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This Article is From Sep 15, 2017

पब्लिक सेक्टर बैंक पर निजीकरण का खतरा? रवीश कुमार के साथ प्राइम टाइम

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 15, 2017 21:49 pm IST
    • Published On सितंबर 15, 2017 21:04 pm IST
    • Last Updated On सितंबर 15, 2017 21:49 pm IST
नमस्कार मैं रवीश कुमार, क्या 15 सितंबर को महाराष्ट्र के सोलापुर में भारत पेट्रोलिय के पंप पर सादा तेल 81 रुपये 27 पैसे प्रति लीटर हो गया था। मुंबई से भी ज्यादा महंगा तेल सोलापुर में है। इस जानकारी के बाद जब हमने देश के बाकी शहरों का रेट जानना चाहा तो पता चला कि भारत पेट्रोलियम, इंडियन आयल कोरपोरेशन और एच पी सी एल की वेबसाइट पर सभी ज़िलों के पेट्रोल और डीज़ल के भाव नहीं मिले. इनकी साइट पर महानगरों और राज्यों की राजधानियों के ही रेट हैं. इसलिए अभी तक मुंबई का 79 रुपये प्रति लीटर से अधिक पर ही हैरानी हो रही थी और पता नहीं चल रहा था कि सोलापुर जैसे ज़िले 83 रुपये से अधिक दाम दे रहे हैं. जब हमने पेट्रोल डीज़ल की कीमत बताने वाली दूसरी कई वेबसाइट देखी और कुछ जगहों पर खुद भी देखा तो पता चला कि महाराष्ट्र के ही कई शहरों में पेट्रोल के भाव मुंबई से महंगे हैं और 80 रुपये के पार जा चुके हैं. महाराष्ट्र के परभणी में 15 सितंबर का भाव 81 रुपये 20 पैसे प्रति लीटर है, रत्नागिरी में 80 रुपये 11 पैसे प्रति लीटर, जालना में 80 रुपये 47 पैसे प्रति लीटर, लातूर में 80 रुपये 34 पैसे प्रति लीटर है.  11 सितंबर को महाराष्ट्र के 12 ज़िलों में पेट्रोल की कीमत 80 रुपये प्रति लीटर से अधिक हो गई थी. बीड, गोंदिया, अमरावती, बुलढ़ाना और रत्नागिरी में 80 रुपये प्रति लीटर पहुंच गया था. 

पेट्रोल के दाम कई ज़िलों में 80 रुपये प्रति लीटर हो गए फिर भी पेट्रोल की कीमत पर लेख लिखने वाले अर्थशास्त्रियों को अब इसमें लिखने लायक कोई बात नज़र नहीं आती. परभणी एक ग़रीब इलाका है. मगर यहां तेल 80 रुपये प्रति लीटर से अधिक है, मुंबई से भी अधिक है. मुंबई में अधिकतम दर 79 रुपये 62 पैसे प्रति लीटर पेट्रोल है. पेट्रोल के दाम अस्सी पार करने को लेकर दो तरह की बातें सुनने को मिल रही हैं. एक यह कि लोग अब पांच सौ और दो हज़ार का तेल लेते हैं, प्रति लीटर दाम नहीं पूछते हैं तब भी 80 रुपये का दर्द पता नहीं चलेगा मानना आसान नहीं है. आप ही बताइये कि क्या 2000 का तेल लेने के कारण 76 रुपये 74 रुपया या 80 रुपया पेट्रोल नहीं चुभता.

रवीश कुमार का प्राइम टाइम इंट्रो 

दूसरी बात यह सुनने को मिल रही है कि यह विपक्ष के लिए बहुत अच्छा मौका था मगर विपक्ष नज़र नहीं आता. दावे से नहीं कह सकता कि विपक्ष ने कहां कहां प्रदर्शन किया और कहां नहीं किया लेकिन रायपुर से जब यह तस्वीर न्यूज़ रूम में आ रही थी तो लगा कि हाज़िरी के लिए लगा देते हैं. कांग्रेस के कार्यकर्ता पेट्रोल डीज़ल के दाम बढ़ने को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन गले में फांसी का फंदा लगाकर प्रदर्शन करने का आइडिया ज़रा ठीक नहीं लगा. राजनीति में इस बात का ख्याल रखा जाना चाहिए कि हम कौन सा तरीका अपना रहे हैं जो आगे चलकर नई परंपरा डालेगी. फांसी का फंदा लगाए बग़ैर भी पेट्रोल के बढ़ते दामों का प्रदर्शन कर सकते थे. सोशल मीडिया पर बीजेपी के नेताओं के प्रदर्शन की तस्वीरें भी खूब चल रही हैं मगर वो अभी की नहीं हैं, 2014 से पहले की हैं तब तेल का दाम अस्सी रुपया तो नहीं गया था. इन तस्वीरों में स्मृति ईरानी प्रदर्शन कर रही हैं, राजनाथ सिंह भी धरने पर बैठे हैं वगैरह वगैरह. वैसे मार्च 2013 में पेट्रोल का दाम 70 रुपया प्रति लीटर हो गया था. तब क्रूड आयल का दाम इस वक्त की तुलना में दुगने से भी अधिक था. अब तो अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में कच्चे तेलों का दाम कम हो गया है.

