उनका ताज़ातरीन ट्वीट कहता है, "अरविंद से मेरा 12 वर्ष का परिचय है और इतने साल काम करने के बाद मैं कह सकता हूं कि @arvindKejriwal भ्रष्टाचार करेगा ये मैं सोच भी नहीं सकता."
अरविंद से मेरा 12 वर्ष का परिचय है और इतने साल काम करने के बाद मैं कह सकता हूँ कि @ArvindKejriwal भ्रष्टाचार करेगा ये मैं सोच भी नहीं सकता
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) May 7, 2017
बहुत खूब. जब कुमार का केजवरीवाल पर विश्वास इतना तगड़ा था तो फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ अंदर और बाहर आवाज़ उठाना जारी रखने की बिगुल क्यों फूंक रहे थे? केजरीवाल राजनीति के सत्य हरिश्चंद्र हैं तो फिर उनकी पार्टी में किसकी मजाल कि वो भ्रष्टाचार करे? और वो भी कुमार जैसे विश्वासपात्र की तरफ से लाल झंडा लहराने के बाद भी?
विश्वास का ही शनिवार रात का ट्वीट है, 'एक आंदोलन और सही, न थके हैं, न डरे हैं, सत्ता के किसी घड़े का बूंद भर जल भी नहीं चखा इसलिए अभीतक जंतर मंतर की आग बाक़ी है साथियों आश्वस्त रहो.'
एक आंदोलन और सही.न थके हैं,न डरे हैं. सत्ता के किसी घड़े का बूँद भर जल भी नहीं चखा इसलिए अभीतक जंतर-मंतर की आग बाक़ी है.साथियो आश्वस्त रहो
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) May 6, 2017
सत्ता की बूंद कुमार विश्वास ने नहीं चखी लेकिन केजरीवाल तो सीएम हैं. ज़ाहिर है इस ट्वीट में न सिर्फ उनपर निशाना है बल्कि जंतर मंतर की राह पकड़ने की अपरोक्ष धमकी भी है. लेकिन लगता है कि उनके वीर सर के इस ट्वीट के बाद केजरीवाल खेमे ने भी अपने तरकश से कुछ तीर निकाले होंगे. तभी कपिल मिश्रा जब गेंद लेकर आगे बढ़े तो कुमार विश्वास ने गोलपोस्ट चेंज कर लिया. रात को रार छेड़ने वाले विश्वास सुबह पत्नी के साथ केजरीवाल के घर जा पहुंचे. इसमें कोई बुराई नहीं है. आने जाने के ये सिलसिला पिछले कई दिनों से चल रहा था. लेकिन सवाल है कि रात को कवि हृदय में सुलगती आग पर सुबह पानी कैसे पड़ गया?
आम आदमी पार्टी कवर करने वाले पत्रकार ही बार-बार ये कहते रहे हैं कि कपिल मिश्रा कुमार विश्वास के नज़दीकी हैं. कपिल मिश्रा और कुमार विश्वास ने बग़ावती सुर में किए गए एक दूसरे के ट्वीट को न सिर्फ रीट्वीट किया बल्कि कोट ट्वीट भी किया. मसलन जब कपिल मिश्रा ने टैंकर घोटाले में शीला दीक्षित से पूछताछ की बाबत एसीबी को लिखी चिट्ठी को शनिवार दोपहर 12 बज कर 14 मिनट पर ट्वीट किया तो कुमार विश्वास ने उस ट्वीट को ताली और थम्स अप के निशान के साथ आगे बढ़ाते हुए लिखा, "भ्रष्टाचार पर कोई समझौता नहीं @KapilMishraAAP"
भ्रष्टाचार पर कोई समझौता नहीं @KapilMishraAAP https://t.co/dhl00TDJfM
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) May 6, 2017
कपिल मिश्रा दावा करते हैं कि उनको भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने के कारण हटाया गया लेकिन पार्टी कहती है कि जल वितरण व्यवस्था की खराब हालत के कारण हटाया गया. कुमार विश्वास को अंदाज़ा तो होगा कपिल मिश्रा को लेकर. आखिर क्या वे उसके पीछे यूं ही खड़े हो गए? और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ लड़ाई के भरोसे के साथ खड़े हुए तो फिर कपिल मिश्रा के आरोप को क्यों काटने लगे? ये दो अलग बातें नहीं हैं. ये बताती हैं कि कुमार या तो अति आत्मविश्वास के शिकार रहे या किसी भ्रम के. और ये उनकी बेलाग छवि के बरख़िलाफ़ है.
