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This Article is From May 08, 2020

मज़दूर सोशल मीडिया पर नहीं है, वरना देखता, समाज कितना असंवेदनशील हो चुका है...

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मई 17, 2020 17:51 pm IST
    • Published On मई 08, 2020 11:11 am IST
    • Last Updated On मई 17, 2020 17:51 pm IST

जालना से औरंगाबाद जा रहे 16 मज़दूर मालगाड़ी से कट कर मर गए. एक घायल है. ये लोग पटरियों पर चलते हुए औरंगाबाद जा रहे थे. 36 किमी पैदल चलने के बाद उन्हें नींद आने लगी. थकान ज़्यादा हो गई. लिहाज़ा पटरी पर ही सो गए. इतनी गहरी नींद में चले गए कि होश भी न रहा और उनके ऊपर से ट्रेन गुजर गई. मज़दूर मध्यप्रदेश के शहडोल और उमरिया के हैं.

मज़दूरों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है. वे पैदल चल रहे हैं. उनके पांवों में छाले पड़ गए हैं. बहुत से मजदूर रेल की पटरियों के किनारे किनारे चल रहे हैं ताकि घर तक पहुंचने का कोई सीधा रास्ता मिल जाए. मज़दूर न तो ट्विटर पर है. न फेसबुक पर और न न्यूज़ चैनलों पर है. वरना वो देखता कि उन्हें लेकर समाज कितना असंवेदनशील हो चुका है. सरकार तो खैर संवेदनशीलता की खान है.

लखनऊ से भी खबर है. जानकीपुरम में रहने वाला एक मज़दूर परिवार साइकिल से निकला था. छत्तीसगढ़ जा रहा था. शहर की सीमा पर किसी ने टक्कर मार दी. माता पिता की मौत हो गई. दो बच्चे हैं. अब उनका कोई नहीं है.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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