यह गुड साइन नहीं है. उद्योगपति गोरख पांडे की कविता पढ़ने लग जाएं...क्या पता जोश में कोई बग़ावत कर बैठे. यह सामान्य कविता नहीं है. यह जनता के लिए लिखी गई है. जब मालिक पढ़ने लगे तो समझना चाहिए कि इस बार मुक्ति की पुकार ऊपर से आ रही है. सूट-बूट वाले अपनी टाई ढीली कर रहे हैं. बोलना चाहते हैं...
RPG समूह के स्वामी और उद्योगपति हर्ष गोयनका ने गोरख पांडे की कविता ट्वीट की है. जब लोगों की हालत ख़राब थी तब ये लोग चुप थे, अब जब इनकी हालत ख़राब हुई तो गोरख पांडे पढ़ने लगे. एक कविता कितनों के काम आती है. शासक के भी, शासित के भी, शोषक के भी, शोषित के भी. मालिक के भी. मज़दूर को भी.
हिन्दी कविता का यह स्वर्णिम क्षण है. उद्योगपति बस सच बोलने का साहस पैदा करें. हम उनमें जोश भरने के लिए कविताओं की कमी नहीं होने देंगे.
हर्ष साहब इस बार डिलिट मत कीजिएगा.
वैसे यह कविता गोरख पांडे के नाम से लोकप्रिय है मगर इसके कवि गोविंद प्रसाद हैं जो जेएनयू में प्रोफ़ेसर हैं!
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