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This Article is From Nov 02, 2021

हिमाचल में बीजेपी के लिए खतरे की घंटी

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    नवंबर 02, 2021 20:56 pm IST
    • Published On नवंबर 02, 2021 20:56 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 02, 2021 20:56 pm IST

13 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश में हुए उपचुनाव में कुछ राज्यों से आए नतीजों में एक संदेश भी छुपा है. 3 लोकसभा और 29 विधानसभा की सीटों पर उप चुनाव हुआ और जैसा कि अक्सर होता है उप चुनाव में वही पार्टी जीतती है जिसकी या तो उस राज्य में सरकार हो या फिर किसी के निधन के बाद खाली सीट पर उनके परिवार वालों को ही उम्मीदवार बनाया गया हो. उपचुनावों में एक सहानुभूति फैक्टर हमेशा ही होता है. मगर इस बार के उपचुनाव में दो राज्यों ने कुछ संदेश देने की कोशिश की है. खासकर हिमाचल प्रदेश और हरियाणा ने. हिमाचल में सबसे चौकाने वाला नतीजा रहा मंडी लोकसभा सीट का चुनाव. ये सीट कांग्रेस ने जीती जो 2019 में 4 लाख वोटों से हार गई थी. फिर यहां से हिमाचल के मुख्यमंत्री भी आते हैं. मंडी जयराम ठाकुर का गृह जिला भी है और यहां पर केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. यही नहीं बीजेपी हिमाचल की तीन विधानसभा सीटें भी हार गई है.

अब राजनीति के गलियारे में इस बात पर चर्चा शुरू हो गई है कि क्या हिमाचल में भी मुख्यमंत्री बदला जाएगा. जानकार यह भी मानते हैं कि पहाड़ का यह संदेश बीजेपी के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि उत्तराखंड में अगले साल की शुरूआत में ही चुनाव होने वाले हैं जहां बीजेपी ने चंद महीनों में तीन मुख्यमंत्री बदले हैं. बीजेपी कतई नहीं चाहेगी कि हिमाचल की हवा उत्तराखंड चुनाव में भी बहे. यानी कर्नाटक, उत्तराखंड और गुजरात के बाद हिमाचल को भी नया मुख्यमंत्री मिलने वाला है.

दूसरा बड़ा झटका बीजेपी को हरियाणा में मिला है. अपनी सीट से इस्तीफा देने के बाद अभय चौटाला ने उसे दुबारा जीत लिया है. चौटाला इनलो के एक मात्र विधायक हैं यानी जनता ने यह दिखा दिया है कि किसान आंदोलन का कितना असर हरियाणा में है. बीजेपी और जजपा मिल कर भी अपना उम्मीदवार नहीं जितवा पाए. इतना जरूर है कि कांग्रेस के लिए हरियाणा में खुश होने की कोई वजह नहीं है मगर जनता ने यह बता दिया है कि जो बीजेपी को हराने की हालत में होगा जनता उसे जि‍ता सकती है.

राजस्थान में जरूर कांग्रेस ने बीजेपी से एक सीट झटक ली है और गहलोत अब राहत की सांस ले सकते हैं क्योंकि कांग्रेस विधायकों की संख्या में दो के इजाफे से उन्हें थोड़ी आसानी होगी. मगर अब उन्हें जल्द ही अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करना होगा. बाकी राज्यों के नतीजे देखें तो बिहार में दोनों सीटें जदयू को गई हैं यानी लालू यादव का जादू इस बार काम नहीं चला. उन्होंने प्रचार भी किया मगर पहले के लालू यादव और अब के लालू यादव में काफी फर्क देखने को मिला. फिर तेजस्वी और तेजप्रताप के बीच मनमुटाव की खबरें, इन सब ने मिल कर जेडीयू की राह आसान कर दी.

पश्‍चि‍म बंगाल के नतीजे बताते हैं कि ममता बनर्जी की पूरी पकड़ वहां पर बनी हुई है. यही हाल मध्यप्रदेश का भी है. शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस से एक सीट छीन ली है. असम में भी बीजेपी और उनके सहयोगियों ने सारी सीटें जीत ली मगर दादर नगर हवेली के लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव को शिवसेना ने जीत कर सबको चौंकाया है. महाराष्ट्र के बाहर ये उनकी पहला सफलता है. वैसे महाराष्ट्र में कांग्रेस ने बीजेपी को एक सीट पर हराया है.

उसी तरह कर्नाटक में कांग्रेस ने एक सीट जीती है. अब कांग्रेस के नेता यह दलील दे रहे हैं कि हिमाचल, राजस्थान, कर्नाटक और महाराष्ट्र में जहां भी बीजेपी के साथ सीधी टक्कर थी वहां कांग्रेस को सफलता मिली है. मगर कांग्रेस को यह नहीं भूलना चाहिए कि ये उपचुनाव है और इसका कोई खास मतलब नहीं निकालना चाहिए. ये भी जरूर है कि हिमाचल के नतीजे बीजेपी के लिए खतरे की घंटी हैं और कहा जा रहा है दीवाली के बाद हिमाचल से कोई बड़ी खबर आ सकती है.

मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में मैनेजिंग एडिटर हैं...

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