किसी ने क्या खूब कहा है इट हैपंस ओनली इन इंडिया। करगिल विजय दिवस है आज। 16 साल पहले दो महीने की लड़ाई के बाद पाकिस्तानी घुसपैठिओं को हमारे सेना के जांबाजों ने मार भगाया था। अलग बात है कि इसकी कीमत करीब 500 जवानों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
पूरा देश सैनिकों की कुर्बानी को याद रहा है और जब देश शहीदों को सलामी दे रहा है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कैसे पीछे रहते। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि "कारगिल विजय दिवस हमारी सेना के शौर्य, पराक्रम और बलिदान की याद दिलाता है। मातृभूमि पर सर्वस्व न्यौछवार करने वाले अमर शहीदों को शत् शत् नमन।"
पर बात इतनी भर नहीं है। जिनके बदौलत करगिल में जीत मिली आज वो अपनी मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर है। पिछले 42 दिनों से केवल जंतर-मंतर पर ही नहीं देश के 70 जगहों पर पूर्व सैनिक रिले भूख हड़ताल पर बैठे है। आज प्रधानमंत्री ने मन की बात भी की लेकिन धरना पर बैठे सैनिकों की याद तक नहीं आई। इन सैनिकों का धरना तुड़वाने के लिए सरकार का कोई नुमांइदा अब तक नहीं आया।
पूर्व सैनिकों को अपना समर्थन देने सामाजिक कार्यकर्ता अण्णा हजारे भी पहुंचे। अण्णा ने सरकार पर हमले करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कहा, रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन जाए, ये कहकर सीधे सरकार का निशाना साधा और कहा कि आपने सैनिकों को वन रैंक वन पेंशन देने का वादा किया फिर इसे क्यों नहीं पूरा करते। भ्रष्ट्राचार मिटाने का वादा किया, लोकपाल लाने का वादा किया और कुछ भी पूरा नहीं किया। अण्णा हजारे ने कहा कि अगर केंद्र सरकार यह सोच रही है कि वह बहुमत में है और उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता तो वह गलतफहमी में है। हर दिन के साथ उसका नुकसान बढ़ता जा रहा है और एक दिन उसे बड़ी हानि का सामना करना पड़ेगा। अण्णा ने इस बात के लिए सरकार की निन्दा की अभी तक भूख हड़ताल में बैठे सैनिकों की सुध लेने कोई सरकारी नुमाइंदा नहीं आया।
वैसे अन्ना जब जंतर-मंतर पर पहुंचे तो वहां पर दो-दो मंच देखकर अंचभित जरूर हुए। एक मंच पर 42 दिनों से सैनिक भूख हड़ताल पर बैठे हैं तो पूर्व सैनिकों के दूसरे गुट ने रातों रात अन्ना के लिए एक अलग मंच बना दिया। बाद में अन्ना दूसरे मंच पर भी गए।
दोनों मंचों से सैनिक एकता को लेकर नारा लगता रहा और कहा गया कि वन रैंक वन पेंशन की मांग को लेकर सारे सैनिक एक है। इसको लेकर एक मंच पर अगुवाई करने वाले मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा है उन्हें ये कहा गया कि अण्णआ को जेड प्लस सिक्युरिटी मिली है। इसी कारण अलग मंच बनाने की जरूरत पड़ी।
वहीं, दूसरे मंच पर अगुवाई करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल राज कादियान कहते हैं कि अण्णा को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी और आयोजक ने जहां कहा, वहां वो चले गए, अच्छा होता अगर सब इकट्ठे होते तो सरकार पर ज्यादा दवाब पड़ता।
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This Article is From Jul 26, 2015
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