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This Article is From Oct 10, 2019

दलित अल्पसंख्यक से अन्याय की बात करना गलत कैसे?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 10, 2019 23:32 pm IST
    • Published On अक्टूबर 10, 2019 23:32 pm IST
    • Last Updated On अक्टूबर 10, 2019 23:32 pm IST

क्या महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के छह छात्रों को इसलिए निलंबित कर दिया गया कि उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था. इस पत्र में दलित और अल्पसंख्यकों के साथ हो रही मॉब लिचिंग और बलात्कार की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताई गई है. कश्मीर का भी ज़िक्र है और असम में नेशनल रजिस्टर आफ सिटिजन्स का भी मसला है.

इसका वीडियो भी छात्रों ने ही हमें दिया है. इनका कहना है कि वे परिसर में 9 अक्टूबर को कांशीराम का परिनिर्वाण दिवस मनाना चाहते थे जिसकी इजाज़त नहीं मिली. नौ तारीख को अनुमति के लिए कुलसचिव के कार्यालय गए थे. आधे घंटे तक बिठाए रखने के बाद कार्यक्रम करने की इजाज़त नहीं दी गई. इसके साथ साथ इन छात्रों ने विश्वविद्यालय को सूचित किया था कि परिनिर्वाण के कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखेंगे. तभी विश्वविद्यालय ने कह दिया था कि बिना अनुमति के कार्यक्रम नहीं कर सकते हैं. इन छात्रों का कहना है कि कांशीराम का परिनिर्वाण दिवस मनाने और प्रधानमंत्री को पत्र लिखने से कैसे रोका जा सकता है. विश्वविद्यालय ने भारी सुरक्षा बल तैनात कर छात्र-छात्राओं को गांधी हिल जाने से रोका. जिसका विरोध करते हुए इन लोगों ने गेट पर ही सभा की. इन छात्रों में चंदन सरोज, रजनीश कुमार अंबेडकर, वैभव पिम्पलकर, राजेश सारथी, नीरज कुमार व पंकज बेला शामिल हैं. छात्रों ने कहा है कि शहीद-ए-आज़म भगत सिंह की जयंती पर भी कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं दी गई थी. हमारे सहयोगी सुशील महापात्रा ने विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति केके सिंह से प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने जवाब दिया कि कुलपति से बात करें. कुलपति छुट्टी पर हैं.

सड़क टूटी हो, ख़राब हो और उस कारण किसी की जान चली जाए तो ज़िम्मेदारी किसकी होगी. टूटी सड़कों के भयावह किस्से किस शहर में नहीं हैं फिर भी सिस्टम और लोगों ने उन गड्ढों से इतना समझौता कर लिया है कि गड्ढे के बीच जितनी सड़क बची है उसी से काम चलाते रहते हैं. मुंबई मिरर की रिपोर्ट के अनुसार 17 जुलाई से 28 अगस्त के बीच 6 लोगों की गड्ढों के कारण मौत हुई है. इसमें एक ट्रैफिक कांस्टेबल भी है. नौ अक्टूबर की रात मुंबई से सटे ठाणे में मेडिकल छात्रा नेहा शेख की ऐसे एक गड्ढे की वजह से मौत हो गई.

सड़क की ऐसी हालत न होती तो नेहा शेख स्कूटर से उछलकर नीचे नहीं गिरतीं और ट्रक के नीचे आने से उनकी मौत न होती. नेहा की अगले महीने शादी होने वाली थी. अपने भाई के साथ खरीदारी कर घर लौट रही थीं. स्कूटी भाई चला रहा था. गड्ढे में पहिया पड़ने से नेहा गिर गई और ट्रक के नीचे आ गई. स्थानीय नागरिकों ने कहा कि ख़राब सड़क के कारण आए दिन दुर्घटना होती रहती हैं. जिस कंपनी को इसके रखरखाव का ठेका मिला है उसके खिलाफ केस होना चाहिए. स्थानीय लोगों ने खराब सड़क की जगह को घेरकर प्रदर्शन किया है.

