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This Article is From Mar 05, 2018

नौजवानों के करियर से खेलते चयन आयोग

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मार्च 05, 2018 21:49 pm IST
    • Published On मार्च 05, 2018 21:49 pm IST
    • Last Updated On मार्च 05, 2018 21:49 pm IST
हम नौकरी सीरीज़ के 23वें अंक पर आ गए हैं. यात्रा आगे भी जारी रहेगी. अगर सारे राज्यों से डेटा मंगाएं तो पता चलेगा कि लाख से ज़्यादा नौकरियां कोर्ट केस में फंसी हैं. ज़रूरी नहीं कि कोर्ट के कारण ही लंबित हों, कई बार जांच पूरी न होने के कारण भी ये नौकरियां फंसी हुई हैं. दलाली, धांधली, पेपर लीक, ग़लत सवाल जैसे आरोपों के बग़ैर शायद ही कोई परीक्षा पूरी होती है. ये सब न हो तो भी बहुत सी परीक्षाएं फार्म भरने के बाद नहीं होती हैं. कई मामलों में एक परीक्षा को संपन्न होने में एक साल से लेकर 4 साल तक लग जाते हैं. इन चयन आयोगों की परीक्षाओं का डेटा जोड़ लेंगे तो पता चलेगा कि इन्होंने मिलकर करोड़ों छात्रों का भविष्य बर्बाद कर दिया है. हमने नौकरी सीरीज़ में कई राज्यों के चयन आयोगों की परीक्षाओं के हाल बताए, किसी ने जवाब नहीं दिया. केंद्र सरकार के तहत आने वाले कर्मचारी चयन आयोग ने भी जवाब नहीं दिया मगर जब छात्र वहां पहुंच गए, धरना देने लगे, तो चेयरमैन ने कहा कि एनडीटीवी भड़का रहा है. जबकि ये छात्र पहली बार एसएससी के बाहर नहीं जमा हुए थे. इससे पहले भी कई बार जमा हो चुके हैं. तब चेयरमैन खुराना ने नहीं कहा कि एनडीटीवी भड़का रहा है. जबकि पहले कहा था कि कोचिंग वाले इन छात्रों को भड़का रहे हैं. उम्मीद है खुराना साहब कहीं यह न कह दें कि रवीश कुमार ने देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह को ही भड़का दिया है जिन्होंने कहा है कि सीबीआई से जांच कराई जाएगी. यहां तक तो फिर भी चलेगा मगर खुराना साहब यह न कह दें कि कोचिंग माफिया ने गृहमंत्री को भड़का दिया.

सीबीआई जांच ही काफी नहीं है, एसएससी की परीक्षा कराने, रिज़ल्ट निकालने और ज्वाइनिंग लेटर देने की क्षमता का ही सरकार अध्ययन करा ले तो उसे पता चल जाएगा कि वहां क्या हो रहा है. तय समय में जांच पूरी नहीं हुई तो इस जांच का भी मतलब नहीं. अगर जांच के सहारे परीक्षा लटक गई तो इसका भी कोई लाभ नहीं. छात्रों के आरोप सही हैं या नहीं, अब जांच से ही साबित होने वाला है. सरकार ने उनकी बात मान ली है. हमने उनकी मांग को ज़रूर रखा मगर आरोपों के डिटेल में नहीं गए क्योंकि यह हमारी समझ और क्षमता से बाहर था. अशीम खुराना को यह कहने से बचना चाहिए था कि छात्रों को एनडीटीवी भड़का रहा है. ट्रोल करने का तरीका पुराना हो चुका है और मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता.

