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आपको बता दें कि मध्यप्रदेश की कोलारस विधानसभा के कांग्रेस विधायक राम सिंह यादव का पिछले साल अक्टूबर में और मुंगावली विधायक महेंद्र सिंह कालूखेड़ा का सितंबर को निधन हो गया था. इन दोनों सीटों पर उपचुनाव कराया गया. सिधिया के लोकसभा क्षेत्र में आने वाली मुंगावली विधानसभा में 2.45 लाख मतदाता हैं जबकि कोलारस में मतदाताओं की संख्या 1.90 लाख है. 24 फरवरी को हुए मतदान में कोलारस में 70.40 फीसदी मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया था, 2013 में ये आंकड़ा 72.82 था. मुंगावली में 77.05 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाले थे.
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मध्यप्रदेश में पिछले चुनाव शिवराज सिंह चौहान अपनी लाड़ली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना और ऐसी जनता से जुड़ी कई योजनाओं के जरिए निकालने में सफल रहे थे. इस कार्यकाल में उनके पास ऐसी योजनाएं तो हैं, लेकिन उनका जमीनी क्रियान्वयन और लोगों को पेश आने वाली दिक्कतों से लोग नाराज हैं. मसलन भावांतर योजना को इस साल की सबसे बड़ी योजना बताया जा रहा है, पर जमीनी सच्चाई यह है कि लोगों को इसका भुगतान देरी से मिल रहा है. किसानों को दो सौ रुपए का समर्थन मूल्य भी दिया तो चुनावी साल में, इसके साथ ही पिछले साल का बोनस देने की घोषणा को अच्छी मंशा की जगह लोगों ने चुनावी चारा अधिक माना है, यह घोषणा यदि वह पिछले साल ही कर देते या हर साल सौ-सौ रुपए का बोनस किसानों को देते तो उनकी छवि किसानप्रिय नेता की बनी रहती.
मध्यप्रदेश में अब चुनावी चौसर बेहद दिलचस्प होने वाली है. शिवराज सिंह चौहान लंबे समय से अपना झंडा बुलंद किए हुए हैं. यदि वह शीर्ष नेतृत्व को कोलारस और मुंगावली का ठीक-ठीक जवाब देने में सफल हो भी गए तो छह-आठ महीने बाद उन्हें एक बड़ा किला लड़ाना है. जाहिर है कि परिस्थितियां अब आसान नहीं हैं, गुजरात के अनुभव और उसके बाद कई और चुनावों के नतीजे कांग्रेस को लगातार ऑक्सीजन दे रहे हैं, उसे संघर्ष में ला रहे हैं, ऐसे में मध्यप्रदेश में आने वाला चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाला है इसमें कोई दो राय नहीं है.
वीडियो: शिवराज सिंह बोले, यह चुनाव है, दंगल नहीं
राकेश कुमार मालवीय एनएफआई के पूर्व फेलो हैं, और सामाजिक सरोकार के मसलों पर शोधरत हैं...
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