आपको लगेगा कि ये मामूली स्टोरी है लेकिन गड्ढों को लेकर मुंबई वालों की सहनशीलता का जवाब नहीं. मुंबई जैसे महानगर में सड़क की पहचान गड्ढों से होने लगी है. गड्ढों से संबंधित पुरानी ख़बरों को देख रहा था. बीएमसी तीन बार ऐप लांच कर चुकी है ताकि लोग गड्ढों के बारे में बता सकें. कायदे से इसकी जानकारी नगरपालिका को खुद हो जानी चाहिए. ऐप बनाने में लाखों फूंक दिए गए. इसके बाद भी गड्ढों की हालत में सुधार नहीं हुआ. कुछ दिन पहले हमारी सहयोगी पूजा ने मुंबई के गड्ढों और बजट पर एक रिपोर्ट की थी. आप इस रिपोर्ट को देखिए.

जुलाई 2017 में रेड एफएम की मलिश्का ने एक गाना बनाया, विवाद हुआ, चर्चा हुई, मलिष्का पर हमले होने लगे, वीडियो वायरल हुआ लेकिन हालात में बदलाव नहीं हुआ. मलिष्का ने इस बार भी गाना बनाया लेकिन कोई फायदा नहीं. दरअसल हम समझते हैं कि वायरल होने वाली पोस्ट करने से जागरूकता आ रही है, आती होगी लेकिन सिस्टम को परवाह नहीं होती है. मुंबई के लोगों ने अपनी राजनीतिक चेतना में से गड्ढों को माइनस कर दिया है. वे गड्ढों से ऊपर उठ गए हैं. उन्हें पता है कि कुछ लोग इस मामले में जागरूकता फैला रहे हैं इसलिए वे पूरी कोशिश करते हैं कि जागरूकता ज़रूरत से ज़्यादा न फैले. गड्ढे भले फैल जाएं.

पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक के सताए हुए ग्राहकों ने आज मुंबई बीजेपी के दफ्तर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को घेर लिया. इसमें वे ग्राहक हैं जिनके बैंक में लाखों जमा हैं. बैंक से वे छह महीने में दस हज़ार ही निकाल सकते हैं, इस कारण उनका बिजनेस और जीवन सब रुक गया है. उन्हें सूचना थी कि यहां वित्त मंत्री आने वाली हैं. वित्त मंत्री ने भी क्रोधित ग्राहकों को समय दिया और उनसे मुलाकात की. वित्त मंत्री ने कहा कि वे अपनी तरफ से पूरा प्रयास कर रही हैं. रिज़र्व बैंक के गवर्नर से फिर बात करेंगी. जबकि वित्त मंत्रालय का इससे कोई संबंध नहीं है. पीएमसी के ग्राहकों ने बाहर आकर कहा कि बैठक में आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला. पीएमसी बैंक के मामले में कुछ गिरफ़्तारियां हुई हैं लेकिन इससे ग्राहकों को तसल्ली नहीं हो रही है. उन्हें अपना पैसा चाहिए ताकि फिर से वे सामान्य हो सकें. सरकार की तरफ से या रिज़र्व बैंक से अभी तक पूरा पैसा वापस किए जाने की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है.

बंगाल के मुर्शिदाबाद में एक शिक्षक और उसके परिवार की हत्या हुई है. हत्या इतनी दर्दनाक है कि पूरा ब्यौरा बताया नहीं जा सकता. जो जानकारी अभी तक आ रही है उसके अनुसार 50 मिनट के भीतर तीन लोगों की उनके ही घर में हत्या हो गई. विजयादशमी के दिन शिक्षक बंधु प्रकाश राय की हत्या हुई है. उनकी पत्नी जो गर्भवती बताई जा रही हैं उनकी भी हत्या हुई और छोटे बेटे आर्य की भी. घटना मंगलवार की है फिर भी पुलिस न तो अभी तक गिरफ्तार कर पाई है और न ही उसके पास जांच जारी है के अलावा अभी तक कुछ ठोस बताने के लिए है.