हमने नौकरी सीरीज़ के दौरान कर्मचारी चयन आयोग के अलावा तमाम तरह के चयन आयोगों की धांधली की कहानी बताई है. 23 एपिसोड तक बताते रहे. नौजवान तो उससे पहले से ही देश के अलग अलग हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे हैं, अखबार और टीवी इन्हें कवर नहीं करता था. अखबार करते थे मगर भीतर के पन्ने में कोने में खबर लगा देते थे. जबकि नौजवान भी अखबार ख़रीद कर पढ़ते हैं. मैंने ज़रूर हैरानी जताई कि इन चयन आयोगों में नौजवानों की ज़िंदगी से खेलने की हिम्मत कहां से आती है. चार-चार साल से परीक्षाएं अटकी हैं, परीक्षा हो गई है मगर रिज़ल्ट नहीं आ रहा है, रिजल्ट आ गया है मगर ज्वाइनिंग नहीं हुई है. मैंने ज़रूर कहा था कि भारत के युवाओं की राजनीतिक चेतना ख़राब नहीं होती तो किसी आयोग को हिम्मत नहीं होती कि उनकी ज़िंदगी को बर्बाद कर द. मैंने ज़रूर कहा था कि टीवी पर चलने वाला हिन्दू मुस्लिम टॉपिक नौजवानों को कचरे के ढेर में बदल रहा है. मैंने ज़रूर कहा था कि क्या भारत के युवा इतने गए गुज़रे हैं कि उन पर एक से एक बेईमान परीक्षा व्यवस्था लाद दी जाए. क्या भारत की मांओं ने तय कर लिया कि टीवी पर हिन्दू मुस्लिम टॉपिक दिखाकर अपने लाडलों को दंगाई बनाना है. क्या युवाओं ने तय कर लिया है कि वे घटिया कॉलेज में पढ़ेंगे क्योंकि आगे चल कर दंगाई बनना है. मैंने यह बात भड़काने के लिए नहीं, लाखों युवाओं को दंगाई होने से बचाने के लिए कही है. प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि 2022 तक सांप्रदायिकता ख़त्म करनी है. आप नौजवान ही बता दें, दुनिया के किस देश के न्यूज़ चैनल के प्राइम टाइम में आपने यूनिवर्सिटी की बदहाल हालत पर 27 एपिसोड देखे हैं, किस देश के चैनल पर 23 एपिसोड नौकरियों की हालत पर देखी है. यह काम मैंने नौजवानों को भड़काने के लिए नहीं, बल्कि बताने के लिए किया कि तुम हमेशा हमेशा के लिए बर्बाद किए जा चुके हो. इस बर्बादी से निकलने के सारे रास्ते हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं.

8 जनवरी और 17 जनवरी को हमने एसएससी के चेयरमैन को पत्र लिखा. उनके पीए का मेल भी आया कि नंबर दीजिए. कहा गया कि जब समय होगा तो इंटरव्यू करेंगे. अशीम खुराना को भी फोन किया गया था. मगर वे इंटरव्यू देने का साहस नहीं जुटा सके. गोदी मीडिया बुलाकर कह देना कि एनडीटीवी भड़का रहा है और यह समझना कि तीर मार लिए हैं, यह उनकी सोच हो सकती है. हमने अपनी सीरीज के दौरान कई बार खुराना साहब की तारीफ भी कि वे हमारी सीरीज़ के दबाव में 11,000 से अधिक नौजवानों को ज्वाइनिंग लेटर दे रहे हैं. वो चाहते तो बदले में मेरी भी तारीफ कर सकते थे पर कोई बात नहीं. इसके लिए खुराना जी का शुक्रिया.

जब तक ये छात्र एसएससी के बाहर जमा नहीं हुए तब तक उनके लिए कोई नेता भी नहीं बोला. जब ये अपनी ज़िद पर आ गए तब धीरे-धीरे बोलने लगे. शशि थरूर ने ट्विट किया, जितेंद्र सिंह से मुलाकात की, अरविंद केजरीवाल ने ट्विट किया, रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस की, योगेंद्र यादव तो कई बार गए, बीजेपी सांसद मनोज तिवारी और मीनाक्षी लेखी भी गए, क्या इन दोनों को भी एनडीटीवी ने भड़काया था, खुराना साहब राजनीति कर रहे थे, वे प्रदर्शन करने वाले छात्रों से नहीं मिल रहे थे, अखिल भारती विद्यार्थी परिषद के नेताओं से मिल रहे थे. खैर मिलना पड़ा न, सीबीआई जांच का आदेश तो देना ही पड़ा. दूसरे ज़िलों में भी इन छात्रों के समर्थन में प्रदर्शन होने लगे. आपने प्राइम टाइम की नौकरी सीरीज़ में देखा होगा कि इसके शुरू होने से पहले क्या हालत थी. एसएससी की 2015 और 15 की परीक्षाओं का मेरिट लिस्ट अगस्त 2017 में आ गया लेकिन हमारी सीरीज़ के शुरू होने तक करीब 15000 नौजवानों में से किसी को ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिला. कोई इन नौजवानों को जवाब तक नहीं दे रहा था कि ज्वाइनिंग होगी या नहीं. हमारी सीरीज़ के दौरान इन्हें ज्वाइनिंग लेटर मिलना शुरू हुआ. अभी तक सभी को नहीं मिला है. कई परीक्षा के लोग फोन कर रहे हैं कि हमारा लेटर कब आएगा. कायदे से खुराना को फोन कर उन्हें बताना चाहिए कि आपका लेटर इस तारीख को आएगा. आप उन घरों में जाकर पूछिए कि मैं ग़लत हूं या एसएससी ग़लत है.

