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This Article is From Dec 07, 2014

बीसीसीआई में एन श्रीनिवासन के बने रहने पर संशय बरकरार

Pradeep Kumar, Rajeev Mishra
  • Blogs,
  • Updated:
    दिसंबर 07, 2014 14:38 pm IST
    • Published On दिसंबर 07, 2014 14:31 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 07, 2014 14:38 pm IST

एन श्रीनिवासन बीसीसीआई में बने रहेंगे या जाएंगे, इसका फ़ैसला अब कानूनी दांव-पेंच के आधार पर तय होना है। सुप्रीम कोर्ट की अब तक की सुनवाई से साफ है कि दो जजों की बेंच श्रीनिवासन को कोई रियायत देने के मूड में नहीं है।

ऐसे में श्रीनिवासन और उनके वकीलों की टीम को हर हाल में सुप्रीम कोर्ट की शंकाओं के जवाब देने होंगे। बीसीसीआई अध्यक्ष और आईपीएल में टीम के प्रमोटर की भूमिका में श्रीनिवासन पर कंफ्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट का मामला नहीं बनता है, ये उनके वकीलों को साबित करना होगा।

जाहिर है कि ये इतना सीधा और सरल मामला नहीं है। देखना होगा कि श्रीनिवासन के वकील उनके पक्ष में किस तरह की दलील देते हैं।
अब तक उनके वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि
− चेन्नई सुपरकिंग्स खरीदने के लिए नियमों में जो भी बदलाव किए गए उनमें उनका रोल नहीं था।
- उस वक्त बीसीसीआई के अध्यक्ष शरद पवार से राय ली थी। उनकी मंजूरी के बाद ही उन्होंने चेन्नई सुपरकिंग्स टीम ख़रीदी।
− जैसे ही स्पॉट फ़िक्सिंग की जानकारी हुई बीसीसीआई ने जांच समिति बनाई।
− ये जांच समिति बीसीसीआई के उपाध्यक्ष अरुण जेटली की सलाह पर बनी थी।
− उन्होंने मामले में तेज़ी से कार्रवाई की।
− उन्होंने खुद मयप्पन और राजस्थान रॉयल्स के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई।
− और खुद को पूरे मामले से अलग रखा।

ऐसे में सोमवार को जब मामले की सुनवाई फिर शुरू होगी तो श्रीनिवासन का खेमा अन्य दलीलों के सहारे ये साबित करने की कोशिश करेगा कि श्रीनिवासन बेदाग हैं।

श्रीनिवासन के वकीलों की कोशिश यही होगी कि वे अपने पक्ष में दो बातों को दमदार बना सकें-
− मुद्गल कमेटी की रिपोर्ट में श्रीनिवासन के ख़िलाफ़ सीधे-सीधे कोई मामला नहीं बनता है।
− आईपीएल में सट्टेबाज़ी मामले की जांच में मुंबई पुलिस ने भी श्रीनिवासन को क्लीन चिट दी थी।

लेकिन, इन सबके बीच एक सवाल नैतिकता का भी उठ रहा है। अगर मुद्गल कमेटी की रिपोर्ट पूरी तरह सार्वजनिक होती है तो श्रीनिवासन पर बोर्ड से हटने का दबाव बढ़ सकता है।

दूसरी ओर बीसीसीआई के अंदर जिस तरह से श्रीनिवासन को समर्थन मिल रहा है, उसे देखते हुए श्रीनिवासन इस मामले में अंतिम समय तक कानूनी लड़ाई लड़ने को तैयार दिख रहे हैं।

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