इंदौर से 8 बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. मौजूदा लोकसभा में वे अकेली महिला सांसद हैं जो 8 बार चुन कर आई हैं. 1989 से सुमित्रा महाजन लोकसभा पहुंच रही हैं. 16वीं लोकसभा की अध्यक्ष बनाईं गईं. आज उन्होंने एक पत्र जारी किया जो न तो प्रधानमंत्री को संबोधित था और न ही पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को. यह पत्र सीधा प्रेस को जारी किया गया है जिसमें पार्टी अध्यक्ष की जगह सादर प्रकाशनार्थ लिखा है. यानी छपने के लिए. आखिर 8 बार की सांसद रहीं सुमित्रा महाजन को आखिर प्रेस को पत्र क्यों जारी करना पड़ा.
'भारतीय जनता पाटी ने आज दिनांक 4 अप्रैल तक इंदौर में अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. यह अनिर्णय की स्थिति क्यों है, संभव है कि पार्टी को निर्णय लेने में कुछ संकोच हो रहा है. हालांकि मैंने पार्टी में वरिष्ठों से इस संदर्भ में बहुत पहले ही चर्चा की थी और निर्णय उन्हीं पर छोड़ा था. लगता है उनके मन में अब भी कुछ असमंजस है. इसलिए मैं यह घोषणा करती हूं कि मुझे अब लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना है. अत: पार्टी अपना निर्णय मुक्त मन से करे और निसंकोच होकर करे.'
इसके अलावा सुमित्रा महाजन ने कुछ कहा नहीं तो क्या मतलब निकाला जाए. चुनाव के समय असंतोष होता है. लोग दल बदलते हैं. मगर सुमित्रा महाजन जैसी वरिष्ठतम नेता को खुला पत्र लिखकर चुनाव न लड़ने का ऐलान क्यों करना पड़ा. उम्मीद है सब ठीक होगा. अगर कोई बाग़ी है तो उसकी तरफ से किसी को बग़ावत नहीं करनी चाहिए. बाग़ी ही तय करें वरना पता चला कि बागी ने खुद को सिपाही घोषित कर दिया. बीजेपी में प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के दौर में असंतोष की औपचारिकता पहले से काफी कम हुई है. बहुतों के टिकट कटे हैं मगर कोई बड़ी बगावत नहीं हुई. छोटी मोटी तो कहीं भी हो जाती है.
हमारे सहयोगी अनुराग द्वारी ने बताया है कि सुमित्रा महाजन के चुनाव न लड़ने का फैसला सार्वजनिक होते ही उनके घर बीजेपी के नेताओं का आना शुरू हो गया. 30 साल से बीजेपी को वहां जीत दिलाती रही हैं. आरएसएस का पुराना गढ़ रहा है. बीजेपी ने अभी तक मध्य प्रदेश की 29 में से 18 उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. क्या वाकई पार्टी असमंजस में थी सुमित्रा महाजन को लेकर.
सुमित्रा महाजन अगले हफ्ते 76 साल की होने वाली हैं. पार्टी ने टिकटों के बंटवारे के लिए एक मानदंड बनाया है कि 75 साल से ऊपर वालों को कोई पद नहीं मिलेगा. 85 साल के मुरली मनोहर जोशी का जब टिकट कटा तो उन्होंने भी एक छोटा सा बयान जारी किया जिसमें कानपुर की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा के संगठन महासचिव श्री राम लाल ने मुझसे कहा है कि मैं कानपुर या किसी अन्य सीट से चुनाव न लड़ूं. यह पत्र भी कानपुर की जनता को लिखा था. इससे अधिक इन नेताओं ने कुछ नहीं कहा जिससे लगे कि पार्टी ने उनका अपमान किया है. मगर गढ़चिरौली में भाषण देते हुए राहुल गांधी को बीजेपी को हिन्दू धर्म का पाठ पढ़ाने का मौका मिल गया.
बस अब हिन्दू धर्म की पाठशाला खुल जाएगी. चुनाव बिना मुद्दों के ही हो जाएगा. वैसे जूतों से मारने की बात थोड़ी अधिक रही क्योंकि आडवाणी ने जब 1806 दिनों के बाद ब्लाग लिखा तो ऐसा कुछ नहीं लिखा. बस इतना लिखा कि भारतीय राष्ट्रवाद की हमारी जो समझ है उसमें हम राजनीतिक असहमति रखने वालों को एंटी नेशनल नहीं मानते हैं. विचारों की स्वतंत्रता और विविधता का सम्मान करना ही भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती है.