हमारी सहयोगी मोनोदीपा बनर्जी ने बताया कि बंधु प्रकाश ने मंगलवार को दिन के 11 बजकर 37 मिनट पर आखिरी कॉल किया था. साढ़े बारह बजे पूरे परिवार की लाश मिलती है. स्थानीय लोगों ने दरवाज़ा तोड़कर देखा. एक आदमी को भागते हुए भी देखा गया. वो पकड़ा नहीं गया. पुलिस कई कारणों की जांच कर रही है. क्या नेटवर्क मार्केटिंग में पैसा गंवाने का मामला था या शादी में समस्या थी. 18 महीने पहले सागरदीघी से जियागंज यह परिवार क्यों आया था. बीजेपी के नेता इन उत्तरों से संतुष्ट नहीं हैं. उनका कहना है कि बंधु प्रकाश आरएसएस के सदस्य थे, इस वजह से भी हत्या हो सकती है. बीजेपी के नेता इसे बंगाल में जंगलराज बता रहे हैं. राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य के पुलिस प्रमुख को पत्र लिखा है और घटना पर चिंता जताई है. मीडिया में आ रही रिपोर्ट के अनुसार तेज़ हथियार से तीनों की हत्या हुई है. बीजेपी का कहना है कि पुलिस ठीक से जांच नहीं कर रहे हैं. शिक्षकों के संगठन ने कहा है कि अगर अपराधी नहीं पकड़ा गया तो वे आंदोलन करेंगे. पुलिस का कहना है कि उसे साम्प्रदायिक या राजनीतिक हिंसा का अंदेशा नहीं है. इस मामले में तृणमूल कांग्रेस की तरफ से कोई ट्वीट नहीं आया है और न ही बयान आया है.

बंगाल में हत्याओं की राजनीतिक पृष्ठभूमि रही है. कई दलों के राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है और होती जा रही है. आठ अक्टूबर को टेलिग्राफ की ख़बर के अनुसार पंसकुड़ा में तृणमूल कांग्रेस के दफ्तर के भीतर एक नेता की गोली मारकर हत्या कर दी गई. कुर्बान साहा पंसकुड़ा पंचायत समिति के उप प्रमुख थे. पांच युवा मोटरसाइकिल से आए और पार्टी दफ्तर में घुसकर गोली मार दी. ममता सरकार के परिवहन मंत्री का बयान छपा है कि कुर्बान साहा की हत्या अनीसुर्रहमान ने की है जो पहले तृणमूल में था और अब बीजेपी में है. अनीसुर्रहमान ने कहा कि राजनीतिक कारणों से उसका नाम घसीटा जा रहा है. लेकिन तृणमूल के इस मंत्री ने बंधु प्रकाश राय और उनके परिवार की हत्या पर कुछ नहीं बोला है. इसी के साथ बीजेपी बंगाल ने अपने ट्वीटर हैंडल से दो तस्वीरें ट्वीट की हैं. दावा किया है कि वीरभूम और नाडिया में उनके एक-एक कार्यकर्ता की हत्या हुई है. जिनकी हत्या हुई है उनके नाम हैं अहमद शेख और अनिमेष चक्रवर्ती. इन दावों में राजनीति तो है ही लेकिन हत्या भी हो रही है, यह एक सच्चाई है. बंधु प्रकाश राय की हत्या के विरोध में और इंसाफ की मांग को लेकर ट्विटर पर ट्रेंड भी  कराया जा रहा है.

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में 55 साल के एक पत्रकार की गर्दन काटकर हत्या कर दी गई है. घटना कुशीनगर के हाटा कोतवाली के सिकटिया टोला की है. सुबह आठ बजे ही दुबौली गांव के किनारे गला रेतकर हत्या कर दी. क्यों हत्या की है, किसने की है, पुलिस अभी बताने की स्थिति में नहीं है. राधेश्याम शर्मा स्कूल में शिक्षक भी थे और पत्रकारिता भी करते थे. वे अंजुमन बालिका इंटर कालेज में पढ़ाने जा रहे थे तभी बाइक रोककर उनकी हत्या कर दी गई.

नीति आयोग की स्कूली शिक्षा पर एक रिपोर्ट आई है. नीति आयोग ने स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर राज्यों की रैकिंग की है. इसके अनुसार केरल नंबर वन पर है और उत्तर प्रदेश 17 वें नंबर पर है. बड़े राज्यों में यूपी सबसे नीचे है. अगर स्कोर के हिसाब से देखेंगे तो केरल और यूपी में 40 प्रतिशत का अंतर है. हमारे सहयोगी रवीश रंजन शुक्ल बलरामपुर गए. यहां के स्कूलों में शौचालय कागज़ पर बने हैं. यही नहीं ऐसी इमारतों में स्कूल चल रहे हैं जिनमें छत नहीं है.

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