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This Article is From Jun 21, 2016

दिल्‍ली की सियासत का बड़ा मुद्दा बना टैंकर घोटाला

Nidhi Kulpati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 12, 2016 13:43 pm IST
    • Published On जून 21, 2016 22:00 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 12, 2016 13:43 pm IST
दिल्ली का टैंकर घोटाला दिल्ली की सियासत में बड़ा मुद्दा बन गया है। इस मामले में एफआईआर दाखिल हो गई है जिसपर मुख्यमंत्री केजरीवाल इतने भड़के कि प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर डाली। प्रधानमंत्री मोदी पर सीधे तीखा प्रहार कर कहा, 'मुझ पर सीबीआई, एफआईआर इसलिए करा रहे हो क्योंकि मैं आपके खिलाफ चट्टान सा खड़ा हूं। आप जो भी कर लीजिये, मैं डरने वाला नहीं।' ये वही बातें थीं जो उन्होंने सुबह ट्वीट में कही थी.....  

- "मोदी जी, आपने वाड्रा के खिलाफ एफआईआर नहीं की, सोनिया के खिलाफ एफआईआर नहीं की, किसी घोटाले में एफआईआर नहीं की, जिनका जिक्र कर आप प्रधानमंत्री बने..."
- "सारी जांच एजेंसी आपके अन्डर - सीबीआई, पुलिस, एसीबी सबको आपने मेरे पीछे छोड़ रखा है। मुझ पर सीबीआई रेड की, कुछ नहीं मिला। अब आपकी एफआईआर का स्वागत है।"
- "मुझे खुशी है आपने स्वीकार किया कि आपकी लड़ाई सीधे मुझसे है...।"

...तो मुख्यमंत्री एक बार फिर खुद को सीधे प्रधानमंत्री का प्रतिद्वंद्वी बना रहे हैं, खुद को पीड़ि‍त पक्ष जता रहे हैं। शायद इसलिए क्योंकि टैंकर घोटाले में अरविंद केजरीवाल और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। सोमवार को इसमें एफआईआर दाखिल कर ली गई जिसके बाद आरोपी के तौर पर किसी का नाम नहीं है लेकिन जिन शिकायतों पर एफआईआर हुई है उसमें केजरीवाल और शीला दीक्षित के नाम हैं।

ये मामला उस समय का है जब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं, साथ ही जल बोर्ड की अध्यक्ष भी। शीला दीक्षित का कहना है सामूहिक फैसला था लेकिन बीजेपी कह रही है कि बीजेपी का कोई नहीं था।

आप सरकार में दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष कपिल मिश्रा का कहना है कि शीला दीक्षित के खिलाफ एफआईआर दायर करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। उन्होंने ने ही फैक्‍ट फाइंडिंग कमिटी 19 जून 2015 को बनाई लेकिन जब हमनें टैकर घोटाले की जांच शुरू की तो असमान्य परिस्तिथियों में एंटी करप्‍शन ब्‍यूरो को दिल्ली सरकार से ले लिया गया। जब एसीबी हमारे पास थी तब हमने तीन एफआईआर दर्ज की थी।

बीजेपी ने शिकायत की है कि केजरीवाल सरकार ने ये रिपोर्ट 11 महीने दबा कर रखी क्योंकि पिछले साल 28 अगस्त, 2015 को कपिल मिश्रा ने राजघाट से लौटने के बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल को इसी घोटाले पर चिठ्ठी लिखी और कहा कि एक बहुत बड़े घोटाले पर रिपोर्ट आपको भेज रहा हूं, तुरन्त एफआईआर दर्ज कराएं। इसके बाद खतरा है कि हमारी सरकार को अस्थिर किया जाये या मुझे मेरी कुर्सी से ही हटाया जाये। हालांकि सरकार तो नहीं हिली लेकिन कपिल मिश्रा से कानून मंत्रालय ले लिया गया। अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या मुख्यमंत्री ने अपने मंत्री की नहीं सुनी? क्यों इस पर कार्रवाई नहीं की?

सवाल बीजेपी पर भी उठ रहे हैं कि उसने मामले को पहले क्यों नहीं उठाया। जब राज्यपाल शासन था या फिर केन्द्र द्वारा जो दो साल से सत्ता में है क्योंकि 2013 के नवंबर में ही सीबीआई ने शुरुआती जांच कर ली थी। जब केन्द्र में यूपीए थी और दिल्ली में शीला दिक्षित की कांग्रेसी सरकार।

एसीबी के प्रमुख मुकेश मीणा के अनुसार उचित प्रक्रिया के तहत पूछताछ की जायेगी, केजरीवाल हों या शीला दीक्षित, सभी पक्षों से पूछताछ होगी। हालांकि राजनीतिक दबाव से उन्‍होंने इंकार किया लेकिन सवाल उठा दिया कि अगर टैंकर मामले में घोटाला था तो केजरीवाल सरकार ने क्यों जारी रखा।

(निधि कुलपति एनडीटीवी इंडिया में सीनियर एडिटर हैं)

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