इसके बाद आडवाणी ने बीजेपी को मीडिया से लेकर संस्थाओं के सम्मान और निष्पक्षता का सम्मान करने वाली पार्टी भी बताया. बीजेपी ने उनके लेख के इस छोर को पकड़ लिया और पहले छोर को छोड़ दिया कि हम किसी राजनीतिक विरोधी को एंटी नेशनल नहीं मानते हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने तुरंत ही ब्लाग के समर्थन में ट्वीट कर दिया. इस तरह पेश किया जैसे आडवाणी ने आज की राजनीति पर मुहर लगा दी हो.
अब आप ही याद करें, क्या आपने बिल्कुल ही कभी नहीं सुना कि बीजेपी के नेता असहमति रखने वालों या विरोधियों को एंटी नेशनल, पाकिस्तान का समर्थक कभी कहा ही नहीं. विरोधी के जीतने पर पाकिस्तान में दिवाली मनाने की बात, पाकिस्तान को खुश करने वाली बात आपने सुनी ही नहीं. आडवाणी जी ने इतने दिनों बाद ब्लाग लिखा तो कम से कम साफ-साफ लिखना था. बोलना था कि किसने कब कहा और उन्हें क्यों एतराज़ है. मगर आडवाणी आडवाणी हैं. हम याद दिला देते हैं. कांग्रेस के मेनिफेस्टो को एंटीनेशनल बोलना क्या है. मेनिफिस्टो से बीजेपी असहमत हो सकती है लेकिन उसे एंटीनेशनल बनाना, पाकिस्तान में साज़िश की योजना बताना, शायद आडवाणी ने ब्लाग लिखते समय गूगल सर्च नहीं किया होगा.
ऐसे अनेक बयान मिल जाएंगे जहां बात बात में असहमति रखने वालों और आलोचकों को देशद्रोही कहा गया. पाकिस्तान का समर्थक कहा गया. आडवाणी के ब्लाग का इस्तमाल बीजेपी के नेता सर्टिफिकेट के रूप में कर रहे हैं तो कांग्रेस का कहना है कि आडवाणी ने बीजेपी को आईना दिखाया है.
क्या भारत ने ऑपरेशन बालाकोट में पाकिस्तान के लड़ाकू जहाज़ F-16 को मार कर गिराया था. ऑपरेशन बालाकोट के समय सरकार ने दावा किया था कि भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के एक लड़ाकू विमान F-16 मार गिराया गया है. विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने उसे मार गिराया था और एक दूसरे विमान का पीछा करते समय उनका जहाज़ पाकिस्तान की सीमा में क्रैश कर गया.
Foreign Policy नाम की अमरीकी पत्रिका ने छापा है कि अमरीका ने पाकिस्तान में अपने F-16 विमानों के बेड़े की गिनती है और पाया कि सभी के सभी विमान मौजूद हैं. एक भी विमान गायब नहीं है. तो फिर भारत ने जिस विमान के मार गिराने का दावा किया है वो कहां है और वो कितना सही है. आपको ध्यान होगा कि 28 फरवरी की भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने इमरन मिसाइल के टुकड़े दिखाए थे जो F-16 विमान से ही छोड़ा जा सकता है. वायुसेना से लेकर सरकार ने सबने पाकिस्तान के लड़ाकू विमान F-16 को मार गिराने की बात कही थी. उसी दिन विंग कमांडर अभिनंदन को वापस लौटाया गया था. फॉरोन पालिसी पत्रिका के अनुसार पाकिस्तान ने अमरीका को बुलाया था कि वो आकर F-16 विमानों की गिनती कर ले. अमरीकी अधिकारियों ने पाया है कि ध्यान रहे कि पत्रिका ने यह खबर सूत्रों के हवाले से छापी है. अब भारत को जवाब देना या अमरीका को आधिकारिक चैनल से बताना है कि इन दावों में कितनी सच्चाई है. भारतीय वायुसेना ने इस पर बयान जारी करते हुए कहा है कि 26 फरवरी को बालाकोट में आतंकी शिविरों पर हमले के बाद 27 फरवरी को जब पाकिस्तान ने जवाब देने का प्रयास किया तो भारत के मिग 21 बाइसॉन ने पाकिस्तान के F-16 विमान को नौशेरा सेक्टर में मार गिराया था.
