बीजेपी में वह परिवर्तन हो गया, जिसका अंदाज़ा बहुत लोगों को नहीं था। नितिन गडकरी वापस नागपुर पहुंच गए और राजनाथ सिंह को गाजियाबाद से दिल्ली बुला लिया गया, लेकिन, यह अभी साफ नहीं हुआ है कि अहमदाबाद से दिल्ली की फ्लाइट पकड़ने का इंतज़ार करने वाले नरेंद्र मोदी को 'कन्फर्म्ड' टिकट कब मिलेगा...
पिछला हफ्ता बीजेपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा। गडकरी की विदाई और राजनाथ की ताजपोशी से कई संकेत मिले। साफ हो गया कि बीजेपी संगठन पर आरएसएस की पकड़ मज़बूत बनी रहेगी और उसमें कोई भी ढील नहीं होगी, क्योंकि आरएसएस साफ कर चुका था कि बीजेपी अध्यक्ष या तो गडकरी ही रहेंगे या फिर राजनाथ सिंह बनेंगे।
दूसरा, आरएसएस के चाहने के बावजूद लालकृष्ण आडवाणी संन्यास लेने को तैयार नहीं, बल्कि गडकरी की विदाई में आडवाणी ने जिस तरह बड़ी भूमिका निभाई, उससे पार्टी कायकर्ताओं और हितचिंतकों में उनका कद फिर बढ़ गया है।
आडवाणी ने गडकरी को हटवाकर बीजपी को न सिर्फ भ्रष्टाचार के मुद्दे पर यूपीए पर फिर आक्रामक होने का मौका दे दिया है, बल्कि इस मुद्दे पर पार्टी की गिरती साख को थामने में भी कामयाबी हासिल की है।
लेकिन बड़ा सवाल यही है कि राजनाथ सिंह की ताजपोशी नरेंद्र मोदी के लिए अच्छी खबर है या बुरी... राजनाथ सिंह के पिछले कार्यकाल में दोनों नेताओं के रिश्ते ठीक नहीं थे। राजनाथ सिंह ने मोदी को पार्टी की सर्वोच्च निर्णायक संस्था संसदीय बोर्ड से हटा दिया था। वर्ष 2007 के गुजरात चुनाव से ठीक पहले आडवाणी को एनडीए का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कराने में भी राजनाथ की भूमिका रही थी और मोदी समर्थकों का आरोप था कि यह गुजरात चुनाव में मोदी से ध्यान हटाने और जीत के बाद उनके रास्ते में रोड़े अटकाने की कोशिश थी।
लेकिन, अब अगर राजनाथ सिंह बदले नज़र आ रहे हैं, तो मोदी भी... नरेंद्र मोदी ने इस बार गुजरात चुनाव से ठीक पहले अपनी विवेकानंद यात्रा के लिए राजनाथ को खासतौर से आमंत्रित किया, जो राजनाथ के लिए सुखद आश्चर्य था। गुजरात जाने पर राजनाथ का मोदी ने गर्मजोशी से स्वागत भी किया। उनके अध्यक्ष बनने के बाद फोन पर बधाई दी और ट्विटर पर याद दिलाया कि राजनाथ देश के सबसे बड़े किसान नेता हैं।
राजनाथ सिंह से जब यह पूछा गया कि क्या बीजेपी नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाएगी तो इस पर उनका जवाब यही था कि इस बारे में संसदीय बोर्ड उचित समय पर फैसला करेगा, लेकिन लगे हाथ राजनाथ ने मोदी की जबर्दस्त तारीफ कर डाली। उन्होंने कहा कि मोदी राष्ट्रीय नेता हैं और गुजरात में उन्होंने विकास का मॉडल बनाया है। बाद में उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर मोदी के रोल को तय करने के लिए वह उनसे और पार्टी के दूसरे नेताओं से बातचीत करेंगे।
मोदी के लिए राष्ट्रीय प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष की भूमिका की बात की जा रही है, लेकिन लगता नहीं कि मोदी इसके लिए तैयार होंगे... बल्कि जब तक मोदी को ठोस रूप से 'बीजेपी का चेहरा' बनाने का फैसला नहीं होता, मोदी गुजरात छोड़कर बाहर निकलना भी नहीं चाहेंगे।
मीडिया के कुछ हिस्सों की खबरों के विपरीत आरएसएस मोदी को बड़ी भूमिका सौंपने का मन बना चुका है। सूत्रों के मुताबिक दिसंबर के अंतिम सप्ताह में संघ की एक अंदरूनी बैठक में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने से कोई नहीं रोक सकता।
राजनीति में बड़ा फैसला टाइमिंग का होता है। मोदी को औपचारिक रूप से बीजेपी का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने का मतलब यह है कि बिहार में नीतीश कुमार का साथ खो देना... इसीलिए पार्टी नेता उन्हें प्रचार समिति का प्रमुख बनाकर बीच का रास्ता निकालना चाहते हैं, लेकिन मोदी चाहते हैं कि उन्हें जो भी ज़िम्मेदारी दी जाए, वह बिना लाग−लपेट के दी जाए।
यही राजनाथ के लिए एक बड़ी परीक्षा है कि वह इस सवाल का समाधान कैसे करते हैं। सवाल यह भी है कि हल्के-फुल्के गडकरी के मुकाबले राजनाथ सिंह का राजनीतिक वज़न बहुत ज़्यादा है। उनकी प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षाएं छिपी नहीं हैं। हालांकि अब वह कह रहे हैं कि वह पीएम पद की दौड़ में नहीं हैं, और अपनी पूरी ताकत संगठन को मजबूत करने पर ही लगाएंगे, लेकिन सत्ता और संगठन में संतुलन दुर्लभ है। खासतौर से तब, जब संगठन की चाबी किसी और (आरएसएस) के पास हो...
This Article is From Jan 26, 2013
राजनाथ की ताजपोशी : नरेंद्र मोदी के लिए अच्छी खबर या बुरी?
Akhilesh Sharma
- Blogs,
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Updated:नवंबर 20, 2014 13:19 pm IST
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Published On जनवरी 26, 2013 19:11 pm IST
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Last Updated On नवंबर 20, 2014 13:19 pm IST
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