2016 में केंद्र सरकार के डीओपीटी विभाग ने आदेश जारी किया था कि भर्ती की सारी प्रक्रियाएं 6 महीने के भीतर पूरी कर ली जाएं. एसएससी इसी की रिपोर्ट पब्लिक को दे दे. अगस्त 2017 में मेरिट लिस्ट आ गई, मार्च 2018 तक अभी भी हज़ारों छात्रों को ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिला है. 3000 से अधिक नौजवान मेरिट लिस्ट में आने के बाद सात महीने से ज्वाइनिंग का इंतज़ार कर रहे हैं. हमारी सीरीज़ के दौरान 11000 ऐसे परेशान छात्रों को या तो अप्वाइंटेमेंट लेटर मिला, मिलने की प्रक्रिया शुरू हुई या काडर अलॉट हुआ. सीएजी विभाग में डेटा एंट्री ऑपरेटर के लिए करीब 1000 नौजवानों को प्रोविज़नल अप्वाइंटमेंट लेटर मिला है. कुछ लोग इसमें से ज्वाइनिंग भी कर चुके हैं.

आप देश के करोड़ों छात्रों की मानसिक पीड़ा का अंदाज़ा कीजिए. देना बैंक ने 300 पीओ के लिए अप्रैल 2017 में फार्म मंगाए. फार्म की फीस 400 रुपये थी. 11 जून 2017 को परीक्षा होनी थी मगर उसके कुछ दिन पहले रद्द कर दी गई. फरवरी 2018 बीत गया, फार्म भरने वाले पूछ रहे हैं कि वो इम्तहान कब होगा. उसी तरह सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के 700 से अधिक सफल उम्मीदवार लगातार लिख रहे हैं कि अगर 31 मार्च तक उनकी बहाली नहीं हुई तो उनका रिज़ल्ट शून्य घोषित हो जाएगा. अभी तक बैंक उन्हें ज्वाइनिग लेटर नहीं दे रहा है. मार्च का महीना आ गया. इन 700 सफल उम्मीदवारों की मानसिक पीड़ा समझिए.

एसएससी ने स्टेनोग्राफर ग्रेड सी और ग्रेड के 354 पदों के लिए 16 जून 2017 को विज्ञापन निकाला. पहली तारीख निकली 4 से 7 सितंबर 2017 की, बढ़ा कर 11 से 14 सितंबर 2017 कर दी गई. लिखित परीक्षा का रिज़ल्ट 21 नवंबर 2017 को आ गया. उसके बाद इनका स्किल टेस्ट होना है जिसके लिए तारीख तय हुई 4 जनवरी 2018. उसके बाद सूचना आती है कि परीक्षा स्थगित की जाती है. अभी तक स्थगित ही है. छात्रों को पता नहीं चल पा रहा है कि अगली परीक्षा कब होगी, क्यों अभी तक अटकी है.

21 नवंबर को रिजल्ट आया, फरवरी 2018 बीत गया. तीन महीने में स्किल टेस्ट की परीक्षा का पता नहीं है. आप सोचते होंगे कि एसएससी का ही ये हाल है. डीडीए ने जूनियर इंजीनियर के पद के लिए मार्च 2016 में वेकेंसी निकाली. मई 2016 में फार्म भरे गए. इसकी फीस थी 558 रुपये. मई 2016 से मार्च 2018 आ गया. इस परीक्षा का कुछ अता पता नहीं है. हमने पता किया कि तो उनके पीआरओ महिंदर पाल सिंह ने बताया कि एडसिल एजेंसी सरकारी ऑर्गेनाइजेशन है, वही परीक्षा कराती है. वही परीक्षा करा कर अप्वाइंट करती है. कर रहे हैं. अस्सिटेंट अकाउंट अफसर, सेक्शन अफसर कैटेगि‍री के हिसाब से कर रहे हैं. काफी कर चुके हैं. अब सिर्फ 2-3 कैटेगिरी बाकी है. उसके बाद जूनियर इंजीनियर का करेंगे. इसकी सूचना अखबार में निकालेंगे. अभी कोई डेट फिक्स नहीं है. हमने एक एजेंसी है एड सेल उसे दे रखा है, वही लोग कराएंगे. 2018 में परीक्षा हो जाएगी.

नई नई एजेंसियां परीक्षा करा रही हैं, हम उनके बारे में जानते तक नहीं मगर छात्रों को सब पता है. अब आपने देखा कि मई 2016 में फार्म भर कर कोई 2018 तक कैसे इंतज़ार कर सकता है. जब डीडीए के साथ ऐसा है तो बाकी का क्या होल होगा.

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