दिग्विजय सिंह जो कहते हैं, करते भी हैं. राजनीति से 10 साल संन्यास लेने को कहा था, हारे, तो करके दिखाया भी. नर्मदा परिक्रमा को ही लीजिए. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की यात्रा पूरी होते-होते पूर्व मुख्यमंत्री ने भी घोषणा कर दी, और उसे पूरा किया भी. शिवराज की भव्य यात्रा का जवाब अपनी ज़मीनी यात्रा से दिया. मध्य प्रदेश में पांव-पांव वाले भैया शिवराज सिंह चौहान कहलाते रहे हैं, क्योंकि इसी पैदलपन की वजह से उन्होंने मध्य प्रदेश के लोगों के दिलों में जगह बनाई, उमा भारती और बाबूलाल गौर के बाद मध्य प्रदेश में BJP की सरकार को एक स्थायी नेतृत्व दिया, बहरहाल अपनी तीसरी पारी तक आते-आते मजबूरी कहें या पूरी सरकार चलाने की ज़िम्मेदारी उनकी यात्रा को भव्य सरकारी परिक्रमा माना गया और इसके ठीक बाद सोशल इंजीनियरिंग के महारथी दिग्विजय सिंह ने शिवराज के ही पैंतरों से अपनी ज़मीन तैयार कर ली है.
क्या वास्तव में यह दिग्विजय सिंह की एक निजी धार्मिक यात्रा रही, जिसे हजारों साल से नर्मदा के किनारे हर साल लाखों लोग इसी तरह किनारे-किनारे नर्मदा का सौंदर्य देखते हुए करते रहे हैं, अथवा नर्मदा के बहाने केवल विपक्ष को ही नहीं, अपनी पार्टी के अंदर भी ऐसा पैंतरा खेला है, जिसे कोई जान-समझकर भी कह नहीं सकता. यात्रा खत्म हुई है और सवाल शुरू हुए हैं.
इन सवालों का जवाब अगले कुछ महीनों में ही तय हो पाएगा, क्योंकि राजनीति में कई बार बहुत खुलकर कुछ भी नहीं बोला जाता, किया जाता है और समझा जाता है, बहरहाल दिग्विजय ने राजनीति की अपनी बंजर हो चली ज़मीन को बखर कर फिर तैयार कर दिया है, हो सकता है कि फसल भी लहलहा जाए.
यह सही है कि नर्मदा मध्य प्रदेश में ही नहीं, गुजरात और महाराष्ट्र में भी लोगों के दिलों में महत्व रखती है. यह दुनिया की इकलौती ऐसी नदी है, जिसकी परिक्रमा का पौराणिक महत्व है. हजारों साल से नर्मदा के किनारे परिक्रमा पथ पर लाखों यात्री पैदल यात्रा करते रहे हैं. इन परकम्मावासियों की जिम्मेदारी नर्मदा किनारे के लोग उठाते रहे हैं. चौमासे में यह यात्रा स्थगित रहती है, तो उसी दौर में ठहरने और खाने-पीने का बंदोबस्त. परकम्मावासियों को भरोसा इतना कि जेब में पैसे भी नहीं हों, तो कोई चिंता नहीं.
पुराणों में नर्मदा परिक्रमा का वर्णन मिलता है, इसलिए नर्मदा किनारे के लोग भी हर अमावस्या और पूर्णिमा को स्नान कर पुण्य लूट ही ले जाते हैं. केवल पौराणिक ही नहीं, अपने अलौकिक सौंदर्य की वजह से भी नर्मदा मध्य प्रदेश को संपन्न बनाती है. कोई ज्यादा वक्त तो नहीं बीता, तकरीबन 40 साल पहले ही तो शांतिनिकेतन से पढ़े-लिखे चित्रकार अमृतलाल बेगड़ ने नर्मदा की यात्रा की और यह लिख भी दिया कि यह उनकी जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है, यदि वह नर्मदा परिक्रमा नहीं करते, तो उनका पूरा जीवन व्यर्थ चला जाता.
अलबत्ता सौंदर्य की नदी नर्मदा की पहली किताब से वह महज़ 15 सालों के कम समय में अपनी चौथी किताब 'तीरे-तीरे नर्मदा' पर आते हैं, तो ठिठककर सवाल पूछने लग जाते हैं, क्योंकि नर्मदा तब बांधों में बंध चुकी है, उसके परिक्रमा मार्ग ध्वस्त हो चुके हैं, यदि बेगड़ अब फिर कोई किताब लिख सकते, तो वह नर्मदा के सौंदर्य की बर्बादी को ही बता रहे होते.
आश्चर्य की बात तो यह है कि नर्मदा के सौंदर्य को क्षीण-क्षीण होते देखे जाने की जो कहानी लिखी गई, उसके हिस्से में तकरीबन-तकरीबन वही दो मुख्यमंत्री रहे हैं, जो नर्मदा की परिक्रमा कर रहे हैं. बावजूद इसके कि नर्मदा को बचाने के लिए तमाम संघर्षों की आवाजें भी उसी पुरजोर तरीके से घाटी से उठती रही हैं. उन आवाजों को हर सरकार ने अनसुना किया.
अब सवाल यह है कि क्या वाकई दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की यात्रा का मकसद नर्मदा का संरक्षण था अथवा उसके ज़रिये अपनी राजनीतिक ज़मीन को मजबूत करना था. दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा के बारे में तो यह कयास और भी नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि वह शुरू से ही इसे गैर-राजनीतिक बताते रहे, लेकिन छह महीने पहले अपने राजनैतिक भविष्य और मध्य प्रदेश में अपनी स्वीकार्यता के जिस संकट से वह जूझ रहे थे, इस यात्रा ने प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से एक आधार तैयार कर दिया है. दिग्विजय सिंह को कोई बड़ी भूमिका मिल भी गई, तो इसे वह वाकई नर्मदा का आशीर्वाद ही समझेंगे, यह सायास होगा या अनायास होगा, यह तो वह खुद ही बता सकते हैं.
लंदन की टेम्स नदी एक वक्त इतनी बुरी हालत में चली गई थी, वहां खड़े होना मुश्किल हो गया था, नदी में शहर के मलमूत्र की बदबू राजमहल तक पहुंच रही थी. इस नदी के वीडियो आप इंटरनेट पर ज़रूर देखिएगा और जरा अपने देश की नदियों के बारे में भी गंभीरता से सोचिएगा.
राकेश कुमार मालवीय एनएफआई के पूर्व फेलो हैं, और सामाजिक सरोकार के मसलों पर शोधरत हैं...
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This Article is From Apr 13, 2018
दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा के मायने...
Rakesh Kumar Malviya
- ब्लॉग,
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Updated:अप्रैल 13, 2018 11:59 am IST
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Published On अप्रैल 13, 2018 11:58 am IST
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Last Updated On अप्रैल 13, 2018 11:59 am IST
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