रक्षा से ही संबंधित एक और बयान आज दिल्ली की राजनीति में गरमी पैदा करता रहा. विपक्ष ने इस पर कुछ भी नहीं कहा है. प्रत्यर्पण निदेशालय ने अगुस्ता वेस्टलैंड VVIP हेलिकाप्टर मामले में पटियाला कोर्ट में एक अनुपूरक आरोपपत्र दायर किया. मगर वह एक दिन पहले ही मीडिया में लीक हो गया. दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने प्रत्यर्पण निदेशालय से पूछा है कि आरोपपत्र कैसे लीक हो गया. 6 अप्रैल को जवाब देना है. मिशेल ने वीकल के ज़रिए अदालत से कहा है कि आरोपपत्र अदालत में दायर होने से पहले मीडिया को कैसे लीक हो गया. वकील अल्जी के जोसेफ का दावा है कि मिशेल ने किसा का नाम नहीं लिया है. अनुपूरक चार्जशीट में कांग्रेस नेता अहमद पटेल और मिसेज गांधी का ज़िक्र है. इस मामले में गिरफ्तार आरोपी क्रिश्चियन मिशेल ने आरोप लगाया है कि आरोपपत्र को अदालत में पेश करने से पहले मीडिया में लीक किया गया. दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने भी प्रत्यर्पण निदेशालय को नोटिस जारी किया है कि चार्जशीट कैसे मीडिया में लीक हो गया. इस आरोप पत्र में कांग्रेस नेता अहमद पटेल और मिसेज गांधी का ज़िक्र है. प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया है कि मिशेल ने पूछताछ के दौरान एपी और फैम का ज़िक्र किया है मतलब अहमद पटेल और फैमिली. ईडी को जो डायरी मिली है उसमें एपी और फैम को कोर्ड की तरह लिखा गया है. ऐसा दावा किया गया है.
2012 में यह मामला इटली के प्रेस में सबसे पहले सामने आया था कि 3600 करोड़ के इस सौदे में कथित रूप से 360 से 450 करोड़ की दलाली दी गई है. उसके बाद इटली के अटार्नी जनरल ने इसकी जांच की. कई लोग गिरफ्तार हुआ. इटली की निचली अदालत ने सज़ा भी हुई मगर दिसबंर 2016 में इटली के सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपील स्वीकार लिया. 8 जनवरी 2019 को अपील की अदालत ने दोनों आरोपियों को बरी कर दिया. साबित हुआ कि फिनमेकानिका के पूर्व प्रेसिडेंट जी ओरसी और अगुस्ता वेस्टलैंड के पूर्व सीईओ ब्रूनो स्पागनोलिनी ने किसी को रिश्वत नहीं दी. वहां की अदालत में साबित नहीं हो सकता कि भारत में किसी को कंपनी ने रिश्वत दी है. इटली की अदालत में सुनवाई हुई तो सीबीआई और रक्षा मंत्रालय के अधिकारी भी मौजूद थे. बाद में कहा गया कि उन्हें कुछ समझ नहीं आया क्योंकि सुनवाई इटालियन में हो रही थी. भारत में भी सीबीआई ने इसकी जांच शुरू की थी. तब वायुसेना के पूर्व प्रमुख एस पी त्यागी को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया.
मगर 12 सितंबर 2018 को एस पी त्यागी को ज़मानत मिल गई. स्पेशल जज अरविंद कुमार ने 24 जुलाई को त्यागी सहित अगुस्ता वेस्टलैंड के सीईओ और फिनमेकानिका के निदेशक जी ओरसी को समन किया था. त्यागी हाज़िर हुए और ज़मानत मिल गई मगर अगुस्ता वेस्टलैंड और फिनमेकानिका के पूर्व सीईओ और प्रेसिडेंट नहीं आए. एक भी विदेशी नागरिक कोर्ट के सामने हाज़िर नहीं हुआ. जबकि अदालत ने चार्जशीट का संज्ञान लेते हुए माना था कि रिश्वत खाने के पर्याप्त सबूत हैं.
इस मामले में राजनीति ही हो रही है. 7 साल हो चुके हैं लेकिन जांच के नाम पर मीडिया को सामग्री दी जा रही है. उम्मीद है अब कोई फैसला होगा. जब इटली की अदालत ने रिश्वत के आरोपों को खारिज किया था तब मीडिया ने इसे नोटिस भी नहीं लिया था जबकि उस सुनवाई के वक्त भारतीय पक्ष भी वहां मौजूद था. रफाल मामले को लेकर कितने आरोप लगे. कितने खुलासे हुए मगर जांच नहीं हुई. सिर्फ खंडन हुआ. चुनाव समय है.