हम पेट्रोल की बात तो कर रहे हैं मगर डीज़ल का दाम बढ़ने का असर खेती पर भी पड़ रहा है. अब आते हैं बैंकों की हालत पर. अख़बारों में लगातार ख़बरें छप रही हैं और विश्लेषण हो रहा है कि पब्लिक सेक्टर के बैंकों की हालत बहुत ख़राब हो गई है. नोटबंदी के कारण उनकी कमाई घटी है और जिसके कारण ब्याज़ दर में कटौती करनी पड़ी है लेकिन उससे भी ज़्यादा नुकसान हुआ है एन पी ए से. नान प्रोफिट एसेट से. ये वो हिस्सा है जब कोई कंपनी बैंक से लिया गया लोन नहीं चुकाती है और बैंक को नुकसान हो जाता है.

खराब हालत के कारण पब्लिक सेक्टर बैंकों का निजीकरण न हो जाए इसे रोकने के लिए देश भर के बैंक कर्मचारियों के 9 संगठनों ने दिल्ली में प्रदर्शन किया है. इसके पहले 28 जुलाई को भी बैंक कर्मचारी और अफसर संगठनों का राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन हो चुका है. इनकी मांग है कि डूब चुके लोन की रिकवरी के लिए सरकार कदम उठाए. जो लोन वापस न करता हो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो और कड़ा कानून बने. केवल 12 लोन अकाउंट ऐसे हैं जिन पर ढाई लाख करोड़ का लोन बाकी है. इसके कारण बैंक दिवालिया हो रहे हैं. 31 मार्च 2017 तक पब्लिक सेक्टर बैंकों को डेढ़ लाख करोड़ का आपरेटिंग प्राफिट हुआ है लेकिन बुरे लोन को माफ करने के कारण ये मुनाफा मात्र 574 करोड़ रह गया है. बड़े कारपोरेट को लोन न चुकाने पर छूट दी जा रही है, किसान और छात्रों को लोन न देने पर ज्यादा परेशान किया जा रहा है. यह लोग मांग कर रहे हैं संसद में पेश डिपोजिट इंश्योरेंस बिल वापस लिया जाए क्योंकि इसकी वजह से पब्लिक सेक्टर बैंकों के हाथ से पावर छीन कर प्राइवेट बैंको को दिया जा रहा है. 

यह सही है कि बैंकों की हालत बहुत ख़राब है. भारतीय रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट कहती है कि बैंकों ने जितना लोन दिया है उसका बड़ा हिस्सा नहीं चुकाया जा सका है. बुरे लोन की मात्रा बढ़ती ही जा रही है. रिजर्व बैंक की जून की वित्तिय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार बैंकों की लोन बुक में खराब लोन का अनुपात मार्च 2017 के 9.6% से मार्च 2018 तक 10.2% तक बढ़ जाएगा. अनुपात 11.2% तक भी बढ़ सकता है. सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंक के लिए  यह अनुपात मार्च 2017 के 11.4% के मुकाबले मार्च  2018 तक 14.2%  हो जाएगा. 

मार्च 2012 में सिर्फ छह पब्लिक सेक्टर बैंक ऐसे थे जिनका 3 प्रतिशत से अधिक एन पी ए था. पांच साल के भीतर मार्च 2017 तक आते आते सभी पब्लिक सेक्टर बैंकों का का एन पी ए डबल हो गया और पांच को छोड़ सभी का एनपीए डबल डिजिट में हो गया. पांच बैंक ऐसे हैं जिनका एन पी ए तो 15 फीसदी से अधिक हैं. 2016 और 2017 में एनपीए में काफी उछाल आया है. बैंकों की ख़राब हालत का असर आप पर भी पड़ रहा है. फिक्स डिपोज़िट का रेट कम हो गया है. बैंकों ने तरह तरह के सुविधा शुल्क वसूलना शुरू कर दिया है. 

भारतीय स्टेट बैंक ने बचत खातों की ब्याज़ दरों को कम कर दिया है. एक करोड़ से कम की बचत राशि पर 3.5 का ब्याज़ मिलेगा. एक करोड़ या अधिक की बचत राशि पर 4 प्रतिशत का ब्याज़ मिलेगा. स्टेट बैंक में मिनिमम बैलेंस पर 20 से 100 रुपए तक सर्विस चार्ज देना होगा. कैश हैंडलिंग चार्ज एक महीने में 3 लेन-देन तक फ्री और उसके बाद 50 रूपया+जीएसटी. मिनिमम बैलेंस 5000 कर दिया गया है. कई लोग हमें लिख रहे हैं कि विधवा पेंशन के 2000 मिलते हैं. मिनिमम बैलेंस न होने के कारण 20 से 80 रुपये तक कट जाता है. स्टेट बैंक को सोचना चाहिए. 

बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार ने लिखा था कि पब्लिक सेक्टर के बैंकों को मार्च 2019 तक करीब दो लाख करोड़ रुपये चाहिए ताकि वे एनपीए के तहत गायब हो चुके पैसे की भरपाई कर सकें. बैंक अपना घाटा खाताधारकों से भी पूरा कर रहे हैं. इसके खिलाफ मनीलाइफ फाउंडेशन की सुचेता दलाल ने चेंज डाट ओ आर जी पर एक याचिका दायर की है ताकि लोग वहां समर्थन दे सकें. इस याचिका में सुचेता दलाल ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर को लिखा है कि बैंक अपने उपभोक्ताओं से मनमाने तरीके से तरह तरह के शुल्क वसूल रहे हैं. 

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