कई बार ऐसा होता है कि हम जिन चीज़ों की आलोचना करते हैं वही ख़ुद भी करने लगते हैं। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संदर्भ में सोशल मीडिया में एक रिवर्स ट्रोल का चलन देख रहा हूं। जो ट्रोल की आलोचना करते रहे हैं वो स्मृति ईरानी की आलोचना में ट्रोल हुए जा रहे हैं।
कुछ लतीफे ऐसे बनाए गए हैं जो बेहद नारी विरोधी हैं, किसी भी काम के प्रति सम्मान की भावना के ख़िलाफ़ हैं। चरखा चलाना और तकली कातना शानदार काम है। हमारी आज़ादी की लड़ाई का यादगार प्रतीक है। जो मुल्क अपना इतिहास भूल जाता है वो ऐसे ही सड़े गले लतीफ़ों से अपना लोकतंत्र चलाता है। जैसा कि आज अंग्रेजी के एक बड़े अख़बार ने किया। एक स्तंभकार ने स्मृति को अहंकार और अज्ञानता का मिश्रण बताया है। किस आधार पर विद्वान नए मंत्री की विद्वता और विनम्रता को लेकर इतने आश्वस्त हो रहे हैं। कपड़ा मंत्रालय अच्छा मंत्रालय है। ये हमारी भी कमी है कि हम पूरे राजनीतिक अनुभव और विमर्श को पौने तीन नेता, सवा चार मंत्रालय और ढाई पार्टी तक समेट देते हैं। स्मृति ईरानी की आलोचना बिल्कुल की जानी चाहिए मगर उसका आधार नीति हो, काम और बयान हो। उनके जाने के जश्न में एक तबका अपने तर्कों का त्याग कर अजीब प्रकार की हरकतें कर रहा है।
नीतिगत समझ न होने के कारण ही हम व्यक्तिगत बदलाव को बदलाव मान लेते हैं। क्या सभी को मालूम है कि उनकी क्या नीतियां थीं। अगर थीं तब नीतियों को लेकर इतनी सक्रियता क्यों नहीं दिखी। कई बार न चाहते हुए भी नीति और व्यक्ति में अंतर मिट जाता है। फिर भी स्मृति ईरानी के हटाये जाने को लेकर रसरंजित समाज से आग्रह है कि वे ख़ुद को रक्तरंजित न करें। उनके हटने को उनके काम तक ही सीमित रखें। इस क्रम में कपड़ा मंत्रालय का मज़ाक उड़ाया जाना ठीक नहीं है। आलोचना और निंदा में फर्क होना चाहिए और निंदा के आगे फिसलते वक्त ध्यान रखना चाहिए कि हम किस खाई में गिरने वाले हैं। ध्यान रखियेगा मेरी बात। आपके हमारे भीतर पल रही यह प्रवृत्ति सदियों के संघर्ष से अर्जित लोकतंत्र का सत्यानाश कर देगी। अपने व्हाट्स अप और ट्विटर हैंडल को एक बार फिर से देख लीजिए। स्मृति ईरानी से आप नफरत करते हैं तो आप बीमार हैं। आप बीमार नहीं हैं तो स्मृति की आलोचना कर सकते हैं।
अब अदालत की बात। कभी-कभी अदालतों के फैसले हमें एक बेहतर लोकतांत्रिक नागरिक बनाने में मदद करते हैं। लोकतांत्रिकता हमारे भीतर बनने वाली रोज़ की एक प्रक्रिया है। चेन्नई हाई कोर्ट के एक फैसला का ज़िक्र करना चाहता हूं। जनवरी 2015 में तमिल लेखक पेरुमल मुरुगन ने अपने फेसबुक पर लिखा था कि लेखक पेरुमल मुरुगन मर गया है। वो भगवान नहीं है इसलिए पुनर्जीवित नहीं होगा। अब इसके बाद पी मुरुगन सिर्फ एक टीचर के रूप में जीवित रहेगा।
मुरुगन के लेख और उपन्यास को लेकर तमिलनाडु के नमक्कल में विवाद हुआ था। धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप लगे, तनाव बढ़ा तो ज़िला प्रशासन ने विरोधियों और लेखक के बीच समझौता कराया जिसके तहत लेखक ने माफी मांगी और बाज़ार से अपनी किताब वापस ले ली। मुरुगन के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले चलाने और सारी किताबें ज़ब्त करने की दो याचिका दायर हुई। मद्रास हाईकोर्ट के दो जजों की जो बेंच ने कहा है उसकी एक एक पंक्ति हमें बेहतर लोकतांत्रिक नागरिक बनने में मदद कर सकती है। फैसले से पहले जज साहिबान का नाम लेना ज़रूरी है। चीफ जस्टिस सी जे कौल और जस्टिस पुष्पा सथ्यानारायण। जज साहिबान ने दोनों याचिका रद्द कर दी और अपने फैसले में जो लिखा उसे मैं पढ़ना चाहता हूं। पूरा फैसला नहीं पढ़ा लेकिन इंडियन एक्सप्रेस और न्यूज़ मिनट वेबसाइट से लिया है। अदालत कहती है कि लेखक को पुनर्जीवित होने दिया जाए, जिसमें वो सबसे बेहतर हैं। लिखो।
धीमी गति से चलने वाली हमारे मुल्क की अदालतें कई बार हमें बेहतर रास्ता दिखा देती हैं। अदालत कह रही है कि नमक्कल ज़िला प्रशासन के सामने लोगों और लेखक के बीच जो समझौता हुआ था उसे मानने के लिए लेखक कतई बाध्य नहीं है। इसी फैसले के बाद मुरुगन ने लिखना छोड़ दिया था। अदालत ने कहा है कि मुरुगन को भय में नहीं रहना चाहिए। उन्हें लिखना चाहिए और अपने लेखन के कैनवस का विस्तार करना चाहिए। उनका लेखन साहित्य में योगदान माना जाएगा, बावजूद इसके उनसे असहमत होने वाले लोग भी होंगे। मगर इसका हल यह नहीं है कि लेखक ख़ुद को मरा हुआ घोषित कर दे। वो उनका मुक्त फैसला नहीं था बल्कि एक बनाई गई स्थिति में लिया गया था।
जस्टिस सी जे कौल ने लिखा है कि हमें भरोसा है कि पेरुमल मुरुगन औ उनके विरोधी साथ साथ चलना सीखेंगे और अपने मुद्दों को दफनायेंगे जैसा आगे बढ़ते हुए जीवंत लोकतंत्र के नागरिक होते हैं। हर लेखन किसी ने किसी के लिए आपत्तिजनक है। इसे अश्लील अभद्र, अनैतिक नहीं कहा जाना चाहिए।
This Article is From Jul 06, 2016
प्राइम टाइम इंट्रो : स्मृति ईरानी की ऐसी आलोचना क्यों?
Ravish Kumar
- ब्लॉग,
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Updated:जुलाई 06, 2016 21:27 pm IST
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Published On जुलाई 06, 2016 21:27 pm IST
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Last Updated On जुलाई 06, 2016 21:27 pm IST
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