क्या आयकर विभाग चुनाव के समय विपक्ष को निशाना बना रहा है. विजयवाड़ा में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा के सामने धरने पर बैठ गए, प्रतिमा को ही अपना ज्ञापन दिया और काले रंग के गुब्बारे छोड़े जिस पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर बनी हुई थी. नायडू ने कहा कि आयकर विभाग के अधिकारी टीडीपी, डीएमके और समाजवादी पारटी, बीसएपी और जनता दल सेकुलर. आम आदमी पार्टी के नेताओं को निशाना बना रहे हैं. सिर्फ विपक्ष के नेताओं के यहां छापे मारे जा रहे हैं. नायडू ने आयकर अधिकारियों को चेतावनी दी कि वे दिल्ली की सत्ताधारी पारटी के इशारे पर काम न करें. अगर ऐसा करेंगे तो बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी. अगर कानून के हिसाब से होगा तो सभी नेता सहयोग करेंगे. टीडीपी नेताओं के खिलाफ इस तरह के छापे बीजेपी वाईआरएस और टी आर एस की साज़िश है. नायडू ने कहा कि चुनाव की घोषणा हो जाने के बाद सभी कुछ चुनाव आयोग के अधीन होना चाहिए. सभी दल बराबर हैं. अभी जो हो रहा है वह चुनाव के खिलाफ है.
कांग्रेस के बाद समाजवादी पार्टी के घोषणा पत्र में भी सरकार की जवाबदेही पर लौटने की बात है. इस सवाल को लेकर चिन्ता है कि सरकार के पास जनता का जो संसाधन है उसका बराबरी से लोगों में वितरण नहीं हो रहा है. घोषणा पत्र को पढ़ते हुए लग रहा है कि भारत की राजनीति अब इस सवाल के साथ करवट ले सकती है. बार बार ज़िक्र आ रहा है कि अमीर अमीर हो रहे हैं और गरीब गरीब होते जा रहे हैं. यह सवाल जैसे जैसे मुखर होगा भारत की राजनीति में अमीरों का अकेलापन बढ़ता जाएगा वैसे अभी उन्हीं का ऊपरी वर्चस्व बना हुआ है. सपा ने अपने घोषणापत्र में लिखा है कि अमीर और अमीर बन रहा है. 10 फीसदी उच्च जाति के लोग 60 फीसदी राष्ट्रीय संपत्ति पर काबिज़ हैं. गरीब तबके की आय वृद्धि का स्तर मुद्रास्फीति से भी कम है. समाजवादी पार्टी ने अपना स्लोगन दिया है कि हम लोग महापरिवर्तन के लिए संकल्पित हैं. 2.5 करोड़ से अधिक की संपत्ति रखने वालों पर 2 परसेंट अतिरिक्त टैक्स लगेगा. अमीरों से ज्यादा टैक्स लेने का ब्रैकेट बनाने पर ज़ोर दिया गया है. हर साल 1 लाख सरकारी नौकरियां देने का वादा किया गया है. 100 फीसदी कर्ज माफी की जाएगी. ज़रूरतमंद महिलाओं को 3000 मासिक पेंशन दी जाएगी. लोहिया आवास योजना के तहत केद की योजना से तीन गुना अधिक घर दिए जाएंगे. इन घरों में दो कमरे होंगे, एक शौचालय, सोलर पैनल, पंखा, लाइट, पानी की सुविधा होगी.
एक तरफ जेटली कह रहे हैं कि टैक्स का आधार बढ़ाएंगे और कारोपोरेट टैक्स कम करेंगे. दो बार के बजट में अलग अलग कैटगरी में कोरपोरेट टैक्स कम भी किया गया. दूसरी तरफ अखिलेश कह रहे हैं कि ढाई करोड़ से अधिक की संपत्ति पर 2 परसेंट का अतिरिक्त टैक्स लगेगा. अमीरों से ज्यादा टैक्स लिया जाएगा. इन सब पर चुनाव में बहस हो तो मज़ा आ जाए लेकिन चुनाव इन पर नहीं होते हैं. सपा ने अपने घोषणापत्र में लिखा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा चाहिए, तथाकथित राष्ट्रवाद नहीं. लिखा है कि भाजपा का छद्म राष्ट्रवाद हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए किसी भी बाहरी ताकत से ज़्यादा ख़तरनाक है.
