संजय किशोर का स्ट्रेट ड्राइव : माही। मैज़िक। मस्ती और मौक़ा! मौक़ा!

महेंद्र सिंह धोनी की फाइल फोटो

नई दिल्ली:

"बढ़िया। आगे से मारने दे।" "रायडू जाग जा ज़रा। उसके पैर कैसे हिल रहे हैं उसको देख और अनुमान लगा कि गेंद किधर जाएगी। 'बीच' पर वॉलीबॉल नहीं खेल रहा है जो पैर जमाकर खड़ा है।!" "हल्के पीछे रह सकता है जिंक्स। ये धीरे नहीं खेलता।" "ये ऊपर से देख रहा है। हल्के ऊपर रहना। तेरे पास आ सकता है।" "शमी थोड़ा पीछे से जा।"

भारत और आयरलैंड के बीच मैच के दौरान स्टंप कैमरे में रिकॉर्ड कुछ निर्देश। ये हिदायतें वो शख़्स अपने खिलाड़ियों को दे रहा है जिसे आईसीसी वर्ल्डकप में सबसे शातिर कप्तान माना जा रहा है। हमेशा शांत नज़र आने वाला कैप्टन कूल मैच के हर पल, हर पहलू और खिलाड़ियों की हर हरकत पर नज़र रख रहा है। हर अच्छी गेंद पर शाबासी। हर चुस्त फ़ील्डिंग पर ताली। और हर चूक पर डांट।

माही। मैज़िक। मस्ती।
वर्ल्ड कप में इन तीन शब्दों ने तमाम टीमों के परेशान और क्रिकेट पंडितों को हैरान कर रखा है। टूर्नामेंट शुरू होने के पहले महेन्द्र सिंह धोनी और टीम इंडिया पर कोई भी दांव नहीं लगा रहा था सिवाए उन प्रशंसकों के जो कभी उम्मीद नहीं छोड़ते। यहां तक की सट्टा बाज़ार भी भारतीय टीम के प्रदर्शन को लेकर आशान्वित नहीं था। वर्ल्डकप के पहले जब धोनी ने खिलाड़ियों के थकान और छुट्टी की बात की तो आलोचकों ने उन्हें आड़े हाथों लिया। फिर जब उन्होंने अभ्यास और आराम के बीच तालमेल को महत्वपूर्ण बताया तो कहा गया कि टीम मेहनत से बच रही है।

किस्मत के किंग माने जाने वाले धोनी खुद पर सबसे ज़्यादा यकीन करते हैं। धोनी ने मानो अपना सारा मैज़िक, मिडास टच और करिश्मा वर्ल्डकप के लिए बचाकर रखा था। हर मैच में उन्होंने आक्रामक मगर सूझबूझ के साथ कप्तानी की है। वर्ल्डकप में लगातार 8 जीत दर्ज़ कर पहले सौरव गांगुली को पीछे छोड़ा। फिर आखिरी लीग मैच में जीत का छक्का लगाकार 9वीं जीत के साथ क्लाइव लॉयड के रिकॉर्ड को भी तोड़ डाला। वहीं लॉयड जिनकी कप्तानी में वेस्टइंडीज़ ने पहले दो वर्ल्डकप जीते थे। वनडे में सिर्फ़ रिकी पॉन्टिंग धोनी से आगे हैं जिनके नाम लगातार 24 जीत का धमाकेदार रिकॉर्ड है।

कामयाब कप्तान वही होता है जो आगे बढ़कर मार्चा संभाले। अंग्रेजी में जिसे कहते हैं "लीड फ़्रॉम द फ़्रंट"। जिंबाब्वे के ख़िलाफ़ 92 रन पर 4 विकेट गिर चुके थे। धोनी ने एक बार फिर दिखाया कि क्यों उन्हें सुपर फ़िनिशर कहा जाता है।

लक्ष्य का पीछा करते हुए उनका औसत 109.19 तक पहुंच गया है। 40 से 50 ओवर के बीच उन्होंने 3000 से भी ज़्यादा रन ठोके हैं। जानकार मानते हैं कि धोनी बड़े मैचों के कप्तान हैं और दबाव में उनका खेल और भी निखर कर आता है। पिछले वर्ल्डकप के फ़ाइनल में नाबाद 91 रनों की पारी और वो छक्का उनके सुपर फ़िनिशर पर होने पर हस्ताक्षर था।

रांची के राजकुमार महेन्द्र सिंह धोनी मौक़े को कभी हाथ से जाने नहीं देते। कम ही लोगों को पता होगा कि विशाखापत्तनम में धोनी पाकिस्तान के ख़िलाफ़ 123 गेंदों पर 148 रनों की धुंआधार पारी नहीं खेलते तो उनका करियर शुरू होने के पहले खत्म हो सकता था। फिर जयपुर में श्रीलंका के ख़िलाफ़ 15 चौकों और 10 छक्कों के साथ 183 रनों की उस पारी ने भारतीय क्रिकेट में अपने पैर मजबूती से जमा दिया। 2007 में उन्हें सीधे आईसीसी वर्ल्ड टी-20 की कप्तानी सौंप दी गई तो उन्होंने टीम को चैंपियन बना दिया। 2011 में भारत को मेज़बानी मिली तो कहा गया कि भारत के लिए वर्ल्डकप जीतने का ये सबसे अच्छा मौक़ा है। उन्होंने निराश नहीं किया। टीम इंडिया 28 साल बाद वर्ल्ड चैंपियन बनी।

इस बार ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में पिचें उतनी तेज़ नहीं है। लिहाजा कहा जाने लगा है कि भारत के लिए ख़िताब बचाने का ये बड़ा मौक़ा है।

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माही। मैज़िक। मस्ती और मौक़ा। मौक़ा।