नगर निगम चुनाव में उम्मीद से बहुत कम मिली सीट को आम आदमी पार्टी की करारी हार के तौर पर देखा गया. दो साल पहले ही विधानसभा की 70 में से 67 सीट जीत कर इतिहास लिखने वाली पार्टी में इसके बाद कुलबुलाहट ने ज़ोर पकड़ लिया. एक के बाद एक कई चैनलों पर नमूदार होकर कुमार विश्वास ने हार की वजह ईवीएम को मानने से इंकार कर केजरीवाल के दावे पर बड़ा हमला कर दिया. दोनों के बीच अविश्वास की खाई इतनी बढ़ गई विश्वास ट्वीट पर दनादन ट्वीट दागने लगे. बीजेपी से मिल कर पार्टी तोड़ने के अमानुल्लाह खान के आरोप के बाद कुमार विश्वास ने खान को पार्टी से बाहर निकालने की ज़िद पाल ली. अमानुल्लाह ने अपने आरोप दोहराए तो विश्वास ने इसके पीछे किसी और के होने की बात कही.
दो मई को ट्वीट किया कि
सॉरी सर पुराने पैंतरे नहीं चलेंगे...
सत्यमेव जयते
सॉरी सर,पुराने पैंतरे नहीं चलेंगे
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) May 2, 2017
सत्यमेव जयते
अमानुल्लाह खान को पार्टी से तो निलंबित कर दिया गया लेकिन फिर उन्हें जल्द ही 6 कमिटियों का सदस्य बना दिया गया. ये महज संयोग नहीं है कि कुमार विश्वास ने एक लघुकाव्य ट्वीट किया....
अगर तू दोस्त है तो फिर ये खंजर क्यूं है हाथों में,
अगर दुश्मन है तो आख़िर मेरा सर क्यूं नहीं जाता?
अगर तू दोस्त है तो फिर ये ख़ंजर क्यूँ है हाथों में,
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) May 6, 2017
अगर दुश्मन है तो आख़िर मेरा सर क्यूँ नहीं जाता?@Prabudhaspeaks @Rekhta
तमाम मनमुटाव और मानमुनौव्वल के दौर के बीच 30 अप्रैल को अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा था कि "कुमार मेरा छोटा भाई है. कुछ लोग हमारे बीच दरार दिखा रहे हैं, ऐसे लोग पार्टी के दुश्मन हैं. वो बाज़ आएं. हमें कोई अलग नहीं कर सकता."
कुमार मेरा छोटा भाई है। कुछ लोग हमारे बीच दरार दिखा रहे हैं,ऐसे लोग पार्टी के दुश्मन हैं !वो बाज़ आयें। हमें कोई अलग नहीं कर सकता
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) April 30, 2017
अब जिस तरह से कुमार कपिल को छोड़ फिर केजरीवाल के पाले में आ गए हैं उससे यही लगता है कि केजरीवाल के इस ट्वीट में सिर्फ उम्मीद ही नहीं कुछ ऐसे ठोस धरातल भी थे जिसके चलते उन्हें भरोसा था कि भाई भाई अलग नहीं हो सकते. शायद इसलिए ही वे अपने छोटे भाई की भाषाई अशिष्टता को भी बर्दाश्त करते रहते हैं. अपने काव्य और भाषा शैली से समां बांध देने वाले कुमार विश्वास बहुत ही कृतसंकल्पी होने का भ्रम देते रहे हैं. लेकिन लगता है केजरीवाल के पास उनकी भावनाओं को काबू में रखने का कोई महामंत्र है. सरजी की उसी सम्मोहन विद्या ने विश्वास को अपने ही शब्दों से डिगा दिया है. या फिर जैसा कि कुमार विश्वास ने चार मई को जो एक रीट्वीट किया उसका संज्ञान लेते हुए ये मानें कि वाकई में 'सत्य कुछ देर के लिए परेशान हुआ है पर अभी पराजित नहीं हुआ है'?