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This Article is From Mar 23, 2015

संजय किशोर का स्ट्रेट ड्राइव: 'नर्भसा' रहे हैं क्लार्क, 'भाव शून्य' हैं धोनी

Sanjay Kishore, Saad Bin Omer
  • Blogs,
  • Updated:
    मार्च 23, 2015 21:45 pm IST
    • Published On मार्च 23, 2015 18:44 pm IST
    • Last Updated On मार्च 23, 2015 21:45 pm IST

'मैं ऑस्ट्रेलियाई प्रशंसकों से अपील करता हूं कि वे सिडनी क्रिकेट स्टेडियम को पीले रंग से रंग दें। हमें आपके साथ की ज़रूरत है।'
यह ट्वीट है ऑस्ट्रेलिया के कप्तान माइकल क्लार्क का। क्लार्क को डर है कि गुरुवार को सेमीफ़ाइनल के दिन ऑस्ट्रेलिया से ज्यादा भारतीय समर्थक सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पहुंच सकते हैं। जब दो टीमों के बीच टक्कर बराबरी की मानी जा रही हो तो अक्सर ऐसे बड़े मैच में 'बेचैनी' की भूमिका अहम हो जाती है और यहां ज्यादा 'बेचैन' कौन है, यह शायद बताने की ज़रूरत नहीं।

परेशानी की और भी वज़हे हैं। स्कूल में आपने भी शायद 'पृष्ट तनाव' यानी 'सर्फ़ेस टेंशन' के बारे में पढ़ा होगा। सिडनी क्रिकेट ग्राउंड का 22 गज का 'सर्फ़ेस' भी 'टेंशन' बढ़ा रहा है। क्लार्क के चहरे पर तनाव तो पढ़ा भी जा सकता है, लेकिन कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी का चेहरा इस बार भी भाव शून्य है।

दरअसल सिडनी क्रिकेट ग्राउंड की पिच की अमूमन स्पिन गेंदबाज़ों से दोस्ती रही है। लेकिन वर्ल्ड कप में पिच अपने मिजाज़ से सबको भ्रमित कर रही है। यहां श्रीलंका के ख़िलाफ़ मैच में ऑस्ट्रेलिया ने लेफ्ट आर्म ऑर्थोडॉक्स ज़ेवियर दोहेत्री को उतारा तो उन्हें एक भी विकेट नहीं मिला। उस दिन ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच मैच में यहां 688 रन बने। दक्षिण अफ्रीका ने वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ सिडनी की पिच पर ही 408 रन बनाए। प्रोटियाज़ लेग स्पिनर इमरान ताहिर ने वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ पांच और श्रीलंका के ख़िलाफ़ चार शिकार बनाए। पार्ट टाइमर ऑफ़ स्पिनर जेपी ड्यूमिनी ने हैट्रिक भी लगायी थी।

जाते-जाते पाकिस्तान के कप्तान मिस्बाह-उल-हक़ कंगारुओं को और भरमा गए। वह कह गए कि मौज़ूदा चैम्पियन भारत और मेज़बान ऑस्ट्रेलिया के बीच सेमीफ़ाइनल का नतीजा स्पिनर्स तय करेंगे। अब ऑस्ट्रेलियाई टीम को लग रहा है कि उनकी अपनी पिच दुश्मन टीम का साथ दे सकती है। डर लग रहा है कि कहीं विश्व चैम्पियन बनने की उनकी उम्मीदों पर पिच पानी न फेर दे। लिहाज़ा ऑस्ट्रेलिया ने 'ग्रीन टॉप' की मांग कर डाली है। उनकी इस मांग से भारतीय खेमे में थोड़ी बेचैनी होनी लाज़िमी है।

टीम इंडिया की सात मैचों में सात जीत के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि इस बार आईसीसी ने वर्ल्ड कप के लिए ज्यादातर बैटिंग विकेट तैयार की है। आईसीसी की सोच रही है कि ज़्यादा मनोरंजन के लिए ज़्यादा रन बनने चाहिए। क्वॉर्टरफ़ाइनल तक खेले गए 46 मैचों में तीन बार 400 से ज्यादा रन और 24 बार 300 से ज्यादा रन बने। पहली बार किसी वर्ल्ड कप में दो बल्लेबाज़ों ने दोहरे शतक ठोक डाले।

इसकी संभावना कम ही है कि पिच में आख़िरी समय में कोई बदलाव किया जाएगा। आईसीसी प्रवक्ता ने साफ़ किया है, 'पिच क्यूरेटर किसी टीम के अनुरोध को नहीं मान सकता। उन्हें 'स्पोर्टिंग विकेट' तैयार करने के लिए कहा गया है। अब तक उन्होने ये ही किया है।'

पिच चाहे जैसी भी हो, ऑस्ट्रेलिया के उलट भारतीय टीम के आत्मविश्वास में कमी नज़र नहीं आ रही। सात मैचों में भारतीय गेंदबाज़ों ने सभी 70 विकेट लेकर सबको चौंकाया है। ऑस्ट्रेलिया की गेंदबाज़ी मजबूत तो है, लेकिन उसमें भारत की तरह विविधता नहीं है। ऑस्ट्रेलिया तेज़ गेंदबाज़ों पर निर्भर है, तो भारत के पास मीडियम पेसर्स और स्पिनर तो हैं ही साथ सुरेश रैना और रोहित शर्मा जैसे पार्ट टाइमर भी हैं जो ड्यूमिनी की तरह ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ों को हैरान कर सकते हैं।

पाकिस्तान के तेज़ गेंदबाज़ वहाब रियाज़ दिखा चुके हैं कि कंगारुओं के किले में सेंध लगाना मुश्किल तो है, लेकिन नामुमकिन नहीं। क्वॉर्टरफ़ाइनल में वहाब का ज़बरदस्त प्रदर्शन अब भी चर्चा में है। 29 साल के लाहौर के वहाब ने अपनी शॉर्ट पिच गेंदों से ऑस्ट्रेलिया को डरा दिया था। डेविड वॉर्नर और माइकल क्लार्क का विकेट लिया ही साथ ही शेन वॉटसन का कैच नहीं छूटा होता तो मैच का नतीज़ा बदल भी सकता था।

हालांकि भारत के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ी कोच जो डॉज आशंकित हैं। उन्हें नहीं लगता कि उमेश यादव, मोहम्मद शमी और मोहित शर्मा में से कोई भी वहाब रियाज़ की तरह ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ों को परेशान कर सकता है।

डॉज का मानना है कि भारतीय गेंदबाज़ वहाब रियाज़ को दोहरा नहीं पाएंगे। वह कहते हैं, 'वे अपना होमवर्क ज़रूर कर रहे होंगे। डंकन फ़्लेचर बेहद चालाक कोच हैं। उनकी नज़र इन चीजों पर होगी। लेकिन वहाब की तरह भारत के पास बाएं हाथ का गेंदबाज़ नहीं है।'

वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले पहले दो गेंदबाज़ बाएं हाथ के हैं। न्यूज़ीलैंड के ट्रेंट बोल्ट और ऑस्ट्रेलिया के मिचेल स्टार्क के बाद तीसरे नंबर पर मोहम्मद शमी ने 13 की औसत से अब तक 17 विकेट लिए हैं।

कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के धैर्य के अलावा एक और कारक है जो मैच का पक्ष भारत की ओर मोड़ सकता है वह है विराट कोहली का चलना। सेमीफ़ाइनल में उपकप्तान कोहली का बल्ला बोल पड़ा तो 'वी वोंट गीव इट बैक' को 'वी डिंड गीव इट बैक' बदलने में कोई मुश्किल नहीं होगी।

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