...इसलिए नहीं थम पा रहा गुजरात में पाटीदार आंदोलन, इस मुद्दे पर अटकी है बातचीत

...इसलिए नहीं थम पा रहा गुजरात में पाटीदार आंदोलन, इस मुद्दे पर अटकी है बातचीत

फाइल फोटो

आठ महीने  बाद गुजरात में पाटीदार आरक्षण के मुद्दे पर फिर हिंसा भड़की है। इससे पहले अगस्त 2015 में पाटीदार आरक्षण आंदोलन हिंसक हुआ था और उस हिंसा में करीब 10 लोग मारे गये थे और करोड़ों की सरकारी संपत्त‍ि का नुकसान हुआ था। उसके बाद से बड़ी हिंसा नहीं हुई थी, इसलिए ऐसा लग रहा था कि शायद आंदोलन खत्म हो गया। लेकिन रविवार को महेसाणा में हुई घटना ने बता दिया कि आरक्षण की आग अब भी सुलग रही है और जरा सी हवा इसे भड़का देती है।

महत्वपूर्ण है कि पिछले साल अगस्त में आरक्षण की आग भड़कने के बाद सरकार के खिलाफ प्रदर्शन होते रहे थे लेकिन अक्‍टूबर में इस आंदोलन का चेहरा हार्दिक पटेल को गिरफ्तार कर उन पर राजद्रोह का मुकदमा किया गया जिससे बात सुलझने के बजाय और उलझ गई। तभी से सरकार पाटीदार समूहों के साथ समाधान खोजने के लिए बात करती रही है।

हार्दिक और अन्‍य नेताओं को छोड़ने पर अटकी है बातचीत
पहले एक बार पाटीदारों की देवी उमिया के धाम के ट्रस्टी जयराम पटेल और सौराष्ट्र के लेउवा पाटीदार नेता विट्ठल रादडिया द्वारा भी हार्दिक पटेल और दूसरे समूह सरदार पटेल ग्रुप के नेता लालजी पटेल के साथ बातचीत हुई। लेकिन हर बात एक ही बिंदु पर आकर रुक रही है कि जेल में बंद हार्दिक पटेल और अन्य नेताओं को पहले छोड़ा जाए तभी बातचीत संभव है। महेसाणा की हिंसा के बाद सरकार ने सोमवार को एक बार फिर, उत्तर गुजरात, सौराष्ट्र और सूरत से पाटीदार नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया लेकिन इस बार भी बात वहीं आकर थम गई जब इन नेताओं ने सरकार से कहा कि पहले हार्दिक को छोड़ो,  तभी बात आगे बढ़ सकती है।

यह है सरकार की दुविधा
सरकार की दुविधा ये है कि उसने खुद ही हार्दिक पटेल पर भड़काऊ भाषण देने और हिंसा भड़काने के आरोप लगाते हुए राजद्रोह का केस किया है। अगर वह खुद ही हार्दिक की जमानत का विरोध नहीं करती तो उसके आरोपों पर सवाल खड़े हो सकते हैं। ऐसे में बातचीत पूरी तरह उलझ गई है। अभी तक यह एक उलझन तो थी ही, उस पर महेसाणा घटना के बाद बातें सुलझने के बजाय और उलझ गई हैं।

एसपीजी के मुखिया हैं लालजी पटेल
जैसे हार्दिक पटेल पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) के नेता हैं वैसे ही अन्य एक नेता हैं लालजी पटेल जो सरदार पटेल ग्रुप यानी एसपीजी के मुखिया हैं और उनका खासा दबदबा है। हार्दिक शुरुआत में एसपीजी के ही सक्रिय सदस्य थे और बाद में उन्होंने अपनी अलग संस्था खड़ी की। महेसाणा की हिंसा में लालजी पटेल घायल हो गये थे। लालजी का आरोप है कि वे पुलिस द्वारा लाठीचार्ज में घायल हुए। लेकिन पुलिस औऱ सरकारी डॉक्टरों का कहना है कि लालजी पटेल को दंगाइयों का पत्थर लगा है।

इस बीच पुलिस ने लालजी पटेल पर हत्या की कोशिश यानी धारा 307  और अन्य धाराओं के तहत मुकद्दमा दर्ज कर लिया है। अब उनकी भी गिरफ्तारी तय है। ऐसे में लग रहा है कि सरकार और आंदोलनकारी पाटीदार समाज के बीच बातचीत फिलहाल आगे बढ़ना थोड़ा मुश्किल है।
राजीव पाठक NDTV इंडिया में कार्यरत हैं

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