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This Article is From May 07, 2017

रवीश रंजन शुक्ला का ब्लॉग : देर सबेर हटना ही था कपिल मिश्रा को

Ravish Ranjan Shukla
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मई 07, 2017 10:11 am IST
    • Published On मई 07, 2017 10:11 am IST
    • Last Updated On मई 07, 2017 10:11 am IST
आम आदमी पार्टी के तेजतर्रार युवा नेता कपिल मिश्रा अपने अतिशयोक्ति बयानबाजी और सुलझे जल मंत्री के तौर पर जाने जाते हैं. नहीं थे. ट्विटर पर बीजेपी की कड़े शब्दों में कभी-कभी अशोभनीय शब्दों में लानत मलानत करने वाले कपिल मिश्रा के मतभेद अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसौदिया से निगम चुनाव के वक्त काफी गहरे हो गए थे. जब केजरीवाल EVM मशीन पर हार का ठीकरा फोड़ रहे थे तब कपिल मिश्रा और अलका लांबा ने गलतियों से सबक लेने की बात कहकर अपने आप को केजरीवाल के आंखों की किरकिरी बना लिया. 

शनिवार को जब उन्हें मंत्री पद से हटाया गया उससे पहले उन्हें आभास हो गया था कि उनका मंत्री पद जाने वाला है. सुबह मैसेज आया कि टैंकर घोटाले पर उन्होंने पत्र लिखकर शीला दीक्षित पर कार्रवाई करने की मांग की है. मंत्री पद से हटाए जाने के बाद ट्वीट करके अपने को बेदाग छवि का मंत्री बताया कहा कि वे आप नहीं छोड़ेगें. झाडू से सफाई करते रहेंगे. सुबह फिर उनका ट्वीट रामचरित मानस की चौपाई के रूप में आया. उन्होंने लिखा कि 
सचिव बैद गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस| 
राज, धर्म, तन तीनि कर, होये बेगिहीं नास ||


यानि अगर सचिव, वैद्य और गुरु राजा को प्रिय लगने वाले शब्द बोलते हैं तो उससे राज, धर्म और तन का नाश होता है. इशारों ही इशारों में उन्होंने बता दिया कि चुनावी हार के कारणों की कड़वी बात केजरीवाल को बोली. जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा. कपिल मिश्रा अन्नपूर्णा मिश्रा के बेटे हैं जो पूर्वी दिल्ली में बीजेपी की वरिष्ठ नेता हैं. उन्होंने भी अपने बेटे का बचाव कुछ इन शब्दों में किया. मेरे बेटे का कद अरविंद केजरीवाल से ज्यादा बड़ा है. मेरे बेटे पर किसी तरह का कोई करप्शन का चार्ज नहीं है. ये बताता है कि अरविंद केजरीवाल किस तरह के हैं. मैं बीजेपी में हूं पर वक़्त बताएगा कि आगे क्या होने वाला है. ये कपिल को तय करना है कि वो क्या करेगा और कहां जाएगा. मैं बीजेपी में हूं और चाहती हूं कि वो बीजेपी में आए.

कपिल मिश्रा और गोपाल राय की छवि मीडिया के हल्कों में एक ऐसे मंत्री की है जो बात करने या इंटरव्यू देने से पहले सरकार के सलाहकारों के मुंह नहीं देखते हैं. पार्टी अनुशासन में रहते हुए अपनी व्यक्तिगत पहचान को कायम रखने में कामयाब रहे हैं, लेकिन राजनीति करने नहीं राजनीति बदलने का नारा देने वाली आम आदमी पार्टी भी दूसरी पार्टियों की तरह वो गुफा हो गई है जहां व्यक्तिगत सोच और पहचान की चादर उतार कर ही आप रेंग कर उसके भीतर घुस सकते हैं. कुछ लोग थोड़ी देर रेंग कर वापस आ जाते हैं कुछ लोग रेंगकर दर्शन कर आते हैं.

रवीश रंजन शुक्ला एनडटीवी इंडिया में रिपोर्टर हैं.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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