण हटाया गया. कुमार विश्वास को अंदाज़ा तो होगा कपिल मिश्रा को लेकर. आखिर क्या वे उसके पीछे यूं ही खड़े हो गए? और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ लड़ाई के भरोसे के साथ खड़े हुए तो फिर कपिल मिश्रा के आरोप को क्यों काटने लगे? ये दो अलग बातें नहीं हैं. ये बताती हैं कि कुमार या तो अति आत्मविश्वास के शिकार रहे या किसी भ्रम के. और ये उनकी बेलाग छवि के बरख़िलाफ़ है.

नगर निगम चुनाव में उम्मीद से बहुत कम मिली सीट को आम आदमी पार्टी की करारी हार के तौर पर देखा गया. दो साल पहले ही विधानसभा की 70 में से 67 सीट जीत कर इतिहास लिखने वाली पार्टी में इसके बाद कुलबुलाहट ने ज़ोर पकड़ लिया. एक के बाद एक कई चैनलों पर नमूदार होकर कुमार विश्वास ने हार की वजह ईवीएम को मानने से इंकार कर केजरीवाल के दावे पर बड़ा हमला कर दिया. दोनों के बीच अविश्वास की खाई इतनी बढ़ गई विश्वास ट्वीट पर दनादन ट्वीट दागने लगे. बीजेपी से मिल कर पार्टी तोड़ने के अमानुल्लाह खान के आरोप के बाद कुमार विश्वास ने खान को पार्टी से बाहर निकालने की ज़िद पाल ली. अमानुल्लाह ने अपने आरोप दोहराए तो विश्वास ने इसके पीछे किसी और के होने की बात कही.

दो मई को ट्वीट किया कि
सॉरी सर पुराने पैंतरे नहीं चलेंगे...
सत्यमेव जयते
 
अमानुल्लाह खान को पार्टी से तो निलंबित कर दिया गया लेकिन फिर उन्हें जल्द ही 6 कमिटियों का सदस्य बना दिया गया. ये महज संयोग नहीं है कि कुमार विश्वास ने एक लघुकाव्य ट्वीट किया....
अगर तू दोस्त है तो फिर ये खंजर क्यूं है हाथों में,
अगर दुश्मन है तो आख़िर मेरा सर क्यूं नहीं जाता?
 
तमाम मनमुटाव और मानमुनौव्वल के दौर के बीच 30 अप्रैल को अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा था कि "कुमार मेरा छोटा भाई है. कुछ लोग हमारे बीच दरार दिखा रहे हैं, ऐसे लोग पार्टी के दुश्मन हैं. वो बाज़ आएं. हमें कोई अलग नहीं कर सकता."
 
अब जिस तरह से कुमार कपिल को छोड़ फिर केजरीवाल के पाले में आ गए हैं उससे यही लगता है कि केजरीवाल के इस ट्वीट में सिर्फ उम्मीद ही नहीं कुछ ऐसे ठोस धरातल भी थे जिसके चलते उन्हें भरोसा था कि भाई भाई अलग नहीं हो सकते. शायद इसलिए ही वे अपने छोटे भाई की भाषाई अशिष्टता को भी बर्दाश्त करते रहते हैं. अपने काव्य और भाषा शैली से समां बांध देने वाले कुमार विश्वास बहुत ही कृतसंकल्पी होने का भ्रम देते रहे हैं. लेकिन लगता है केजरीवाल के पास उनकी भावनाओं को काबू में रखने का कोई महामंत्र है. सरजी की उसी सम्मोहन विद्या ने विश्वास को अपने ही शब्दों से डिगा दिया है. या फिर जैसा कि कुमार विश्वास ने चार मई को जो एक रीट्वीट किया उसका संज्ञान लेते हुए ये मानें कि वाकई में 'सत्य कुछ देर के लिए परेशान हुआ है पर अभी पराजित नहीं हुआ है'?

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com