10 मई को जब कोविड से ठीक होकर काम पर लौटा तब से लेकर 4 जून तक कोविड के ऊपर 19 एपिसोड किए हैं. अभी भी लगता है कि बहुत कुछ किया जा सकता है लेकिन क़िस्सों और सरकारी जालसाजियों तक पहुँचने के लिए जिस संसाधन की ज़रूरत है, वह नहीं है. आम लोगों के जीवन में न जाने कितने भयावह अनुभव होंगे. मुमकिन है कि हर कोई हमारी आपकी तरह अपने अनुभव बयान करने में सक्षम न हो.
उन्हें होश भी न रहा हो कि क्या हुआ होगा. दुख में हैं. उन्हें बोलने का कोई मतलब नज़र नहीं आता होगा. यह भी मुमकिन है कि उनमें हिम्मत न हो. डर हो कि बोलने से पता नहीं, क्या हो जाएगा. चाहता था कि लोगों के अनुभवों को दर्ज करूँ. लोग बताएँ कि कैसे वे सिलेंडर से लेकर अस्पताल में बेड के लिए भागे. कितनों को फ़ोन किया. कितना क़र्ज़ा लिया. कैश कितना दिया. सब कुछ जान बचाने के लिए किया और हाथ में लाश आई.
ढाई महीने के इस जनसंहारी दौर की हर बात रिकॉर्ड करनी चाहिए. उम्मीद थी कि हर तबका मिलकर इलाज की सरकारी व्यवस्था को मुकम्मल करने के लिए दबाव बनाएगा. इन ढाई महीनों की ग़लतियों पर बात करेगा, जवाबदेही तय करेगा ताकि आगे कुछ न हो. लेकिन दो हफ़्ते न बीते, लोग वहीं घूम फिर कर पहुँच गए हैं. कितने लोग मरे किसी को पता नहीं. सरकार का अहंकार और आत्मविश्वास देखिए. मरने वालों की संख्या को चुनौती देने के लिए इतनी ख़बरें छपी हैं, लेकिन टस से मस नहीं हुई है. समाज का पतन देखिए कि यह सवाल पूछने की उसमें हिम्मत नहीं बची है. केवल हिम्मत नहीं बल्कि कुतर्क और नफ़रत की राजनीति सामग्री पढ़ते-पढ़ते सोचने का काम ही बंद हो चुका है. हमने जितने लोगों से बात की, बहुत कम में सफलता मिली. लोगों ने पहले 'हाँ' कहा फिर पीछे हट गए. लेकिन अब भी मानता हूँ कि जहां तक मुमकिन हो सके इस दौर के सभी अनुभवों को दर्ज करना चाहिए. पर कोई बात नहीं.
वैसे भी ढाई महीनों में लोग नहीं, मोदी जी कोरोना से लड़ रहे थे. इस तरह की हेडलाइन बनने लगी है और बयानों की सप्लाई शुरू हो चुकी है. आईटी सेल मुसलमानों के प्रति नफ़रत वाली सामग्री लेकर फैलाने लगा है. उसे लगता है कि इसी चीज़ पर विश्वास है कि सांप्रदायिक नफ़रत फैलाकर लोगों को त्रासदी से मोड़ देगा और लोग अपनों की मौत और लूट को भूल कर हिन्दू-मुस्लिम विमर्श में लग जाएँगे तो यह दुखद है. इस आपदा में विपदा के शिकार क्या हिन्दू, क्या मुस्लिम, क्या कांग्रेसी, क्या भाजपाई, सब हुए. नियति नहीं बदल सकता.
बहुत से नौजवान फिर से मैसेज करने लगे हैं. अपनी-अपनी भर्ती परीक्षा को लेकर. आपने ट्विटर पर बहुत से आंदोलन चलाकर देख लिया. लाखों ट्वीट करके भी देख लिया. जब मरने वालों की संख्या छिपाई जा सकती है, ख़राब वेंटिलेटर सप्लाई की जा सकती है तो आपके यक़ीं की इंतेहा देखना चाहता हूँ कि ट्विटर पर ट्रेंड कराने से सरकारी नौकरी किचनों को मिलती है. नेता को मालूम है. उसकी राजनीति आपको रोज़गार देकर नहीं चलती है. हिन्दू मुस्लिम वाले मीम बाँटकर चलती है. नेताओं को यह यक़ीन भी आपके कारण हुआ है. मैसेज भेजने वालों से अनुरोध है कि इसी पेज पर नौकरी सीरीज़ बंद कर देने के कारणों को कई बार विस्तार से लिखा है. उसे पढ़ सकते हैं या फिर मैसेज भेजना बंद कर सकते हैं.
फ़िलहाल 20 एपिसोड का लिंक यहाँ दिया जा रहा है. यह मैं अपने रिकार्ड के लिए भी यहाँ लगा रहा हूँ. इतना करने के बाद भी हम इस नरसंहार के दौर के दस प्रतिशत को भी छू पाए. लेकिन कोशिश तो की ही.
फ़िलहाल 20 एपिसोड का लिंक यहाँ दिया जा रहा है। यह मैं अपने रिकार्ड के लिए भी यहाँ लगा रहा हूँ। इतना करने के बाद भी हम इस नरसंहार के दौर के दस प्रतिशत को भी छू पाए। लेकिन कोशिश तो की ही।
1.https://www.youtube.com/watch?v=VH1ed0CLgbg
2.https://www.youtube.com/watch?v=9iwCgtVPQMs
3.https://www.youtube.com/watch?v=rHxt7sNNOiI
4.https://www.youtube.com/watch?v=YRlHf-OoPDA
5.https://www.youtube.com/watch?v=b4MP67fPhUI
6.https://www.youtube.com/watch?v=ow4T1CZ_ojs
7.https://www.youtube.com/watch?v=ujumpBwmHos
8.https://www.youtube.com/watch?v=zy5hW3STN6k
9.https://www.youtube.com/watch?v=Up5_EzsWJPM
1.0 https://www.youtube.com/watch?v=H5_GwYzNt-g
11.https://www.youtube.com/watch?v=is0ld_IcGYA
12.https://www.youtube.com/watch?v=01vUY4V18j4
13.https://www.youtube.com/watch?v=at6DKQk2Xpw
14.https://www.youtube.com/watch?v=bISULNutIuE
15.https://www.youtube.com/watch?v=bISULNutIuE
16.https://www.youtube.com/watch?v=0Bsv31tQ-DQ
17.https://www.youtube.com/watch?v=sv4CQwMnknY
18.https://www.youtube.com/watch?v=I9JMG93P8V8
19.https://www.youtube.com/watch?v=I1kQl83tcd0
20.https://www.youtube.com/watch?v=M0XAo90mejo
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