प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हर झूठ हीरा है, इन हीरों का कंगन बना लेना चाहिए...

तथ्यों को कैसे तोड़ा-मरोड़ा जाता है, आप प्रधानमंत्री से सीख सकते हैं. मैं इन्हें सरासर झूठ कहता हूं, क्योंकि यह खास तरीके से डिज़ाइन किए जाते हैं और फिर रैलियों में बोला जाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हर झूठ हीरा है, इन हीरों का कंगन बना लेना चाहिए...

पीएम मोदी ने कर्नाटक में एक रैली के दौरान कई बातें कहीं जो तथ्यात्मक तौर पर गलत थीं

तथ्यों को कैसे तोड़ा-मरोड़ा जाता है, आप प्रधानमंत्री से सीख सकते हैं. मैं इन्हें सरासर झूठ कहता हूं, क्योंकि यह खास तरीके से डिज़ाइन किए जाते हैं और फिर रैलियों में बोला जाता है. गुजरात चुनावों के समय मणिशंकर अय्यर के घर की बैठक वाला बयान भी इसी श्रेणी का था, जिसे लेकर बाद में राज्यसभा में चुपचाप माफी मांगी गई थी. 1948 की घटना का ज़िक्र कर रहे हैं, तो ज़ाहिर है टीम ने सारे तथ्य निकालकर दिए ही होंगे, फिर उन तथ्यों के आधार पर एक झूठ बनाया गया होगा. कर्नाटक के कलबुर्गी में प्रधानमंत्री ने कहा कि फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा और जनरल के थिमय्या का कांग्रेस सरकार ने अपमान किया था. यह एक ऐतिहासिक तथ्य है. जनरल थिमय्या के नेतृत्व में हमने1948 की लड़ाई जीती थी. जिस आदमी ने कश्मीर को बचाया, उसका प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और रक्षामंत्री कृष्ण मेनन ने अपमान किया. क्या अपमान किया, कैसे अपमान किया, इस पर कुछ नहीं कहा.

रेलगाड़ियां समय पर क्यों नहीं पहुंच सकतीं?

1947-48 की लड़ाई में भारतीय सेना के जनरल सर फ्रांसिस बुचर थे, न कि जनरल थिमय्या. युद्ध के दौरान जनरल थिमय्या कश्मीर में सेना के ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे थे. 1957 में सेनाध्यक्ष बने. 1959 में जनरल थिमय्या सेनाध्यक्ष थे. तब चीन की सैनिक गोलबंदी को लेकर रक्षामंत्री कृष्ण मेनन ने उनका मत मानने से इंकार कर दिया था. इसके बाद जनरल थिमय्या ने इस्तीफे की पेशकश कर दी, जिसे प्रधानमंत्री नेहरू ने अस्वीकार कर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पता है कि उनकी इन बातों को मीडिया जस का तस रिपोर्ट करेगा. कुछ वेबसाइट पर सही बात छप भी जाएगी, तो क्या फर्क पड़ेगा, मगर कर्नाटक की जनता तो इन बातों से बहक जाएगी. क्या इस बात पर चिन्ता नहीं करनी चाहिए कि भारत के प्रधानमंत्री जनता को बहकाने के लिए झूठ भी बोल देते हैं...?

अब मेरी तस्वीर वायरल की जा रही है... मैं ईयरफोन लगाकर रखता हूं और रखूंगा...

लगातार आलोचना हो रही है कि BJP ने बेल्लारी के रेड्डी बंधुओं के परिवार के सात सदस्यों को टिकट दिया है. कोई इन्हें मंच पर बुलाता है तो कोई इन्हें दूर रखता है. अमित शाह रेड्डी बंधुओं से किनारा करते हैं, रेड्डी बंधु BJP का प्रचार कर रहे हैं. येदियुरप्पा Indian Express से कहते हैं कि अमित शाह का फैसला था. अब प्रधानमंत्री बेल्लारी गए. रेड्डी बंधुओं के खिलाफ अवैध खनन के तमाम मामले चल रहे हैं. प्रधानमंत्री की आलोचना भी हो रही थी इस बात को लेकर. जिनके अभियान की शुरुआत 'न खाऊंगा न खाने दूंगा' से हुई थी, वही प्रधानमंत्री अब रेड्डी बंधुओं का बचाव कर रहे हैं.

क्या सूचना के अधिकार का क़ानून बीमार पड़ गया?

बेल्लारी जाकर वह अपनी भाषण कला (?) का इस्तेमाल करते हैं. बात को कैसे घुमाते हैं, आप खुद देखिए. कहते हैं कि कांग्रेस ने बेल्लारी का अपमान किया है. कांग्रेस कहती है कि बेल्लारी में चोर और लुटेरे रहते हैं. जबकि 14वीं से 17वीं सदी के बीच विजयनगरम् साम्राज्य के समय'गुड गवर्नेन्स' था. भला हो प्रधानमंत्री का, जिन्होंने विजयनगरम् के महान दौर को BJP सरकार का दौर नहीं कहा. मगर किस चालाकी और खूबी से उन्होंने बेल्लारी के रेड्डी बंधुओं का बचाव किया. वह बेल्लारी की जनता के अपमान के बहाने रेड्डी बंधुओं का खुलेआम बचाव कर गए. तालियां. पहली बार प्रधानमंत्री ने रेड्डी बंधुओं को क्लीन चिट दे दी है. अब CBI भी चुप ही रहेगी.

वीडियो : क्या सूचना का अधिकार कानून बीमार पड़ गया

हर चुनाव में प्रधानमंत्री झूठ का नायाब उदाहरण पेश करते हैं. अभी तक के किसी भी प्रधानमंत्री ने झूठ को लेकर इतने रचनात्मक प्रयोग नहीं किए हैं. अगर चुनावी जीत में उनके झूठ का इतना बड़ा रोल है, तो हर झूठ को हीरा घोषित कर देना चाहिए. इस हीरे का एक कंगन बना लेना चाहिए. फिर उस कंगन को राष्ट्रीय स्मृति चिह्न घोषित कर देना चाहिए. आप ही तय कीजिए कि क्या प्रधानमंत्री को इस तरह की बातें करनी चाहिए...?

 

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