विज्ञापन
This Article is From Apr 11, 2016

केरल की घटना से क्या सिंहस्थ में सबक लेंगे हम...?

Rakesh Kumar Malviya
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 11, 2016 16:50 pm IST
    • Published On अप्रैल 11, 2016 16:47 pm IST
    • Last Updated On अप्रैल 11, 2016 16:50 pm IST
केरल के मंदिर में हुआ नामुराद हादसा मध्य प्रदेश में होने जा रहे 'सिंहस्थ 2016' के लिए बड़ी चेतावनी, बड़ा सबक है, क्योंकि वहां तो सिर्फ सैकड़ों की तादाद में ही लोग आतिशबाजी देखने जमा हुए थे, लेकिन यहां महज पांच लाख की आबादी वाला उज्जैन तो करीब पांच-साढ़े पांच करोड़ लोगों को अपने आंगन में बुला रहा है। आपको बता दें पिछले साल उज्जैन से लगभग 100 किलोमीटर दूर पेटलावद में एक बड़ा हादसा हो चुका है, जिसमें लगभग 90 लोग मारे गए थे। वह हादसा भी घर में अवैध तरीके से जमा किए विस्फोटकों के कारण हुआ था। कुछ दिन पहले उज्जैन के आसपास भी संवेदनशील सामग्री मिलने की ख़बरें आई थीं, सो, इस नजरिये से अब सरकार के सामने बड़ी चुनौती है कि वह सिंहस्थ की सुरक्षा व्यवस्था पर पूरा जोर लगा दे।

महाकाल की नगरी उज्जैन में आगामी 22 अप्रैल से 21 मई के बीच एक माह के लिए सिंहस्थ का आयोजन किया जा रहा है। प्रत्येक 12 साल बाद होने वाले इस महाआयोजन का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व है। एक माह की अवधि के दौरान करीब 15 लाख लोग रोज क्षिप्रा में स्नान करेंगे। पांच लाख की आबादी वाले शहर में पांच करोड़ लोगों का आ जाना चुनौती है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका व्यवस्थागत नजरिये से सरकार की ही है। इसके लिए उसने पूरा प्रबंधन तैयार किया है, और क्रियान्वयन के लिए भी वही जिम्मेदार है, लेकिन हम इस आयोजन में शरीक होने वाले लोगों की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते, जो कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। सरकार केवल योजना बनाती है, लेकिन उस योजना का पालन करने की जिम्मेदारी तो वहां आ रहे लोगों पर ही होती है, और वह भी तब, जब लोग वहां एक योजनागत तरीके से आ रहे हों।

चिंता वाली बात यह है कि अमूमन भीड़ ऐसा नहीं करती। इसके तमाम उदाहरण सामने हैं, जो बड़ी दुर्घटनाओं के रूप में सामने आए हैं। तीन साल पहले नवरात्रि में देवी पीठ रतनपुर में भी ऐसा ही हादसा देख चुके हैं। इस दुर्घटना में भी 115 लोग मारे गए थे और 100 से ज्यादा घायल भी हो गए थे। खोजें तो इसके और भी उदाहरण सामने आएंगे। इंटरनेट सर्च में प्रयाग महाकुंभ में ही भगदड़ की खबर सामने आती हैं, जब 800 लोग मारे गए थे और तकरीबन 2,000 घायल हुए थे। हालांकि यह 1954 की घटना है और उसके बाद गंगा, यमुना और क्षिप्रा में बहुत पानी बह चुका है, सो, अब हम यही उम्मीद और आशा करते हैं कि इस बार क्षिप्रा तट से ऐसी कोई बुरी खबर सुनाई नहीं देगी।

उज्जैन में 10 स्थायी थानों के माध्यम से सुरक्षा व्यवस्था तय की जाती है। सिंहस्थ के नजरिये से 51 अस्थायी थाने खोले गए हैं। बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों के लिए बेहतर व्यवस्था की बात की जा रही है, लेकिन सचमुच व्यवस्था को बेहतर बनाना चुनौती होगा। दिल्ली से लेकर उज्जैन तक सिंहस्थ की ब्रांडिंग एक बड़े आयोजन के रूप में खूब होती रही है, हो रही है, लेकिन ऐसे होर्डिंग और विज्ञापन कम ही दिखाई दिए, जहां इसे सुरक्षित बनाए जाने की बात की जा रही हो।

भीड़ का प्रबंधन तो ज़रूरी है ही, इसके बरक्स बच्चों की सुरक्षा भी बेहद ज़रूरी है। हम फिल्मों में कुंभ में भाइयों के बिछुड़ जाने के किस्से सुनते रहे हैं। पिछले सिंहस्थ में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 197 बच्चे गुम हुए थे। इस बार बच्चे गुम न हों, इसके लिए उनके हाथों में बार कोड जैसी बेल्ट बांधे जाने की योजना सामने आई थी। व्यावहारिक रूप से यह कैसे संभव होगा। यह तो भीड़ को एक जगह जमा होने देने जैसी कवायद होगी, जबकि भीड़ के प्रबंधन का सबसे पहला नियम तो यही है कि उसे कहीं भी रोका नहीं जाना चाहिए।

केरल की घटना एक सबक की तरह सामने आई है, सरकार इससे चेतेगी। उसे चेतना ही होगा। व्यवस्थाओं में और कसावट लानी होगी, लेकिन यह भागीदार लोगों के लिए भी बड़ा सबक है। यह उनकी अपनी सुरक्षा का सवाल है, इसलिए समाज का हर तबका मिलकर ही इसे सुरक्षित और आनंदमय बना सकता है।

राकेश कुमार मालवीय एनएफआई के फेलो हैं, और सामाजिक मुद्दों पर शोधरत हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
मेडिकल एजुकेशन में मेडिकल इनोवेशन : हिन्दुस्तान में टेक्नोलॉजी की मदद से शिक्षा में बदलाव
केरल की घटना से क्या सिंहस्थ में सबक लेंगे हम...?
चुनावी बॉन्ड खत्म करेंगे तो वैकल्पिक इंतजाम क्या होंगे?
Next Article
चुनावी बॉन्ड खत्म करेंगे तो वैकल्पिक इंतजाम क्या होंगे?
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com