बाबा की कलम से : राहुल की गैरहाजिरी, राहुल की हाजिरी से भारी

राहुल गांधी की फाइल तस्वीर

नई दिल्ली:

राहुल गांधी कहां हैं, ये सवाल आज दिल्ली से लोकसभा में बीजेपी के सांसद रमेश विधूड़ी ने उठाया। विधूड़ी का कहना था कि राहुल गांधी राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं और देश को यह जानने का अधिकार है कि वे कहां हैं और किसके साथ गए हैं।

वैसे बहुत सारे लोग यह जानने के लिए उत्सुक होंगे कि राहुल कहां हैं। अब तो पत्रकारों ने भी कयास लगाना छोड़ दिया है। बीजेपी के तरफ से ऐसा सवाल जब हरियाणा के सांसद अश्विनी मिन्ना ने संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू से जब पूछा कि वे भी राहुल गांधी कहां हैं, इसका सवाल लोकसभा में उठाना चाहते हैं, तो वेंकैया ने उन्हें मना कर दिया।

सवाल उठता है भला क्यों? अब जरा हाल के दिनों में कांग्रेस की राजनीति को देखिए। राहुल हैं नहीं, मुद्दा भूमि अधिग्रहण का है और विपक्ष पूरे ताकत से सरकार के नाक में दम किए हुए है।

शुरू में जब ये खबर आई थी, तो लगा था कि कांग्रेस शिथिल पर जाएगी, क्येंकि सेनापति के बिना सेना क्या करेगी। मगर तभी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ कोयला ब्लॉक आंवटन मामले में अदालत का समन आया और इसने कांग्रेस को एकजुट कर दिया। सोनिया गांधी ने कमान संभाली और अपने नेताओं के साथ मनमोहन सिंह के घर तक मार्च किया और मनमोहन सिंह पर पूरा भरोसा जताया।

कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि देश के बड़े वकील मनमोहन सिंह की पैरवी करेगें। फिर भूमि अधिग्रहण पर संसद के अंदर और बाहर सरकार पर हमला बोलने के लिए कांग्रेसी नेताओं में होड़ लग गई। जंतर मंतर या संसद मार्ग की रैली पर पुलिस के सामने प्रर्दशन करने और वाटर कैनन खाने में भी कांग्रेस नेता हिचक नहीं रहे हैं। जिन नेताओं को आपने कभी टीवी पर बोलते नहीं देखा होगा, वो जंतर मंतर पर जोशीले भाषण दे रहे हैं यानि कांग्रेस के सभी नेताओं को अंदेशा है कि कांग्रेस का निजाम बदलने वाला है और राहुल की बोगी में बैठने के लिए उन्हें जो सीट चाहिए, उसके रिजर्वेशन के लिए सड़कों पर पसीना बहाना जरूरी है।

यही वजह है कि किसी भी धरना में या संसद के अंदर विरोध में कहीं भी राहुल गांधी की कमी महसूस नहीं हुई। उल्टे इसका असर और भी अधिक महसूस किया गया। अब राहुल गांधी के लिए कांग्रेस में जमीन तैयार है। एक वक्त ऐसा लग रहा था कि पार्टी सोनिया और राहुल कैंप में बंट गई है, मगर अब ऐसा लगता है कि कांग्रेस के नेताओं ने राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार कर लिया है, क्योंकि हाल के फेरबदल भी इसी तरफ इशारा कर रहे हैं।

मगर सबसे बड़ा सवाल यही है कि राहुल कब पार्टी के सामने आएंगे और कब उनकी ताजपोशी होगी। पहले कहा जा रहा था कि अप्रैल में ही कांग्रेस का अधिवेशन होगा, लेकिन सबको आधिकारिक घोषणा का इंतजार है। जो भी हो राहुल के दिल्ली में न रहते हुए भी पार्टी ने लोगों में अपना असर तो जरूर छोड़ा है।


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