विज्ञापन
This Article is From Dec 13, 2021

मुश्किल सवालों का जवाब दे रहे हैं राहुल गांधी...

Aadesh Rawal
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 27, 2021 14:06 pm IST
    • Published On दिसंबर 13, 2021 16:18 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 27, 2021 14:06 pm IST

"मैं हिन्दू हूं, हिन्दुत्ववादी नहीं..."

पहली बार राहुल गांधी के भाषण में जब धर्म से जुड़े हुए ये दो शब्द सुने, तो बहुत लोगों की तरह मुझे भी थोड़ा आश्चर्य हुआ. जयपुर में महंगाई के मुद्दे पर कांग्रेस की रैली हो रही थी. राहुल गांधी अपने सम्बोधन के लिए खड़े हुए, तो किसी ने नहीं सोचा था कि कांग्रेस के नेता के रूप वह एक ऐसा मुद्दा उठाएंगे, जिस पर सत्ताधारी दल पिछले सात से देश पर राज कर रहा है. कांग्रेस के कई नेताओं को लगा कि धर्म के विषय पर बात करने का यह सही समय नहीं है, लेकिन अगर आप 12 दिसंबर की TV की बहस और 13 दिसंबर के अख़बारों की सुर्ख़ियां देखेंगे, तो आप समझ जाएंगे कि राहुल गांधी ने इस मुद्दे को क्यों उठाया है.

2019 के लोकसभा चुनाव को याद कीजिए. कांग्रेस, और ख़ासतौर पर राहुल गांधी राफ़ेल के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे थे. कांग्रेस का नारा था, 'चौकीदार चोर है...' राहुल गांधी को लगा था कि राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रक्षा से जुड़े मामले के भ्रष्टाचार पर कांग्रेस घेरेगी, तो पार्टी के लिए आसान होगा, लेकिन एक सर्जिकल स्ट्राइक ने सब कुछ पलट दिया. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 2014 से भी बड़ी जीत 2019 के लोकसभा चुनाव में दर्ज की.

दरअसल, राफ़ेल, नोटबंदी, GST, चीन और जासूसी जैसे मुद्दों पर BJP को हराना आसान नहीं है. यह बात राहुल गांधी और उनके रणनीतिकार समझ चुके हैं. इसकी बड़ी वजह है धर्म और राष्ट्रीय सुरक्षा पर हो रही BJP की राजनीति. जिससे उसी की पिच पर जाकर खेलने की ज़रूरत है. कांग्रेस पर 2014 तक मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप लगते रहे. राहुल गांधी को इस बात का भली-भांति अंदाज़ा है कि उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं है. कांग्रेस कितनी भी कमज़ोर हो, वह 52 लोकसभा सीटें तो जीत ही जाएगी.

इसलिए कल राहुल गांधी ने BJP की पिच पर जाकर खेला और कहा, "हिन्दू और हिन्दुत्ववादी दो अलग-अलग शब्द हैं..."

"मैं हिन्दू हूं, हिन्दुत्ववादी नहीं... गांधी जी हिन्दू थे, गोडसे हिन्दुत्ववादी... हिन्दू सत्याग्रह करता है और हिन्दुत्ववादी सत्ताग्रह... यह हिन्दुओं का देश है, हिन्दुत्ववादियों का नहीं..."

राहुल गांधी को यह बात अच्छी तरह मालूम है कि वह मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डाल रहे हैं, लेकिन इसके पीछे उनकी रणनीति और दूरगामी राजनैतिक सोच दिख रही है. धर्म और समाज की संवेदना से जुड़ा कोई भी मुद्दा देख लीजिए. आजकल TV चैनलों की बहस इसी के आसपास घूमती नज़र आएगी और समाज का तानाबाना भी इन्हीं मुद्दों के आसपास घूम रहा है. तो ज़ाहिर है, कांग्रेस और राहुल गांधी को भी अपनी राजनीति इन्हीं मुद्दों पर करनी होगी, क्योंकि पिछले सात सालों में जब-जब राहुल गांधी ने बेरोज़गारी, अर्थव्यवस्था, नोटबंदी, राफ़ेल जैसे मुद्दों को उठाया, उन्हें कोई ख़ास राजनैतिक लाभ नहीं हुआ. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक़ धर्म के मुद्दे पर राजनीति करने से शुरुआत में ज़रूर राहुल गांधी को आलोचना झेलनी पड़ सकती है, लेकिन अगर 2024 के लोकसभा चुनाव तक इसी तरह राहुल गांधी हिन्दू और हिन्दुत्ववाद की बात करते रहे, तो ज़ाहिर है, जनता भी धर्म के मुद्दों से उब जाएगी, क्योंकि सरकार, विपक्ष और मीडिया एक ही विषय पर बात करते रहेंगे, तो सोचिए, इसका समाज पर क्या असर होगा.

राहुल गांधी और कांग्रेस ने जिस पिच पर खेलने का फ़ैसला किया है, वहां पहले से धुरंधर बल्लेबाज़ हैं, जिनसे कड़ी चुनौती मिलेगी. यह ज़रूर कहना होगा कि राहुल गांधी ने मुश्किल विषयों पर जवाब देना शुरू कर दिया है. शुरुआती रुझान के लिए TV की बहस और अख़बारों की सुर्ख़ियों देखें, तो अभी राहुल गांधी को कामयाबी मिलती दिख रही है, लेकिन यह विषय बहुत व्यापक और गंभीर है. एक छोटी-सी गलती भी आपको सांप-सीढ़ी के खेल की तरह 99 से सीधा 9 पर लाकर खड़ा कर सकती है.

आदेश रावल वरिष्ठ पत्रकार हैं... आप ट्विटर पर @AadeshRawal पर अपनी प्रतिक्रिया भेज सकते हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com