हरियाणा में विधानसभा चुनाव के सभी परिणाम घोषित हो चुके हैं. यहां 90 में से 40 सीटें जीतकर भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई है. हालांकि इसके बावजूद बहुमत के आंकड़े (46) से पीछे है. दूसरी तरफ बीजेपी के मुख्य प्रतिद्वंदी दल कांग्रेस ने 31 सीटें जीतकर राज्य में अपनी स्थिति को सुधारा है. इन दोनों मजबूत दलों से हटकर दुष्यंत चौटाला की नई पार्टी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने दस सीटें हासिल करके आश्चर्यचकित कर दिया है. इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) को सिर्फ एक सीट पर ही फतह हासिल हुई है. हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) को एक सीट मिली है और सात निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं. चुनाव परिणाम के बाद उभरे हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य में यहां त्रिशंकु विधानसभा बनना तय हो गया है. अब हरियाणा में जेजेपी और निर्दलीय विधायकों के पास सत्ता की चाबी आ गई है.
हरियाणा में कांग्रेस और जेजेपी हाथ मिला लें तो सरकार नहीं बना सकेंगे क्योंकि दोनों का कुल आंकड़ा 41 तक ही पहुंचेगा. इस स्थिति में उन्हें निर्दलियों का सहारा लेना ही पड़ेगा. दूसरी तरफ 'इस बार 75 पार' का नारा देने वाली बीजेपी अपने बलबूते सरकार का गठन करने लायक स्थिति में नहीं पहुंच पाई. उसे 40 सीटें मिलीं और वह बहुमत के आंकड़े से छह सीटों से पीछे रह गई. अब बीजेपी की नजर निर्दलियों पर लगी है. यदि सात में से छह निर्दलीय भी उसे समर्थन दे देते हैं तो उसका सरकार बनाने का रास्ता साफ हो जाएगा. हालांकि बीजेपी यदि जेजेपी से समर्थन लेती है तब भी वह सरकार आसानी से बना सकती है, लेकिन शायद बीजेपी जेजेपी के साथ मोलभाव के चक्कर में पड़ना नहीं चाहती और इसलिए उसने जेजेपी के बजाय निर्दलियों पर नजर जमा ली है. वैसे भी चुनाव पश्चात बीजेपी चूंकि हरियाणा में सबसे बड़ा दल बना है इसलिए सरकार के गठन के लिए उसका दावा पहले बनेगा. स्वाभाविक रूप से राज्यपाल भी उसे सरकार के गठन के लिए आमंत्रित कर सकते हैं. ऐसे में बीजेपी का समर्थन लेकर सरकार बनाना करीब तय है.
हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में बीजेपी विधानसभा चुनाव में पिछले चुनाव के मुकाबले पिछड़ गई. उसे सात सीटों का नुकसान हुआ. वह 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के जादुई आंकड़े को छूने में विफल रही. इसके अलावा बीजेपी को बड़ा झटका इसके मंत्रियों की हार से लगा. पार्टी के प्रदेश प्रमुख सुभाष बराला सहित कई मंत्री पराजित हो गए. यही नहीं इस चुनाव में बीजेपी ने योगेश्वर और बबीता फोगाट जैसे ख्यात खिलाड़ियों को भी मैदान में उतारा था लेकिन उसे इनसे निराशा मिली. मैदान में बाजी मारने वाले खिलाड़ी चुनाव मैदान में चित हो गए. बीजेपी शायद अति आत्मविश्वास में मात खा गई. अनुच्छेद 370 खत्म करने को लेकर चाहे वह अपनी पीठ थपथपा ले लेकिन मतदाताओं के मन में उसके लिए जगह कम हो गई.
दूसरी तरफ हरियाणा में काफी कमजोर हालात में पहुंच चुकी कांग्रेस ने इस चुनाव के जरिए अपनी स्थिति में उल्लेखनीय सुधार कर लिया है. कांग्रेस ने पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार 16 सीटों की बढ़त हासिल की. वह 31 सीटें जीतकर राज्य में दूसरी बड़ी पार्टी बन गई है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए यह सफलता राजनीतिक जीवनदान की तरह है. हुड्डा पार्टी में मजबूत स्थिति में नहीं रह गए थे. उनके पार्टी में भविष्य को लेकर भी सवाल उठने लगे थे. इस चुनाव के परिणामों ने उनकी राजनीतिक ताकत बढ़ा दी.
इस चुनाव में नवगठित जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) की अप्रत्याशित सफलता से हरियाणा के राजनीतिक समीकरणों में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है. एक साल से भी कम उम्र की इस पार्टी ने 10 सीटें जीतकर हरियाणा की राजनीति में अपनी ताकतवर मौजूदगी दर्ज कराई है. जेजेपी का जन्म प्रदेश के प्रमुख क्षेत्रीय दल इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से टूटकर हुआ था. जेजेपी ने जहां पहली बार में ही अपना असर दिखा दिया जबकि 19 सीटों का नुकसान उठाकर इनेलो को तगड़ा झटका झेलना पड़ा है. त्रिशंकु विधानसभा के आसार के चलते पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार बनाने के लिए जेजेपी समेत बीजेपी विरोधी अन्य दलों को कांग्रेस को समर्थन देने की अपील की है.
दूसरी तरफ बीजेपी निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल करने की जुगत में जुट गई है. इन निर्दलियों में गोपाल कांडा सिरसा विधानसभा क्षेत्र से, चौधरी रणजीत चौटाला रानिया से, राकेश दौलताबाद बादशाहपुर से, नयनपाल रावत पृथला से, सोमबीर सांगवान दादरी से और बलराज कुंडू महम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते हैं. इनमें से बलराज कुंडू, नयनपाल रावत और सोमबीर सांगवान चुनाव के पहले तक बीजेपी में ही थे. इन तीनों ने टिकट न मिलने पर पार्टी से नाता तोड़कर चुनाव लड़ा था. बीजेपी इन विधायकों को साथ लेकर सत्ता पर काबिज होने की कोशिश में जुट गई है.
हरियाणा के चुनाव परिणाम आने के बाद अब सबकी नजरें सरकार के गठन की ओर लगी हैं. कांग्रेस जहां बीजेपी विरोधी दलों को साथ लेकर आगे बढ़ने की कोशिश में जुटी है वहीं बीजेपी को निर्दलियों पर भरोसा है. बनते-बिगड़ते सत्ता के समीकरणों के साथ जल्द ही स्थित और साफ हो जाएगी.
सूर्यकांत पाठक Khabar.ndtv.com के डिप्टी एडिटर हैं.
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