हम राजनीतिक फायदे के लिए सेना और सैनिकों के इस्तमाल को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करेंगे. सभी राज्यों में रेजिमेंट की स्थापना करेंगे. अहीर बख़्तरबंद रेजीमेंट और गुजरात इन्फेंट्री रेजीमेंट की स्थापना करेंगे.
अखिलेश अक्सर यह बात उठाते हैं कि शहीद हमेशा यूपी से अधिक होते हैं. गुजरात से कोई शहीद नहीं होता है. तो क्या उस पर टिप्पणी है कि गुजरात इंफ्रेंट्री रेजीमेंट की स्थापना की जाएगी. क्या यह दिलचस्प नहीं है कि गुजरात इंफ्रेंट्री बनाने की बात यूपी से उठ रही है. अखिलेश ने भी कांग्रेस और बीजेपी को एक समान बताया है कहा है कि दोनों में कोई फरक नहीं होगा.
एमटीएनल और बीएसएनएल के संकट की खबरें तो आ ही रही थीं अभी शाम को मदर डेयरी के संकट में भी होने की खबर आ गई है. इंडियन एक्सप्रेस के संदीप सिंह की खबर के अनुसार मदर डेरी ने प्रधानमंत्री से मदद मांगी. IL&FS (Infrastructure Leasing & Finance Services) में 190 करोड़ का उसका निवेश डूब गया है. आप जानते हैं कि IL&FS संकट से गुज़र रहा है. इसमें जिन कंपनियों ने निवेश किए थे, इसे जिन्होंने लोन दिया था, वह लौटा नहीं पाया. Mother Dairy Fruit and Vegetable Private Ltd (MDFVL) ने पिछले साल निवेश किया था. ठीक उसी समय यह कंपनी डिफाल्ट करने लगी थी. प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि किसान अपनी आजीविका के लिए मदर डेरी फ्रूट एंड वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड पर निर्भर रहते हैं जिसने अपनी राशि IL&FS में निवेश की है. IL&FS के पैसा नहीं चुका पाने के कारण मदर डेरी फ्रूट एंड वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के पास नगदी का संकट हो गया है. वह अपने किसानों को पैसे का भुगतान नहीं कर पा रहा है. कृपया इस मामले में दखल दें.
IL&FS' के मामले में जांच चल रही है. इस पर 91000 करोड़ की देनदारी हो गई है. दिल्ली में बीएसएनएल के कर्मचारियों ने मार्च निकाला. कर्मचारियों ने सरकार से 4जी स्पेक्ट्रम की मांग की है. उनका कहना है कि बीएसएनएल को 4जी नहीं दिए जाने से ही वह प्रतियोगिता में पीछे रह गया और आर्थिक संकट से गुज़र रहा है.
देश भर से आए हज़ारों कर्मचारियों ने वेस्टर्न कोर्ट से जंतर मंतर तक मार्च निकाला. इन कर्मचारियों की चिन्ता है कि सरकार जानबूझ कर 4जी स्पेक्ट्रम नहीं दे रही है ताकि प्राइवेट कंपनियों को फायदा पहुंचे. बीएसएनलएल के लगातार घाटे में होने से सैलरी पर भी संकट आ गया है. हाल ही में खबर आई थी कि कंपनी 50,000 से अधिक लोगों को रिटायर करने पर विचार कर रही है. बीएसएनएल पर छंटनी की तलवार लटक गई है. चुनाव तक तो टल सकती है मगर उसके बाद क्या होगा, इन कर्मचारियों को पता नहीं है. हालांकि बीएसएनल के सीईओ का मीडिया में बयान आया था कि वीआरएस के लिए अच्छे पैकेज पर विचार किया जा रहा है जो सबके हित में होगा. सीईओ ने ट्वीट किया है कि संचार मंत्रालय बीएसएनएल को दोबारा पटरी पर लाने के लिए 4जी स्पेक्ट्रम अलाट कर रही है. तो क्या यह माना जाए कि कर्मचारी सही कह रहे थे कि 4जी न देने के कारण ही बीएसएनएल की सेवा बेकार हो गई और ग्राहकों ने नकारना शुरू कर दिया. इसके बाद भी कर्मचारी यकीन नहीं कर रहे हैं.